कुपोषित बच्चों की पहचान कर पोषण पुनर्वास केंद्र में रेफर करें सेविका-डीपीओ

कुपोषित बच्चों की पहचान करना आगनबाड़ी सेविकाओं की जिम्मेदारी-अनुपमा

प्रहरी संवाददाता/सारण (बिहार)। कुपोषित बच्चें के इलाज के लिए सारण जिला मुख्यालय छपरा स्थित सदर अस्पताल में संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र में पिछले कुछ महिनों से लक्ष्य के अनुरूप में बच्चें नहीं आ रहें है। इसे गंभीरता से लेते हुए आईसीडीएस के डीपीओ कुमारी अनुपमा ने 3 अक्टूबर को पत्र जारी कर सभी बाल विकास परियोजना पदाधिकारियों को आदेश दिया है कि आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा अति गंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान कर 102 निशुल्क एंबुलेंस सेवा के माध्यम से पोषण पुनर्वास केंद्र में रेफर कराना सुनिश्चित करें।

प्रेषित पत्र में कहा गया है कि कुपोषित बच्चों की पहचान कर एनआरसी सेंटर में भर्ती कराना आगनबाड़ी सेविकाओं का कर्तव्य है। आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा नवजात शिशुओं का जन्म के साथ वजन, लंबाई व ऊंचाई के आधार पर उनके पोषण स्थिति की पहचान की जाती है। ऐसे कुपोषित बच्चे जिन्हें केवल शारीरिक कमजोरी है लेकिन चिकित्सकीय समस्या नहीं है उनका इलाज समुदाय स्तर पर संचालित टीकाकरण केंद्र, आंगनबाड़ी केंद्र द्वारा पोषण और चिकित्सकीय सहायता देकर किया जाता है।

लेकिन ऐसे बच्चे जिन्हें शारीरिक कमजोरी के साथ मानसिक कमजोरी और निर्बलता है उसे अति कुपोषित की श्रेणी में रखते हुए बेहतर इलाज के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र भेजते हुए उसे चिकित्सक द्वारा देखरेख कर इलाज कराया जाता है। ऐसे बच्चों को चिह्नित करते हुए उन्हें समय पर इलाज उपलब्ध कराने के लिए सभी आंगनबाड़ी सेविकाओं को आवश्यक निर्देश दिया गया। जिससे समय से ऐसे बच्चों की पहचान कर उनका इलाज किया जा सके और उन्हें संपोषित बनाया जा सके।

अति गंभीर कुपोषित बच्चों में मौत का खतरा नौ गुणा अधिक

डीपीओ कुमारी अनुपमा ने बताया कि सामान्य बच्चों की तुलना में गंभीर अति कुपोषित बच्चों की मृत्यु का खतरा नौ गुना अधिक होता है। कहा कि सौ में 80-85 प्रतिशत ऐसे कुपोषित बच्चे पाए जाते हैं जिनका चिकित्सकीय सहायता समुदाय स्तर पर किया जा सकता है। 10-15 प्रतिशत बच्चों को ही पोषण पुनर्वास केंद्र भेजने की जरूरत होती है। ऐसे बच्चों की समय से पहचान कर उनका इलाज करने से कुपोषण के कारण होने वाले बच्चों की मृत्यु को खत्म किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि केंद्र में बच्चों के खेलने की सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है। उन्हें अक्षर ज्ञान का बोध कराया जाता है। बच्चों का देखभाल और खाना खिलाना, आवश्कतानुसार दवा और पौष्टिक आहार, साथ रहने वाली मां को रहने खाने के साथ प्रतिदिन सौ रूपये प्रोत्साहन राशि, आशा कार्यकर्ताओ को प्रोत्साहन राशि, रेफर किए गए बच्चों की पुन:जांच कर (सैम) अति-कुपोषित की पहचान करना, भर्ती किए गए कुपोषित बच्चों की 24 घंटे उचित देखभाल करना, आदि।

सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमियों में सुधार के लिए पूरक खुराक देना, भर्ती कुपोषित बच्चों व उनके माताओं को निर्धारित मीनू के अनुसार भोजन देना तथा इसके लिये अभिभावक से कोई शुल्क नहीं लेना, मां एवं देखभाल करने वाले को उचित खान-पान, साफ-सफाई के विषय पर परामर्श देना, पोषण पुनर्वास केंद्र में डिस्चार्ज के बाद हर 15 दिन में 2 माह तक 4 बार फॉलोअप करना आदि शामिल है।

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