कोरोना प्रकोप का ज्वालामुखी तैयार हो रहा है: अनिल गलगली

मुंबई की सामाजिक और प्रशासनिक गतिविधियों पर अपनी गहरी पैठ रखने वाले सुप्रसिद्ध आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली (Anil Galgali) किसी परिचय के मोहताज नहीं है। जब से राइट टू इन्फॉर्मेशन (Right to Information) कानून का प्रादुर्भाव हुआ है, श्री गलगली ने अपने अनगिनत आरटीआई आवेदनों के माध्यम से न जाने कितनी ही अनियमितताओं, घोटालों और आपराधिक साजिश का भंडाफोड़ किया किया है। श्री गलगली मुंबई महानगर के इकलौते ऐसे आरटीआई एक्टिविस्ट हैं जिन्होंने अपना पूरा समय समाज सेवा में समर्पित कर दिया है। कोरोना जैसा संकट जब सामने मुहं बाये खड़ा हो तो ऐसे में उनके कदम कैसे रुक सकते थे।

अपने एनजीओ अथक सेवा संघ के माध्यम से श्री गलगली आजकल दिन-रात जरूरतमंदों की सेवा में लगे हुए हैं। उन्होंने मनपा और निजी डॉक्टरों तथा अन्य एनजीओ की सहायता से डोर टू डोर जाकर कोरोना के खिलाफ जन जागरूकता पर अभियान छेड़ रखा है। सरकार जब इस प्रकोप को कंट्रोल करने में फेल दिखाई दे रही थी तो ऐसे समय में उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और सरकारी व्यवस्था के खिलाफ एक जनहित याचिका भी दायर कर दी। हमारे संवाददाता आनंद मिश्र ने श्री गलगली से इस विषय पर विस्तार से चर्चा की। पेश हैं प्रमुख अंश।

  • प्रश्न: सबसे पहले तो आप अपने जनहित याचिका के बारे में कुछ बताएं ..आपको कोर्ट का दरवाजा क्यों खटखटाना पड़ा?

देखिए, मुंबई (Mumbai) सुपर रेड जोन में आता है। आज कोरोना मुंबई में इस कदर बढ़ गया हैं कि इसे नियंत्रित करने के लिए हमें कोरोना मरीजों को ट्रेस करने की जरूरत है। मैंने पहले सरकार और मनपा से अपील की लेकिन कोई कारवाई नहीं हुई और जब बात नहीं बनी तो मुझे अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा। भले ही तार्किकता के आधार पर याचिका ख़ारिज हुई लेकिन मेरे प्रयासों की सभी स्तर पर प्रशंसा हो रही हैं। हमने अब प्रधानमंत्री से गृहार लगाई है और मुझे पूरा विश्वास है कि इसका परिणाम निश्चित तौर पर अच्छा ही आएगा।

  • प्रश्न: मुंबई में कोरोना के प्रसार को आप फिलहाल किस स्टेज में देख रहे हैं क्या आने वाले दिनों में कोरोना पीड़ितों की संख्या काफी तेजी से बढ़ने वाली है?

मुंबई तो कोरोना (Coronavirus) की राजधानी बन चुकी हैं। व्यावहारिक तौर पर मनपा इसे कंट्रोल करने में जुटी है पर समन्वय की कमी है। मरीज परेशान है। गाइडलाइंस बदलकर मनपा इसका प्रभाव कम करना चाहती है जबकि अंदर से ज्वालामुखी तैयार हो रहा है। शायद इसका अंदाजा मनपा और सरकार को होने से ही अस्पतालों में बेड्स की संख्या बढ़ाई जा रही है।

  • प्रश्न: इस महामारी से निपटने के लिए मनपा और सरकार द्वारा उठाए गए कदम को आप किस तरह आंकते हैं ?

महामारी से निपटना इतना आसान नहीं होता है लेकिन दृढ़ता और नियोजन हो तो इसकी धार को हम कम कर सकते हैं। जैसे ताईवान हो या न्यूज़ीलैंड, इन देशों ने इस पर नियंत्रण तो पा ही लिया। यहाँ सरकार और मनपा  (BMC) में तालमेल नहीं है। टास्क फोर्स के नाम पर सिर्फ दिखावा है। पूरे महाराष्ट्र और मुंबई में काबिल और अनुभवी डॉक्टरों की कमी नहीं हैं लेकिन सरकार ने मनपा से इस्तीफा देकर भाग निकले एक निजी डॉक्टर को मुखिया बनाकर सभी डॉक्टरों का मनोबल गिराने का काम किया है।

  • प्रश्न: आपके हिसाब से सरकार और सिस्टम इससे निबटने में कहां चूक रहा है?

सरकार और सिस्टम को लॉकडाउन के प्रथम चरण में ही मुंबई की सीमाओं को सील कर देना चाहिए था। अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को रोकते तो शायद लॉकडाउन इतनी परीक्षा नहीं लेता। हर एक को मास्क की अनिवार्यता और सोशल डिस्टेसिंग का कड़ाई से पालन करने को बाध्य करना चाहिए था। स्लम में ताबड़तोड़ सर्वे कर कमरे की क्षमता के मुताबिक रहने की इजाजत देनी चाहिए थी और अतिरिक्त लोगों को नजदीकी स्कूल, रिक्त पड़े हुए फ्लैट या होटल में रहने की अनिवार्यता करनी चाहिए थी। जितना पैसा कोविड के नाम पर खर्च करने का दावा भविष्य में होगा उससे भी कम पैसों में अच्छी व्यवस्था तैयार हो जाती।

  • प्रश्न: संकट की इस घड़ी में जहां प्रशासन अपनी जोर लगाए हुए है, वहीं सरकार ने मनपा कमिश्नर का अचानक ट्रांसफर कर दिया इसे आप किस तरह से देखते हैं?

नये कमिश्नर हमें चमत्कार की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। वह अपने ही अधीनस्थ अफ़सरों के भरोसे ही कार्य कर पाएंगे। तबादला नियमित होते हैं लेकिन ऐसी भीषण परिस्थितियों में होनेवाले तबादलों से अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों में मायूसी फैलना लाज़िमी है, क्योंकि हर को यह भी डर सताएगा कि कहीं अगला नंबर मेरा तो नहीं।

  • प्रश्न: उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार के कामकाज को आप किस तरह आंकते हैं ?

उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) अच्छे इंसान हैं और उनका मन भी साफ है। लेकिन अफसरशाही हमेशा वहीं काम करती है जो उसे अच्छा लगता है। सरकार का प्रयास शत प्रतिशत नहीं है, अन्यथा लॉकडाउन में लोगों की भीड़, बार बार निर्णय में बदलाव और अफसरों का तबादला जैसी नकारात्मक स्थिती नहीं बनती। उद्धव ठाकरे को दिल की बात सुननी चाहिए ताकि मुंबई सहित महाराष्ट्र कोरोनामुक्त हो सके।

  • प्रश्न: कोरोना से जंग लड़ रहा प्रशासनिक महकमा मानसून की तैयारियों में अभी तक कितना सफल हुआ है क्योंकि अब मानसून के भी दिन ज्यादा दूर नहीं रहे?

हमेशा की तरह हर वर्ष मानसून ही सब तय करता है। हमेशा पहली बारिश में कचरा पानी से बह जाता है और बिल पास हो जाते हैं। काम कम और मिठाईयां बटोरने में सभी ज्यादा व्यस्त रहते हैं। कुछ स्थानों पर काम हो रहा है लेकिन मशीनरी कम होने से गति नहीं मिल पाई है। इस बार तो कोविड-19 का बहाना हैं। सभी लोग इसी में जुटने से काम हो नहीं पाएगा।

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