बीएमसी ने मारे 50,000 से अधिक चूहे

साभार/ मुंबई। चूहों के कारण होने वाली बीमारियों और इससे होने वाली अन्य दूसरी समस्याओं को रोकने के लिए बीएमसी ने कमर कस ली है। बीएमसी के विभिन्न वार्डों में पिछले 3 महीनों कीटनाशक विभाग द्वारा 50,000 से अधिक चूहे मारे जा चुके हैं। सबसे अधिक चूहे बी और सी वार्ड से मारे गए हैं।

बता दें कि चूहों के कारण फैलने वाली बीमारियों में लेप्टोस्पायरोसिस एक बड़ी बीमारी है। पिछले साल मुंबई में लेप्टोस्पिरोसिस के चलते 8 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि दर्जनों लोग इस बीमारी के शिकार रहें। ऐसे में इस बीमारी पर नियंत्रण रखने के लिए मॉनसून शुरू होने के 2 महीने पहले ही बीएमसी ने बड़ी संख्या में चूहों को मारा है।

मार्च में मारे गए सबसे अधिक चूहे: बीएमसी के कीटनाशक विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सबसे अधिक चूहे मार्च में मारे गए हैं। विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार जनवरी में 16026, फरवरी में 15728, जबकि मार्च में 19225 चूहे मारे गए हैं। कीटनाशक विभाग के प्रमुख आर नरिंग्रेकर ने बताया कि चूहों के चलते बीमारियों के साथ ही दूसरी तरह की समस्या होती है। चूहों के दांत नुकीले होने के कारण इन्हें हमेशा कुछ कुतरने को चाहिए होता है।

ऐसे में जब इन्हें कुछ नहीं काटने को मिलता तो ये इलेक्ट्रिक वायर भी कुतरने लगते हैं। कुतरते वक्त जब इनकी ऊपर और नीचे की दांत एक दूसरे के साथ मिलते है, तो शॉर्ट सर्किट जैसी समस्या होती है। इसके अलावा खाद्य गोदामों को क्षति पहुंचाने के साथ ही वहां पड़े खाद्य पदार्थों पर भी ये पेशाब कर देते हैं। जिनसे लोगों में बीमारियां भी हो सकती है।

लेप्टोस्पायरोसिस मुख्य वजह: नारिंगरेकर ने बताया कि चूहों के चलते प्लेग और लेप्टोस्पायरोसिस जैसी बीमारियां होती है। हालांकि प्लेग के मामले अब देखने को नहीं मिलते मगर ऐसा भी नहीं है कि ये समस्या कभी आ ही नहीं सकती। लेप्टोस्पीयरोसिस चूहों के जरिए होने वाली एक गंभीर बीमारी है। हालांकि चूहों के अलावा लेप्टोस्पीयरोसिस दूसरे जानवरों के चलते भी होता है। मगर मुंबई में चूहों की संख्या अधिक होने के कारण इसके जरिए लेप्टो होने की संभावना अधिक रहती है।

आपको बता दें कि लेप्टोस्पायरोसिस लेप्टोस्पायरा नामक बैक्टीरिया से फैलने वाली बीमारी है। यह संक्रमण जानवरों से मनुष्यों में फैलता है। मनुष्य की चोट पानी के जरिए जानवरों के संक्रमित पेशाब के संपर्क में आने से लेप्टोस्पायरोसिस होता है।

संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. ओम श्रीवास्तव ने बताया कि बारिश के मौसम में लेप्टो के फैलने की संभावना अधिक हो जाती है। इससे बचने के लिए गंदे और जहां मवेशियों का मल मूत्र बहता हो ऐसे स्थानों से दूर रहना चाहिए। बारिश में पानी लगने पर यदि उसमें जानवरों का मूत्र प्रवाहित होता है तो उस पानी के संपर्क में आने से लैप्टो की शिकायत हो सकती है।

ऐसे पाएं छुटकारा

आर नारिंग्रेकर ने लोगों से भी चूहों पर पर नियंत्रण रखने की अपील की है। इसके लिए उन्होनें लोगों से 4-डी फार्मूला अपनाने की गुजारिश की है। डिनाय एंट्री यानी चूहे को अपने घर या परिसर में न घुसने दें। डिनाय शेल्टर यानी घर या आसपास भंगार या ऐसी वस्तु न रखे जिसमें चूहों को छिपने या शरण लेने की जगह मिलें।

डिनाय फ़ूड, यह सबसे महत्वपूर्ण है कि लोगों को बचा खाना या खाने वाली दूसरी चीजें कहीं भी नहीं फेकनी चाहिए। खासकर झोपड़पट्टी में रह रहे लोग तीसरे डी का विशेषकर पालन करें। अक्सर झोपड़पट्टी में लोग खाना यहां वहां फेक देते हैं, जिससे चूहों का भरण पोषण होता है। आखिरी डी का मतलब डिस्ट्रक्शन यानी खात्मा होता है, जो हमारे विभाग का काम है। यदि उक्त चीजें के करने के बावजूद चूहों का आतंक अधिक है तो उनका खत्मा करना जरूरी हो जाता है।

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