वाशीनाका में धूम-धाम से मनाया गया हिंदु नववर्ष

मुश्ताक खान/ मुंबई। हिंदू नववर्ष गुड़ी पड़वा के पावन अवसर पर भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा चेंबूर के आर सी मार्ग पर नववर्ष स्वागत यात्रा निकाली गई, जो चेंबूरनाका स्थित भाजपा कार्यालय पर जाकर समाप्त हुआ। प्राचीन परंपराओं के अनुसार वार्ड क्रमांक 147 और 155 की रैली में पालखी के पीछे बड़ी संख्या में युवतियों एवं महिलाओं ने पूज्यनीय व शुभ तुलसी के पौधों को सर पर लेकर रैली के साथ रहीं। इस मौके पर जगह-जगह स्टेज बना कर अलग-अलग वार्ड के कार्यकर्ताओं ने रैली का स्वागत फूल मालाओं से किया।

भाजपा नेता भानुदास तुलसकर और आशीष चव्हाण के मार्गदर्शन में हिंदु नववर्ष 2017 के स्वागत यात्रा का आरंभ वाशीनाका परिसर से किया गया, जो चेंबूरनाका स्थित भाजपा कार्यालय तक गई। इस बीच वार्ड क्रमांक 155 के जेनरल सेक्रेटरी शरीफ कादर शेख, दिवाकर पांडे, अवध गुप्ता, असलम अंसारी, विजय मोर्या, विनोद पाल, असलम मचकुरी, आनंद सिंह, रघु तांडेल और प्रदीप पाठक ने नववर्ष स्वागत यात्रा में शामिल लोगों का फूलों से स्वागत किया। इस यात्रा को हर तरफ प्रतिसाद मिला।

गौरतलब है कि भारत का सर्वमान्य संवत विक्रम संवत है जिसका प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है। ब्रापुराण के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही सृष्ठि का प्रारंभ हुआ था और इसी दिन भारतवर्ष में कालगणना प्रारंभ हुई थी।

‘गुड़ी पड़वा’ को सृष्ठि का जन्मदिवस भी माना जाता है! कहा जाता है कि ब्राह्म ने सूर्योदय होने पर सबसे पहले चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को सृष्ठि की संरचना शुरू की। उन्होंने इसे प्रतिपदा तिथि को सर्वोत्तम तिथि कहा था। इसलिए इसको सृष्ठि का प्रथम दिवस भी कहते हैं। इस दिन से संवत्सर का पूजन, नवरात्र घटस्थापन, ध्वजारोपण आदि विधि-विधान किए जाते हैं।

चैत्र शुवल पक्ष की प्रतिपदा वसंत ऋतु में आती है। इस ऋतु में संपूर्ण सृष्ठि में सुन्दर छटा बिखर जाती है। इस दिन से संवत्सर का पूजन, नवरात्र घटस्थापन, ध्वजारोपण आदि विधि-विधान किए जाते हैं। चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा वसंत ऋतु में आती है। इस ऋतु में संपूर्ण सृष्टि में सुन्दर छटा बिखर जाती है।
चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा या वर्ष प्रतिपदा कहा जाता है।

इस दिन हिन्दू नववर्ष का आरंभ होता है। शुक्ल प्रतिपदा का दिन चंद्रमा की कला का प्रथम दिवस माना जाता है। जीवन का मुख्य आधार सोमरस चंद्रमा ही औषधियों-वनस्पतियों को प्रदान करता है इसीलिए इस दिन को वर्षारंभ माना जाता है। प्रतिपदा’ के दिन ही पंचांग तैयार होता है।

महान गणितीय भास्कराचार्य ने इसी दिन से सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, महीने और वर्ष की गणना करते हुए पंचांग’ की रचना का थीट्ठ। इसी दिन से ग्रहों, वारों, मासों और संवत्सरों का प्रारंभ गणितीय और खगोल शास्त्रीय संगणना के अनुसार माना जाता है।

आज भी जनमानस से जुड़ी हुई यही शास्त्रसम्मत कालगणना व्यावहारिकता की कसौटी पर खरी उतरी है। चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को महाराष्ट्र में ‘गुड़ी पड़वा’ कहा जाता है। गुड़ी का अर्थ ‘विजय पताका’ होता है।

 415 total views,  1 views today

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *