महामंडल को क्यों छोड़ने को मजबूर हैं जवान
मुश्ताक खान/ मुंबई। महाराष्ट्र सिक्योरिटी फोर्स (एमएसएफ) का गठन करीब एक दशक पहले सीआईएसएफ की तर्ज पर महाराष्ट्र राज्य सुरक्षा महामंडल द्वारा किया गया। महामंडल ने करीब 150 से 200 जवानों को लेकर एमएसएफ की शुरूआत की थी। एमएसएफ (MSF) को सीआईएसएफ (CISF) की तरह लगभग सभी अधिकार हासिल है, लेकिन जवानों के वेतन व अन्य सुविधाओं में काफी अंतर है। इसका असर मेहनतकश एमएसएफ के ईमानदार जवानों में साफ तौर पर देखा जा सकता है।
मिली जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र राज्य सुरक्षा महामंडल (एम एस एस सी) द्वारा संचालित महाराष्ट्र सिक्योरिटी फोर्स (एम एस एफ) को सीआईएसएफ की तर्ज पर बनाया गया। ताकि राज्य के शिक्षित व बेरोजगारों को रोजगार मुहैया कराया जा सके। इसके तहत वर्ष 2010 में महामंडल द्वारा एमएसएफ की स्थापना की गई। इसके बाद महामंडल द्वारा राज्य के विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों में एमएसएफ के जवानों को सुरक्षा के लिए तैनात किया जाने लगा।
सीआईएसएफ के जवानों की तरह एमएसएफ के जवान भी सर्व सुविधाओं से लैस रहते हैं। इससे अनुशासित व ईमानदार एमएसएफ के जवानों की मांग धीरे-धीरे राज्य में बढ़ने लगी। बता दें कि 2010 में गठित एमएसएफ में बहाली की सख्त प्रक्रिया को पूरा करने वाले जवानों को ही महामंडल के इस दल में शामिल किया जाता है। मौजूदा समय में महामंडल के एमएसएफ दल में करीब 12 से 14 हजार जवान कार्यरत हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हाल के दिनों में महामंडल ने कुछ जवानों को अलग-अलग कारणों से नौकरी से निकाल दिया है। जबकि बड़ी संख्या में एमएसएफ के जवानों ने खुद ही नौकरी छोड़ी है। नाम न छापने की शर्त पर नौकरी छोड़ चुके एक जवान ने बताया कि सीआईएसएफ की तर्ज पर हमें बहाल किया गया था। इसके अलावा हम लोगों को सीआईएसएफ की तरह अधिकार भी दिया गया, लेकिन वेतन व अन्य सुविधाएं उनके जैसी नहीं है। इन्हीं कारणों से मेरे अलावा अन्य कई लोगों ने एमएसएफ की नौकरी छोड़ दी है। उन्होंने यह भी कहा की आने वाले दिनों में और भी लोग नौकरी छोड़ सकते हैं। क्योंकि करीब तीन-चार माह पूर्व सीआईएसएफ में बहाली के दौरान कुछ लोगों ने अपनी योग्यता के अनुसार इंटरव्यू दिया है।
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