अमृत महोत्सव में संथाल परगना के कामगारों का उपायुक्त ने किया स्वागत

कला और हस्तशिल्प का समावेश है कठपुतली लोक कला “चदर-बदर”-उपायुक्त

हुनरमंद कामगारों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से जोड़ना प्राथमिकता-उपायुक्त

एस.पी.सक्सेना/देवघर (झारखंड)। देश के 75वें वर्षगांठ के अवसर पर आजादी का अमृत महोत्सव के तहत संथाल परगना के विभिन्न जिलों के कामगारों हेतु वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार, विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) देवघर द्वारा आयोजित हस्तशिल्प कार्यशाला सह सेमिनार कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन 27 अगस्त को जिला उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री (District deputy commissioner Manjunath bhajantri) व उपस्थित महिला कामगारों द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया।

इस दौरान देवघर, दुमका व गोड्डा जिले से आए हुनरमंद कामगारों द्वारा निर्मित सामानों की प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए उपायुक्त ने संबंधित अधिकारियों को निदेशित करते हुए कहा कि सभी जिलों से आए हमारे संस्कृति को संजोये रखने वाले कारीगरों को देवघर मार्ट से जोड़ते हुए इनके सामानों की ब्रान्डिंग और मार्केटिंग की दिशा में कार्य करें।

एक दिवसीय हस्तशिल्प कार्यशाला सह सेमिनार कार्यक्रम के दौरान दुमका जिले के मसलिया प्रखंड से आए दुर्लभ देशज चदर-बदर कला को प्रदर्शित करने वाले कलाकारों के कला प्रदर्शन की सराहना करते हुए उपायुक्त भजंत्री ने कहा कि संगीत, गायन, वाद्य यंत्रों की मधुर ध्वनी सहित कठपुतलियों का खेल कहीं न कहीं अपनी संस्कृति के प्रति प्रेम और देशज, सजिवता को दर्शाता है।

दूसरी ओर चदर-बदर कला के जरिये ये दिखाया जाता है कि इंसान एक कठपुतली के जैसा है, जिसकी डोर भगवान के हाथ में है। ऐसे में अपनी संस्कृति से जुड़े पुरानी लोक कला को सजोने और सुरक्षित रखने की आवश्यकता है, ताकि आने वाली पीढ़ी अपनी संस्कृति और परम्परा से जुड़ी रहे।

उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री ने संबोधित करते हुए कहा कि भारत गांवों का देश है। यहां हस्तशिल्प की अपनी लंबी परंपरा रही है। जिसका सामजिक, सांस्कृतिक महत्व है। आज हम आधुनिक तकनीक से जुड़ रहे हैं, लेकिन परंपरागत हस्तशिल्प से कट रहे हैं। ऐसे में इस कार्यशाला का अपना महत्व है।

उपायुक्त ने कहा कि अर्थव्यवस्था और समाज की व्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है कि विभिन्न ट्रेडों के हस्तशिल्पियों, कारीगरों तथा अन्य पारम्परिक उद्योगों से जुड़े महिलाओं को प्रशिक्षित कर समाज की मुख्य धारा में लाने का प्रयास किया जाय।

उन्होंने कहा कि पारम्परिक हस्तशिल्पी व कारीगर जब खुशहाल व समृद्ध होंगे, तभी समाज खुशहाल होगा और अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी। उन्होंने कहा कि शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के पारम्परिक कारीगर जैसे बम्बू क्राफ्ट, लाह की चूड़ी, लोहार, कढ़ाई, बुनाई करने वालों एवं जेएसएलपीएस की दीदियों, लघु-कुटीर उद्योग से जुड़े लोगों को देवघर मार्ट प्लेटफॉर्म पर लाकर उन्हें बेहतर बाजार उपलबध कराना है।

इस उद्देश्य से जेएसएलपीएस की टीम, मुख्यमंत्री लघु-कुटीर उद्योग, जिला उद्योग केन्द्र, हस्त शिल्पियों एवं आरसेटी को जोड़ते हुए साकारात्मक सोच के साथ मिलकर कार्य किया जा रहा है, ताकि जिले के कामगारों को आत्मनिर्भर व सुदृढ़ बनाने का कार्य किया जा सके।

कार्यशाला सह सेमिनार के दौरान उपायुक्त भजंत्री द्वारा देवघर मार्ट वेबसाईट से जुड़ी विस्तृत जानकारी देते हुए कहा गया कि जिले के सभी कामगारों एवं हुनरमंदों की सुविधा हेतु इसकी शुरूआत जल्द की जायेगी।

