श्रीराम ने अन्याय को समाप्त करने के लिए की थी शक्ति स्वरूपा देवी की आराधना-सिंह

अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने अन्याय को समाप्त करने के लिए शक्ति स्वरूपा देवी दुर्गा की पूजा की थी। उन्होंने नवरात्रि में देवी की पूजा शुरु की।

नवमी के दिन जब 108 कमल पुष्प चढ़ाने के समय एक कमल पुष्प घट गया तो उन्होंने स्वयं के अपने नेत्र को देवी की पूजा में अर्पण करने के लिए संकल्प की। उनके इसी मनोभाव को जानकर देवी प्रसन्न हो जाती हैं और उनकी पूजा पूर्ण होती हैं।

दशमी के दिन श्रीराम शक्ति पूजा के कारण ही रावण का वध करने में सफल हो पाते हैं। सारण जिला के हद में गोला बाजार सोनपुर स्थित रामसुंदर दास महिला कॉलेज में एक अक्टूबर को साहित्यिक संस्था युग बोध द्वारा आयोजित श्रीराम की शक्ति आराधना विषय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए संगोष्ठी के मुख्य अतिथि मानस एवं संगीत मर्मज्ञ रामसुंदर दास महिला कॉलेज के सचिव तृप्तिनाथ सिंह ने उपरोक्त बातें कही।

उन्होंने कहा कि देवी सीता ने भी देवी पार्वती की पूजा अपने लायक पति की कामना से की। जिसके कारण श्रीराम जैसा पति उन्हें प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि रावण से युद्ध के समय जामवंत ने ही श्रीराम को रावण पर विजय प्राप्ति के लिए शक्ति आराधना की सलाह दी थी।

समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार सुरेन्द्र मानपुरी जबकि संचालन युग बोध के संस्थापक संयोजक ए के शर्मा कर रहे थे। इस अवसर पर रामसुंदर दास महिला कॉलेज के सचिव तृप्तिनाथ सिंह की ओर से युग बोध ने उपस्थित गीतकार सीताराम सिंह, वरिष्ठ साहित्यकार सुरेन्द्र मानपुरी, डाक पाल राजीव कुमार सिंह चुन्नू, हरिहर क्षेत्र जनजागरण मंच के संस्थापक अनिल कुमार सिंह, साहित्यकार माधव राय, साहित्यकार विश्वनाथ सिंह को अंगवस्त्र से सम्मानित किया गया।

समारोह में अपने अध्यक्षीय संबोधन में श्रीराम की शक्ति आराधना विषय पर साहित्यकार मानपुरी ने कहा कि गीतकार सीताराम सिंह ने कहा कि रामायण और रामचरित मानस में भी शक्ति पूजा का दर्शन होता है। उन्होंने कहा कि निराला की श्रीराम शक्ति पूजा एक कविता है। जिसके बारे में कवि अज्ञेय ने भी कहा कि हिंदी में ऐसी कोई दूसरी कविता नहीं।

साहित्यकार माधव राय ने कहा कि भगवान श्रीराम नीतिमान थे, तो श्रीकृष्ण कूटनीतिज्ञ। श्रीराम कर्म के पुजारी थे। हरिहरक्षेत्र जनजागरण मंच के संस्थापक अनिल कुमार सिंह ने कहा कि जामवंत के परामर्श से ही श्रीराम ने देवी शक्ति की आराधना की थी।

साहित्यकार विश्वनाथ सिंह ने हाल ही में प्रकाशित अपनी रचना श्रीराम की शक्ति आराधना का पाठ किया। युग बोध के कवि शंकर सिंह ने कहा कि समस्त नारी जाति के सम्मान के लिए श्रीराम ने रावण से युद्ध किया था। वे चाहते तो स्वयं सीता को रावण के चंगुल से छुड़ा सकते थे, परंतु नारी सम्मान की खातिर रावण से युद्ध कर सीता को छुड़ाकर समस्त नारी जाति को सम्मान दिलाने का उन्होंने काम किया।

इस मौके पर समाजवादी चिंतक ब्रज किशोर शर्मा, हरिहर क्षेत्र जन जागरण मंच के अमरनाथ तिवारी, अविनाश शर्मा, राजू सिंह, मनीष कुमार, महेश कुमार यादव, कृष्णा प्रसाद आदि की बढ़चढ़ कर सहभागिता रही।

 82 total views,  1 views today

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *