पेड़ों की रेकॉर्ड छंटाई के बाद भी 7 ने जान गंवाई


मुंबई। मॉनसून से पहले हर साल पेड़ों की छंटाई की जाती है, ताकि मॉनसून के दौरान कोई हादसा न हो। इस साल बीएमसी ने पिछले साल की तुलना में डेढ़ गुना ज्यादा पेड़ों की छंटाई की। वह भी कम रही, क्योंकि पेड़ या टहनी गिरने से अलग-अलग हादसों में 7 लोगों की जान गई। इस साल मनपा ने 94,536 पेड़ों की छंटाई की, जबकि 2017 में 60,000 और 2016 में 53,234 पेड़ों की छंटाई की गई थी। इस साल 791 खतरनाक पेड़ों को पूरी तरह से हटा भी दिया गया। पेड़ों की रेकॉर्ड छंटाई के बावजूद हादसों को देखते हुए सवाल उठ रहे हैं कि क्या उन्हीं पेड़ों की छंटाई हुई है, जिनकी करने की जरूरत थी।

दरअसल मनपा के पास पेड़ों की खतरनाक स्थिति जांचने की कोई वैज्ञानिक पद्धति नहीं है। केवल पेड़ों को देखकर छंटाई का फैसला किया जाता है। इसके बाद ठेकेदार छंटाई करते हैं। हर साल जून के पहले सप्ताह में छंटाई का काम रोक दिया जाता है। इस साल भी ऐसा ही किया गया। लेकिन मरीन लाइंस में पेड़ गिरने से दो लोगों की मौत के बाद बीएमसी ने फिर युद्धस्तर पर पेड़ों की छंटाई शुरू कराई। पिछले सप्ताह शहर के कई पेड़ छंटे हुए दिखे।

मनपा लगातार पेड़ गिरने के हादसों को देखते हुए विशेषज्ञों की एक टीम बनाएगी। यह टीम जांच करके रिपोर्ट पेश करेगी। इसमें 5 सदस्यों की नियुक्ति पर विचार चल रहा है। गौरतलब है कि पेड़ों के आसपास बढे रहे क्रांकीटीकरण को कई बार इनके कमजोर होने की वजह माना जाता है। इस बारे में डेप्‍युटी म्‍युन‍िस‍िपल कम‍िश्‍नर, डॉ क‍िशोर छीरसागर ने कहा, ‘हमने इस बार दो चरणों में छंटाई का काम किया है। हम पेड़ों से हो रही मौतों से चिंतित हैं।’

 


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