सर्वोच्च तथा झारखंड उच्च न्यायालय न्याय देने की गति को तेज करे-विजय शंकर नायक

एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। देश का सर्वोच्च न्यायालय और झारखंड उच्च न्यायालय न्याय देने की गति को तेज करे, ताकि बिना विलंबित सबको त्वरित न्याय मिल सके।

उपरोक्त बाते 12 सितंबर को आदिवासी, मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष विजय शंकर नायक ने कही। उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा न्याय से वंचित दलित, आदिवासी और अन्य कमजोर वर्ग के तथा पिछड़े समुदाय के रहिवासी हो रहे है। इन्हे समय पर न्याय नही मिल पा रहा है, जो आजाद भारत के लिए शर्म का विषय है।

नायक ने उदाहरण देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ऑब्जर्वर की रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2024 में सुप्रीम कोर्ट में 80,000 से ज्यादा मामले पेंडिंग थे। दुसरी ओर झारखंड में न्यायपालिका पर छह लाख से ज्यादा मुकदमों का भार है।
नेशनल ज्यूडिशियल डाटा ग्रिड द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार उच्च न्यायालय में 37 ऐसे केस हैं, जो 30 साल से अधिक समय से पेंडिंग है।

इसमें सिविल के 36 केस और क्रिमिनल का एक केस शामिल हैं। उन्होंने कहा कि देश में न्याय तक पहुंच पाने के मामले में उत्तर भारत के राज्यों की स्थिति चिंताजनक है। इसी कड़ी में झारखंड की न्यायपालिका पर भी मौजूदा समय में छह लाख से अधिक मुकदमों (6,03,870) का बोझ है। हर दिन मुकदमों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।

वहीं अदालतों द्वारा मुकदमों पर कार्यवाही भी हो रही है, लेकिन पीड़ितों को न्याय पाने के लिए निचली अदालतों में सालों तक इंतजार करना पड़ता है। दुसरी ओर न्यायालय मे अंग्रेजो द्वारा स्थापित ग्रीष्मकालीन एंव शीतकालीन छुट्टी भी होने से न्याय देने मे विलंब हो रहा है। इसलिए अंग्रेजो द्वारा स्थापित ग्रीष्मकालीन एवं शीतकालीन छुट्टी को अब बंद किया जाना चाहिए।

नायक ने बताया कि नेशनल ज्यूडिशियल डाटा ग्रिड (एनजेडीसी) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार झारखंड हाई कोर्ट में 37 ऐसे केस हैं, जो 30 साल से अधिक समय से पेंडिंग हैं। इसमें सिविल के 36 केस और क्रिमिनल के एक केस शामिल हैं। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट में कुल पेंडिंग मामलों की संख्या 85,688 हैं। इसमें सिविल के 37,916 व क्रिमिनल के 47,772 केस शामिल हैं।

कहा कि हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस सहित 20 न्यायाधीश कार्यरत हैं। एक न्यायाधीश पर लगभग 4284.4 केस का भार है। उसी तरह सिविल कोर्ट में 5,18,182 मुकदमें पेंडिंग हैं। वहीं राज्य भर के सिविल कोर्ट में 5,18,182 मुकदमें पेंडिंग हैं, जिसमें सिविल के 87,688 और क्रिमिनल के 4,30,494 शामिल हैं। सिविल कोर्ट में 30 सालों से अधिक समय से पेंडिंग 370 केस हैं, जिसमें सिविल के 133 व क्रिमिनल के 237 केस शामिल हैं। कहा कि सिविल कोर्ट में 506 न्यायिक अधिकारी हैं।

एक न्यायिक पदाधिकारी पर करीब 1024 केस का भार है।
उन्होंने कहा कि दरअसल, मुकदमों के मामले में रांची सबसे आगे नजर आ रहा है। यहां सर्वाधिक 68,054 मुकदमें पेंडिंग हैं। दूसरे स्थान पर धनबाद जिला है, जहां 61,841 मामलों की सुनवाई चल रही है। 47,416 मुकदमों के साथ जमशेदपुर तीसरे स्थान पर है। वहीं चौथा स्थान देखा जाए तो गिरिडीह (42,754 केस) का नंबर आता है।

वहीं गोड्डा में 19,415 केस, गुमला में 10,886 केस, हजारीबाग में 38,474 केस, जामताड़ा में 7,165 केस, खूंटी में 4,883 केस, कोडरमा में 15,920 केस, लातेहार में 9,515 केस, लोहरदगा में 6,139 केस, पाकुड़ में 6,863 केस, रामगढ़ में 14,966 केस शामिल है। जबकि सबसे कम 4010 मुकदमा सिमडेगा में पेंडिंग है।

उन्होंने प्रधान मंत्री/ देश के कानून मंत्री/ राज्य के मुख्यमंत्री से देशवासियों एंव राज्यवासियों के हित में मांग किया कि न्यायिक व्यवस्था मे सुधार किये जाए और ऐसी व्यवस्था को स्थापित करने की दिशा मे ठोस कदम उठाए जाय, ताकि सबको न्याय, त्वरित न्याय, बिना विलंबित न्याय मिल सके।

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