नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की समीक्षा बैठक संपन्न

नक्सलियों के खिलाफ युद्ध को अवश्य जीतेंगे-हेमंत सोरेन

नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में “वामपंथी उग्रवाद” पर आयोजित उच्चस्तरीय बैठक का आयोजन

एस.पी.सक्सेना/रांची (झारखंड)। नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की समीक्षा बैठक 26 सितंबर को नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित किया गया। इस अवसर पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि वर्ष 2016 में राज्य में 195 उग्रवादी घटनाएं हुई थीं।

यह संख्या वर्ष 2020 में घटकर 125 रह गयी है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 में उग्रवादियों द्वारा 61आम नागरिकों की हत्या की गयी थी। वर्ष 2020 में यह संख्या 28 रही। इस अवधि में कुल 715 उग्रवादी गिरफ्तार किये गये। उक्त अवधि में पुलिस मुठभेड़ में 18 उग्रवादियों को मार गिराया गया था।

मुख्यमंत्री नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में “वामपंथी उग्रवाद” पर आयोजित उच्चस्तरीय बैठक में बोल रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि उग्रवादी संगठनों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की जा रही है।

इन अभियानों के फलस्वरूप राज्य में उग्रवादियों की उपस्थिति मुख्य रूप से पारसनाथ पहाड़, बूढ़ा पहाड़, सरायकेला, खूंटी, चाईबासा, कोल्हान क्षेत्र तथा बिहार सीमा के कुछ इलाके तक सीमित रह गई है। वह दिन दूर नहीं जब इन स्थानों से भी वामपंथी उग्रवाद का सफाया किया जा सकेगा।

मुख्यमंत्री सोरेन ने बताया कि वर्ष 2020 तथा 2021 के अगस्त तक 27 उग्रवादियों द्वारा आत्मसमर्पण किया गया है। राज्य की आकर्षक आत्मसमर्पण नीति का प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है। कम्युनिटी पुलिसिंग के द्वारा भटके युवाओं को मुख्य धारा में वापस लाने का प्रयास हो रहा है।

राज्य सरकार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में युवाओं के लिए ‘सहाय’ योजना लेकर आ रही है, जिसके अन्तर्गत इन क्षेत्रों में विभिन्न खेलों के माध्यम से युवाओं और अन्य लोगों को जोड़ा जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उग्रवाद की समस्या केन्द्र तथा राज्य सरकार दोनों के लिए बड़ी चुनौती है।

ऐसी परिस्थिति में केन्द्रीय सुरक्षा बलों की प्रतिनियुक्ति के बदले भारत सरकार द्वारा राज्य सरकारों से राशि की मांग करना व्यवहारिक प्रतीत नहीं होता है। इस मद में झारखंड के विरुद्ध अबतक 10 हजार करोड़ रुपये का बिल गृह मंत्रालय द्वारा दिया गया है। मेरा अनुरोध होगा कि इन बिलों को खारिज करते हुए भविष्य में इस तरह का बिल राज्य सरकारों को नहीं भेजने का निर्णय भारत सरकार द्वारा लिया जाये।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत सरकार द्वारा समय-समय पर उग्रवाद के उन्मूलन हेतु कई योजनाएं लागू की गयी हैं। इन योजनाओं से विशेष लाभ भी मिला है, परन्तु ऐसा देखा गया है कि कुछ जिलों के लिए इन योजनाओं को अचानक बंद कर दिया गया, जिससे उग्रवाद उन्मूलन की दिशा में किये जा रहे प्रयासों को आघात पहुंचता है।

अचानक इन योजनाओं को बंद करने से उग्रवाद को पुनः पैर पसारने का मौका मिल सकता है। इसी संदर्भ में विशेष केंद्रीय सहायता के तहत् प्रति जिला 33 करोड़ रुपये की राशि भारत सरकार द्वारा उपलब्ध करायी जाती है।

प्रारम्भ में यह योजना 16 जिलों के लिए स्वीकृत की गयी थी, परन्तु इस वर्ष यह योजना मात्र 8 जिलों के लिए जारी किया गया है। इसी प्रकार एसआरई योजना से कोडरमा, रामगढ़ तथा सिमडेगा को बाहर कर दिया गया है। मेरा अनुरोध होगा कि दोनों योजनाओं को सभी नक्सल प्रभावित जिलों के लिए अगले पांच वर्षों तक जारी रखा जाय।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की दशा को सुधारने में मनरेगा एक कारगर उपाय है। मनरेगा झारखंड में बहुत मजबूती से आगे बढ़ रहा है। झारखंड के श्रमिकों को जो मजदूरी दर मिल रही है, वह देश में सबसे कम है। अन्य राज्यों में 300 रु प्रतिदिन से ज्यादा मिल रही है, मगर झारखंड में 200 रु. भी नहीं। हमने राज्य की निधि से मजदूरी बढ़ाने का निर्णय लिया है।

मेहनतकश झारखंडियों को भी मनरेगा के तहत सही मजदूरी मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सामाजिक सुरक्षा के तहत भारत सरकार द्वारा जो विभिन्न पेंशन योजनाएं चलायी जा रही है, उसे फिर से देखने की जरूरत है।

अभी भी भारत सरकार एक वृद्ध / विधवा / दिव्यांग को प्रति महीने जीवन यापन सहायता के रूप में मात्र 250 रुपये प्रति महीने देती है। नक्सल प्रभावित क्षेत्र जहाँ जीविकोपार्जन अन्य क्षेत्रों से ज्यादा कठिन है, वहाँ के लिए यह राशि बढ़नी ही चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में 192 एकलव्य विद्यालय स्वीकृत किये गये हैं। इनमें से 82 उग्रवाद प्रभावित जिलों में स्थापित होंगे। मेरा अनुरोध होगा कि एकलव्य विद्यालय की स्वीकृति हेतु निर्धारित मापदंड में 50 प्रतिशत की शर्त को समाप्त किया जाए, ताकि आदिवासी बहुल ग्रामीण क्षेत्रों को इस योजना का लाभ मिल सके।

उन्होंने कहा कि झारखंड में 261 प्रखंड हैं, परन्तु मात्र 203 प्रखंडों में ही केंद्र सरकार की सहायता से कस्तूरबा विद्यालय का निर्माण किया गया है। 57 विद्यालय राज्य सरकार अपनी निधि से प्रारंभ की है। राज्य की बेटियां इन विद्यालयों में नामांकन चाहती हैं।

झारखंड जो सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित हैं, वहाँ 100 कस्तूरबा विद्यालयों के लिए केंद्र सरकार सहयोग करे। नक्सल विरोधी अभियान में हमारी सरकार एवं केन्द्र सरकार के बीच बेहतर समन्वय हमेशा बना रहेगा और मैं आशा करता हूँ कि हम सब मिलकर इस युद्ध को अवश्य जीत पायेंगे।

 140 total views,  1 views today

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *