आजादी के दीवानों की मौत का राज क्या?

सार्वजनिक करे सरकार- एड्. जयदीप मुखर्जी

मुश्ताक खान/ मुंबई। स्वतंत्र सेनानी व राष्ट्रीय महानायकों के सम्मान में ऑल इंडिया लीगल एड फोरम (All India Legal Aid Forum) द्वारा कुर्ला पूर्व के सावली होटल (Sawali Hotel) में शांतिवार्ता एवं प्रेस कांफ्रेंस किया गया। चूंकि देश की आजादी के दीवानों की भूमिकाओं को सरकार सहित देशवासी भूलते जा रहे हैं। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) के वरिष्ठ अधिवक्ता फोरम के प्रवक्ता एवं सचिव ने पत्रकारों से विशेष चर्चा की। उनका कहना है कि स्वतंत्रता के महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस (freedom fighter Netaji Subhash Chandra Bose), डॉ. श्याम प्रसाद मुखर्जी (Dr. Shyam Prasad Mukherjee) और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री (Former Prime Minister Lal Bahadur Shastri) की मृत्यु की हकीकत को सरकार सार्वजनिक करे।

ऑल इंडिया लीगल एड फोरम (All India Legal Aid Forum) के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सचिव एड. जयदीप मुखर्जी ने कहा की देश का दुर्भाग्य है कि आजादी के 70 वर्ष बाद भी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु का कोई प्रमाण नहीं मिला। हालांकि 18 अगस्त 1945 में विश्व के सामने एक नियोजित हवाई दुर्घटना की अफवाह फैलाई गई थी। इसके अलावा 1956 में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू (First Prime Minister Pandit Jawaharlal Nehru) द्वारा सर्वप्रथम पांच आयोग शहनवाज हुसैन (Shahnawaz Hussain) की अध्यक्षता में गठित हुआ था।

इस आयोग की रिपोर्ट को नेताजी के बड़े भाई सुरेश चंद्र बोस ने नकार दिया। चूंकि नेताजी के चाहने वालों की मांग पर देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा सेवा निवृत्त न्यायाधीश जीडी खोसला की अध्यक्षता में दूसरे जांच आयोग का गठन किया था। 1977 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने इस आयोग की रिपोर्ट को संसद में नकार दिया। 1998 में जब भारत सरकार ने नेताजी को मरणोपरांत भारत रत्न देने का निर्णय लिया तो उनके चाहने वालों ने यह आवाज उठायी कि पहले बने दोनों आयोगों को नकारे जाने के बावजूद उन्हें मरने के बाद भारत रत्न देने का निर्णय क्यों लिया गया।

इसके लिए कोलकाता हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई और तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने 18 अगस्त 1945 में नेताजी के कथित अंतर्ध्यान होने की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश मनोज मुखर्जी की अध्यक्षता में तीसरे जांच आयोग के गठन का आदेश दिया। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की जांच के बाद न्यायाधीश मनोज मुखर्जी ने सरकार को अपनी रिपोर्ट दी थी।

रिपोर्ट के अनुसार नेता सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु हो गई है। उनकी मृत्यु कथित तौर पर 18 अगस्त 1945 के हवाई दुर्घटना में नहीं हुई है। इतना ही नहीं रेनकोजी मंदिर में रखी गई नेताजी की अस्थियां नहीं है। इस लिहाज से भारत सरकार की जिम्मेदारी है कि नेताजी की मृत्यु की प्रमाणित जानकारी दे।
1990 में सोवियत संघ रूस के विघटन के बाद वहां की खुफिया केजीबी ने रूस सरकार की अवर्गीकृत फाइलों को सार्वजनिक करने की बात कही।

