लोधी मे जान जोखिम में डालकर कुएं से पानी निकालती है महिलाएं

पानी बीच मीन प्यासी, क्या मथुरा क्या काशी

विजय कुमार साव/गोमियां (बोकारो)। संत कबीर की दोहा पानी बीच मीन प्यासी, क्या मथुरा क्या काशी बोकारो जिला के हद मे गोमियां प्रखंड के सुदूर नक्सल प्रभावित लोधी मे सटीक बैठता है। यहां मछली की बात छोड़िए इंसान बूंद बूंद पानी के लिए तङप रहा है, जबकि यहां से महज कुछ दुरी पर कोनार डैम पानी से लबालब भरा है।

गर्मी तो गर्मी इस बरसात में भी पानी की समस्या से महिलाओं को दो चार होना पड़ रहा है। पानी के लिए जान जोखिम में डालकर कुएं से पानी निकालती है यहां की महिलाएं। इकिस्वीं सदी में भी लोग पानी की समस्या से जूझ रहे है, जो इस समाज के लिए दुर्भाग्य है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार गोमियां प्रखंड के हद मे लोधी पंचायत के तीसरी गांव स्थित चेरकी की टोंगरी में पीने के पानी के लिए स्थिति बद से बदतर है। वर्षो पूर्व बनी सरकारी कुएं में लकड़ी की सीढ़ी लगाकर महिलाएं वहां से पानी उठाती है और रोजमर्रा की जीवन में उपयोग करती है।

इस संबंध में गांव के समाजसेवी परवेज जफर ने बताया कि चुनाव से पहले जनप्रतिनिधि बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन कोई कुछ नहीं करता। उन्होंने कहा कि इस वर्ष यहां वर्षा ठीक से नहीं होने के कारण इस कुएं में पानी के जगह पर कीचड़ भर गया है। उस कीचड़ को साफ कर महिलाएं वहां से पानी उठाती है।

इस तरह कुए के अंदर जाना, पानी के लिए जद्दोजहद करना चिंता का विषय है। महिलाओं के साथ कभी भी दुर्घटना घट सकती है। इस समस्या को उन्होंने गोमियां विधायक डॉ लंबोदर महतो के समक्ष रखा है। विधायक ने इस पर जल्द पहल करने का आश्वासन दिया है।

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