देवघर मार्ट आप सभी के लिए एक हाट व बाजार की तरह है। जहां आप बिना किसी बिचौलियों की मदद के सामान बेच सकते हैं। वर्तमान में संबंधित विभागों के साथ मुख्यमंत्री लघु-कुटीर उद्योग एवं जेएसएलपीएस के प्रखंड समन्वयक आपकी सहायता करेंगे, ताकि आपके द्वारा निर्मित सामानों की गुणवता, ब्रांडिंग, पैकिंग के कार्यों में आपका सहयोग किया जा सके।

इस दिशा में संबंधित विभाग के अधिकारियों को पूर्व में ही दिशा-निर्देश दिया गया है, ताकि हम दोबारा मूल संस्कृति से जुड़ते हुए लोकल फॉर वोकल को चरितार्थ करें।

उपायुक्त ने महिला हस्तशिल्पियों को आर्टिजन कार्ड से होने वाले फायदों व इसके उपयोग से जुड़ी विस्तृत जानकारी दी गयी, ताकि उन्हें इसका लाभ मिल सके। जिससे इनकी सही पहचान हो सके कि संबंधित महिला किसी खास क्षेत्र से कारीगर हैं।

आर्टिजन कार्ड बनने के बाद आर्टिजंस भारत सरकार और राज्य सरकार की ओर से आयोजित होने वाले मार्केटिंग प्रोग्राम में भाग ले सकते हैं। देशभर के सरकारी फेयर में स्टॉल निःशुल्क मिलेगी। आने-जाने का किराया उपलब्ध कराया जाएगा। इसके अलावा जो भी महिला-पुरूष आर्टिजन स्वयं का उद्योग स्थापित करना चाहते हैं, उनको प्रधानमंत्री योजना के तहत 10 लाख रुपए का लोन मुहैया कराया जाएगा।

सबसे महत्वपूर्ण सारे आर्टिजन कार्डधारियों का ऑनलाइन रिकॉर्ड होगा। जिसके आधार पर बड़े कारखाने या कम्पनियों द्वारा आमन्त्रित किया जा सकता है यानी रोजगार का अवसर। साथ हीं राज्य सरकार की ओर से जारी आर्टिजन कार्ड से कारीगरों को प्रदेश में उद्योगों से संबंधित संचालित हो रही योजनाओं का फायदा मिलेगा।

इनमें सब्सिडी, ब्याज की दरों, कारीगरों के कल्याण से जुड़ी विकास योजनाओं में कारीगरों को फायदा मिलेगा। इस प्रकार के कार्ड से आर्टिजन्स सरकार की ओर से दी जाने वाली विकासशील योजनाओं से लाभान्वित होंगे। उन्होंने कहा कि राज्य में लगने वाले उद्योग मेलों में सब्सिडी, स्टॉल आवंटन आदि में कार्डधारक कारीगर को प्राथमिकता मिलेगी।

कार्यशाला सह सेमिनार में ईडीआई कोलकाता के प्रबंधक सुबीर रॉय द्वारा उपस्थित कामगारों को केंद्र व राज्य सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं व रोजगार को बढ़ाने और स्वावलंबी बनने के उद्देश्य से तमाम जानकारियां दी गई।

सहायक निदेशक हस्तशिल्प भुवन भास्कर ने कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डाला और भारत सरकार द्वारा हस्तशिल्प विकास के लिए चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रम और गतिविधियों की जानकारी दी गयी। कहा गया कि परंपरागत लोक कला और हस्तशिल्प के प्रति ज्यादा से ज्यादा प्रारंभिक रूचि जगाने की आवश्यकता है, ताकि आगे चलकर इन्हें रोजगार से जोड़ा जा सके।

कार्यक्रम के दौरान हस्तशिल्पियों द्वारा निर्मित सामानों (खादी व तसर शिल्क के कपड़े, शॉल, कालीन, बांस से निर्मित सजावट व रोजाना उपयोग में होने वाले सामान, कढ़ाई-बुनाई) का अवलोकन करते हुए उपायुक्त ने सराहना करते हुए कहा कि आने वाले समय में आप सभी द्वारा किये जाने वाले कार्यों को एक नई पहचान दिलाना जिला प्रशासन की प्राथमिकता है।

इस दौरान उपरोक्त के अलावे जिला उद्योग केन्द्र के प्रबंधक रामस्नेही सिंह, इज ऑफ डूईंग बिजनेस प्रबंधक पियुष कुमार, वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार के अधिकारी, ईडीआई एवं संबंधित विभाग के अधिकारी व प्रशिक्षक आदि उपस्थित थे।

 156 total views,  1 views today

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *