होली गीतों से गुलजार हुआ सबलपुर का संगमेश्वर महादेव मंदिर परिसर

अवध किशोर शर्मा/सोनपुर (सारण)। सारण जिला के हद में सोनपुर के गंगा-गंडक संगम तीर्थ सबलपुर के शांति धाम स्थित बाबा संगमेश्वर महादेव एवं योगिराज गोरखाईनाथ मंदिर परिसर में महाशिवरात्रि की रात में होली गायन के साथ शिव-शक्ति जागरण महोत्सव संपन्न हो गया। यहां स्थानीय कीर्तन मंडली द्वारा होली गीतों से वातावरण में चार चाँद लगाया गया।

शिव-शक्ति की इस दिव्य स्थली एवं योगिराज गोरखाईनाथ की तपस्या सह समाधि भूमि में बीते 18 फरवरी की रात्रि एक से बढ़कर एक होली गीत गाए गए। जिसमें भोले बाबा से लेकर राधा-कृष्ण, सीता- राम, बजरंग बली, गोरखाईनाथ एवं बाबू वीरकुंवर सिंह की वीरता को प्रदर्शित करते होली गीतों ने गायकों में भक्ति के साथ-साथ देश भक्ति की ओज भी भर दिया।

होली गायन में ढ़ोल पर संगत कर रहे थे रेलवे पटना के शस्त्रागार प्रभारी संजय कुमार शर्मा शस्त्रागार, मुकेश कुमार शर्मा, शैलेश कुमार शर्मा एवं झाल पर सबलपुर मध्यवर्ती पंचायत के सरपंच दिलीप सिंह, समाजसेवी सुधांशु शर्मा, जनार्दन शर्मा, बालदेव शर्मा, पवन कुमार शर्मा, मनोज कुमार शर्मा, शिव शंकर शर्मा, अधिवक्ता अरविन्द कुमार सिंह, सुरेश शर्मा आदि साथ दे रहे थे।

इस अवसर पर पटना के प्रसिद्ध शिक्षाविद सच्चिदानंद शर्मा, अवध किशोर शर्मा, बिजेन्द्र शर्मा, सतीश शर्मा (उप मुखिया), विनोद राय, जितेन्द्र शर्मा (वकील), अशोक कुमार शर्मा (फौजी), वार्ड सदस्य अभिषेक श्रीवास्तव, मुकेश कुमार शर्मा (शिक्षक) आदि की भी सहभागिता रही, जो जागरण महोत्सव की समाप्ति तक डटे रहे।

इस अवसर पर “बृज में हरि होरी मचाई, इतसे निकली नवल राधिका उतसे कुंवर कन्हाई”। “खेलत फाग परस पर हिलमिली, सोभा बरनी न जाई”। वृंदावन में श्रीकृष्ण की होली की धूम के बीच सखियों संग राधा निकली है, तो दूसरी ओर से श्रीकृष्ण निकले हैं, आपस में होली खेल रहे हैं। इससे आकाश के बादल लाल हो गये हैं।

सर्वप्रथम “सुमिरहूँ श्रीभगवान हो” से जागरण महोत्सव का शुभारंभ किया गया। “तुलसी दास प्रभु तुम्हरे दरस के हरि के चरण बलिहारी एवं “बाबा भोला के दरबार होली धूम मचे’ पर भी दर्शक-श्रोता जमकर झूमें।

इसी तरह “पहिले लड़ाई कुंवर सिंह लिहले दूसरे अमर सिंह भाई सहित अनेक होली गीतों से जागरण की रात उत्साह और उमंग भरता रहा। ईश्वर भक्ति व देश भक्ति का जोश एक साथ कहीं देखने व सुनने को मिलता है तो वह होली गीत ही है।

ऐसा समन्वय और कहीं नही दिखता। अंत में “सबलपुर में अइल हो बाबा सबलपुर में अइल गोरखाई हो नाथ” से जागरण की रात का समापन किया गया।

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