पार्श्वगायक मुकेश को 98वीं जन्मदिवस पर याद किया गया

मेघदूत रेडियो लिस्नर्स क्लब बेरमो की ओर से उन्हें श्रद्धा-सुमन अर्पित

प्रहरी संवाददाता/पेटरवार (बोकारो)। भारतीय फिल्म उद्योग के विश्वविख्यात व महान दिवंगत पार्श्वगायक ‘मुकेश’ की 22 जुलाई को 98 वीं जन्मदिन है। इस अवसर पर बोकारो जिला के हद में बेरमो के मेघदूत रेडियो लिस्नर्स क्लब की ओर से उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

मौके पर लुधियाना से लिस्नर्स क्लब के अध्यक्ष मंजीत छाबड़ा, बीनू छाबड़ा, नैनू छाबड़ा, बेरमो से क्लब के उपाध्यक्ष अजीत जयसवाल, अनिल पाल, निरंजन दत्त, उमेश घायल, अशोक जैन, रांची से नौशाद खान परवाना, धनबाद से रामाधार विश्वकर्मा, रामचंद्र गुप्ता, गुजरात से अनिल पाल, चांदनी पटेल, महाराष्ट्र से सुनैना, बोकारो से अंजलि सोरेन, काजल गुप्ता, लखनऊ से योगेश जी, लखीसराय से गुलशन कुमार आदि सदस्यों व संगीत प्रेमियों ने दिवंगत महान गायक मुकेश को वर्चुअली याद कर श्रद्धा-सुमन अर्पित किया।

ज्ञात हो कि महान पाश्वर्य गायक मुकेश का जन्म 22 जुलाई 1923 को मध्यप्रदेश में हुआ था तथा 27 अगस्त 1976 को 54 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया था। आज वे भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन अपनी मधुर आवाज में सैकड़ों गानों को गाकर छोड़ गए हैं।

उनका यह गाना ‘ हम छोड़ चले हैं महफिल को, याद आये कभी तो मत रोना’ इसके अलावे बोल गोरी बोल तेरा कौन पिया, सावन का महीना पवन करे शोर, एक प्यार का नगमा है, हम तुम चोरी से, हम तो तेरे आशिक हैं, दुनियां से जाने वाले जाने चले जाते है कहां, कहत कबीर सुनो भाई साधो,

कर्म किए जा फल की इच्छा मत कर, कभी कभी मेरे दिल में ख्याल, तेरे होंठो के दो फूल प्यारे प्यारे, एक दिन बिक जायेगा माटी के मोल, गुजरा जमाना बचपन का, जीना यहां मरना यहां, दोस्त दोस्त न रहा प्यार प्यार न रहा, सजन री झूठ मत बोलो, सात अजूबे इस दुनियां में, हमका ऐसा वैसा ना समझो हम बड़े काम के चीज अमिट छाप छोड़े है।

साथ ही उनके गाये हुए अति पुराने गाने जैसे मेरा जूता है जापानी, डमडम डीगा डीगा, सबकुछ सीखा हमने न सीखी होसियारी, रूक जा वो जाने वाली रूक जा आदि अनेकों सदाबहार गाने हैं जिसे उनके चाहने वाले कभी नहीं भूल सकते।

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