आजादी के अमृत महोत्सव 9 अगस्त 1942 का महत्व

गंगोत्री प्रसाद सिंह/हाजीपुर (वैशाली)। पुरा देश जहां आजादी के 75वां अमृत महोत्सव मना रहा है वहीं आज ही के दिन 9 अगस्त 1942 को गांधीजी के आह्वान पर समूचे देश मे अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन की शुरूआत किया गया था। यानि इस तिथि का खास महत्व रहा है, जब देश में पहली बार आजादी की अमृत फुहार को स्वतंत्रता सेनानियों ने महसूस किया था।

ध्यान देने योग्य बात है कि हाजीपुर के गाँधी आश्रम से मात्र 11 सेनानियों का जत्था आजादी के दीवाने बाबु किशोरी प्रसन्न सिंह के नेतृत्व में बाबू अक्षयबट राय, बाबू दीप नारायण सिंह, रामबरन राम, बेचन शर्मा, गुलजार पटेल, राधिका शुक्ला, शारदा देवी, राजवती देवी, सीता राम सिंह ने हाथों में तिरंगा झंडा लिये बन्दे मातरम और अंग्रेजो भारत छोड़ो के नारे के साथ निकला, जो स्टेशन रोड, गुदरी होते हुये जत्था नखास चौक पर पहुंचा।

तबतक इस जत्थे में हाजीपुर के हजारों लोग शामिल हो चुके थे। बंदे मातरम और अंगेजो भारत छोड़ो के जयघोष से पूरा हाजीपुर गूंज उठा। पंडित जयनन्दन झा और गुलजार पटेल भीड़ को संभाल रहे थे।

जत्थे के हाजीपुर कचहरी के पास पहुंचते ही पुलिस ने आंदोलनकारियो पर लाठी चार्ज कर तीतर बितर कर दिया। उस दिन आंदोलनकारी शांति पूर्वक लौट गए। लेकिन रात्रि में गांधी आश्रम में पुलिस ने धावा बोला। बावजूद इसके सभी क्रन्तिकारी पुलिस से बच के निकल गए।

अंग्रेजो भारत छोड़ो आंदोलन के तीसरे दिन 11 अगस्त1942 को पटना में बंदे मातरम के जयघोष के साथ तिरंगा झंडा लिए स्कूली बच्चों का एक जत्था हाथों में तिरंगा झंडा लिये बंदे मातरम का जयघोष करते बिहार विधान सभा गेट पर पहुंचे।

अंग्रेज अधिकारी के आदेश पर अंग्रेजी सिपाहियों द्वारा उन बच्चों को गोलियों से भून दिया गया, जिसमें 7 स्कूली बच्चे मौके पर ही शहीद हो गए। इस घटना के बाद पूरा बिहार, बंगाल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश की जनता अंग्रेजो के खिलाफ सड़क पर आ गई। आंदोलनकरियो के साथ जनता स्वतः उग्र हो गई।

गंगा नदी के उत्तर दिशा में बछवाड़ा, महनार, बिदुपुर, हाजीपुर, दिघवारा, बलिया, गाजीपुर से बनारस तक जनता ने जगह जगह रेल लाइन उखाड़ दिया। तब अक्षयबट राय के नेतृत्व में बिदुपुर स्टेशन को आंदोलनकरियों ने फूंक दिया। बेचन शर्मा और सीताराम सिंह के नेतृत्व में आंदोलनकारियों ने महुआ थाना को फूंक दिया और तिरंगा झण्डा फहरा दिया।

लालगंज थाना को भी आंदोलनकारियों ने फूंक दिया। विवेका पहलवान, राधिका देवी, ललितेश्वर प्रसाद शाही इत्यादि आंदोलनकारियों ने रजिस्ट्री ऑफिस, थाना पर तिरंगा झंडा फहरा दिया। पुलिस की लाठी से राधिका देवी का हाथ टूट गया और दर्जनों आंदोलनकारी को पुलिस ने गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया।

आंदोलन इतना उग्र था कि पुलिस थाना छोड़ कर भाग गई। रेलवे स्टेशन, सरकारी भवन से अंग्रेज भाग भाग कर जान बचाने के लिये पुलिस छावनी में चले गए। उत्तर प्रदेश के बलिया में चितु पांडेय के नेतृत्व में स्वदेसी सरकार का गठन हुआ।

इस आंदोलन में हजारों लोग शहीद हुए। अंगेजों को समझ आ गया कि उन्हें हिन्दोस्तान छोड़ने में ही भलाई है। इसी आंदोलन का नतीजा हिन्दोस्तान 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ। आज अंग्रेजो भारत छोड़ो आंदोलन की 80वीं वर्षगाठ पर अमर स्वतन्त्रता सेनानियो को सत सत नमन।

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