विभिन्न केजीबी फाइलों से यह स्पष्ट प्रमाण मिला है कि 18 अगस्त 1945 में नेताजी ने रूस में शरण लिया था। लेकिन भारत सरकार ने अभी तक केजीबी की फाइलों के लिए रुस को कोई औपचारिक पत्राचार नहीं किया। दुर्भाग्यवश भारत सरकार इस संबंध में अभी तक शांत है। जबकि सरकार के पास टॉप सीक्रेट के रूप में सूचीबद्ध 39 फाइलें सुरक्षित हैं।

विभिन्न शोधकर्ताओं ने अनौपचारिक रुप से केजीबी से प्राप्त किये गए साक्ष्य के आधार पर यह दर्शाया गया है कि नेताजी की मृत्यु साइबेरिया की जेल में हुई थी। इसे देखते हुए ऑल इंडिया लीगल एड फोरम भारत सरकार से मांग करती है कि जल्द से जल्द नेताजी के संदर्भ में 39 सीक्रेट फाइलों को असूचीबद्ध तरीके से सार्वजनिक करे।

भारत सरकार केजीबी फाइलों के लिए रूस सरकार को पत्र भेजे। इसके अलावा आजाद हिंद फौज और नेताजी के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को स्कूल और कॉलेजों के पाठ्यक्रम में मान्यता दे। साथ ही नेताजी के जन्म दिवस 23 जनवरी को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करें। इतना ही नहीं आजाद हिंद फौज की कुल संपत्ति 72 करोड़ रूपये का भी खुलासा करे। इतिहासकार प्रतुल गुप्ता की किताब हिस्ट्री ऑफ आईएनए एंड नेताजी सुभाष चंद्र बोस जो कि सेंट्रल डिफेंस अकादमी में आज तक जवाहर लाल नेहरू के द्वारा सूचीबद्ध प्रपत्र के रूप में रखवाई गई है, को भी सार्वजनिक करें।

नेताजी और आईएनए के सम्मान में भारत सरकार दिल्ली के लाल किले के सामने नेताजी की एक बड़ी कांस्य प्रतिमा स्थापित करे। समान रूप से हमारे स्वतंत्रता सेनानी डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 23 जून 1953 में कश्मीर जेल में हुई रहस्यमयी तरीके से मृत्यु की सच्चाई भी देश की जनता को बताए। एड्. जयदीप मुखर्जी ने कहा की फोरम भारत सरकार से मांग करता है कि सम्मानित स्वतंत्रता सेनानी, सांसद और जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की रहस्यमयी मृत्यु की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक न्यायिक आयोग गठित करें।

इसी तरह हमारे एक महान स्वतंत्रता सेनानी और भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री, जिनकी 1966 में सोवियतसंघ रूस में तासकंद समझौते के दौरान रहस्यमयी तरीके से मृत्यु हुई। उनकी रहस्यमयी मृत्यु की जांच के संदर्भ में भारत सरकार अभी तक शांत है। यह महत्वपूर्ण है कि हमारे सम्मानित स्वतंत्रता सेनानी, सांसद और सामाजिक कार्यकर्ता राम मनोहर लोहिया ने भी स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री की रूस में रहस्यमयी मृत्यु की उचित जांच की बात दोहराई थी।

राम मनोहर लोहिया की भी दिल्ली के एक नर्सिंगहोम में सेप्टीसीमिया होने से रहस्यमय तरीके से मृत्यु हो गई थी। उन्होंने प्रशंसा करते हुए कहा की नरेंद्र मोदी भारत के पहले ऐसे प्रधानमंत्री है जिन्होंने नेताजी से जुड़ी काफी सच्चाइयों को उजागर किया है। अब वे नेताजी से जुड़ी 41 फाइलों को भी सार्वजनिक कराएं। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय नेताओं की रहस्यमयी तरीके से मौत हुई।

उनकी जांच कराकर सत्यता को भारत की जनता के सामने रखे और देश के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़े। इस अवसर पर फोरम के कन्वेनर एड्. पवन यादव, कृष्णा डे आदि भी मौजूद थे।

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