गंगा-जमुनी तहजीब का मिशाल है शेरपुर और गहमर- विकास सिंह

एस.पी.सक्सेना/ बोकारो। दिल के जज्बात जब तक मिलता रहेगा। रिश्तो की हकिकत को कोई नहीं बदल सकता है। इसका जीता जागता प्रमाण है उत्तर प्रदेश राज्य के गाजीपुर जिला के हद में दो गाँव। जहां आज भी गंगा जमुनी तहजीब खुली आंखो देखने को मिलता है। इस गंगा जमुनी तहजीब को बयां कर रहे हैं झारखंड के प्रखर राजनीतिक विश्लेषक विकास सिंह:-

यूपी के जिला गाजीपुर मे दो गाँव हैं.. गहमर और शेरपुर। गहमर राजपूतो का गाँव है तो शेरपुर पठानो का। दोनो गाँवों का रिस्ता अटूट है। गहमर के राजपूतो के यहाँ शादी ब्याह या कोई भी आयोजन होता है तो सबसे पहले निमंत्रण शेरपुर वालों को जाता है ..और वहाँ से बच्चों के भी आने पर उँचा स्थान दिया जाता है..जैसे अपने बड़ों को दिया जाता है। इसके पीछे कारण यह है कि पूर्व काल मे दो भाई थे। ..बड़े भाई शेरशाह की फौज मे चले गये।

सेवानिवृत्त होकर जब अपने घर आये तो पंडितों ने उनके मुस्लिम बादशाह की फौज मे होने के कारण मुसलमान घोषित कर दिया औऱ समाज से वहिष्कृत कर दिया। बड़े भाई जहां जाकर बसे वही कालांतर में शेरपुर हो गया। दोनों गांवों के बीच आज भी प्रेम औऱ अपनत्व अपनी पराकाष्ठा मे है। नफरत की आंधियो से बेअसर। यही हमारी संस्कृति औऱ तहज़ीब है। इसकी जड़े इतनी गहरी हैं कि धर्मान्धता और स्वार्थान्धता की कोई भी आंधी इसको हिला नहीं सकती।

मज़हब बदलने से मिट्टी नहीं बदल जाती। हमारी सभ्यता, संस्कृति और इतिहास एक है ..हम एक रहे हैं एक रहेंगे।

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