शहीद-ए-आजम की जयंती पर विशेष :-

संशय में जी रहा है हमारा समाज-संजय

एस.पी.सक्सेना/समस्तीपुर (बिहार)। आज हमारे देश कि भोली-भाली जनता बहुत हद तक मानसिक रूप से गुलाम हो चुकी है। बहुत से लोगों को लगता है कि अगर कोई निजीकरण का विरोध कर रहा है, तो वह एआईएमआईएम (AIMIM) अथवा कांग्रेस (Congress) का आदमी है।

उक्त बातें समस्तीपुर (Samastipur) के चर्चित समाजसेवक एवं अधिवक्ता संजय कुमार ने शहीद-ए-आज़म भगत सिंह की जन्म जयंती के अवसर पर 28 सितंबर को कही।

भावुक हृदय संजय ने कहा कि अगर आज महंगाई, भुखमरी, बदहाल हो चुकी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के विरोध में कोई खड़ा होता है तो भक्तजन (जो हमारे ही बीच के लोग है) उन्हें लालू, मुलायम अथवा ममता का आदमी साबित करने में लग जाते हैं।

उन्होंने कहा कि देश का एक तबका, केवल एक पार्टी विशेष की पक्षधर होकर अपने आप को मानसिक रूप से गुलाम बना चुकी है। ये गुलामी हम पर भारी पड़ना शुरू हो गया है। आगे चलकर, चंद लोगों के कारण ये गुलामी हमें और भी भारी पड़नेवाली है।

उन्होंने कहा कि शहीद-ए-आज़म भगत सिंह जैसे शहीदों ने अपनी जान न्योछावर कर हमें अंग्रेजों से तो आजादी दिला दी, लेकिन इस मानसिक गुलामी का लगता है इलाज तभी संभव है, जब हमारे हाथ में देश की राष्ट्रीय संपत्ति के नाम पर कुछ नहीं बचेगा। एक बड़ी कुर्बानी देकर लोग इस गुलामी से बाहर आएंगे।

इसके फलस्वरूप हमें अपने महान देश भारत/ इंडिया के नाम पर जितने भी सार्वजनिक उपक्रम हैं, उनको निजी हाथों में सौंपना पड़ रहा है। उन्होंने समाज के संभ्रांत वर्ग को आगाह करते हुए कहा कि अब भी सचेत हों, संभल जायें। अब कोई राजगुरु, सुखदेव या भगत सिंह नहीं आने वाला है।

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