सीसीएल प्रबंधन को मुहं चिढ़ाता कचरे का अंबार

एस.पी.सक्सेना/बोकारो। देश में बीजेपी की नयी सरकार के आते ही प्रधानसेवक नरेंद्र मोदी सहित तमाम नेताओं ने हाथ में झाड़ू थाम लिए। पूरा देश स्वच्छता अभियान (Cleanliness campaign) में जुट गया। लेकिन यह अभियान अब केवल प्रचार का माध्यम लगने लगा है। तमाम सरकारी प्रतिष्ठानों में स्वच्छता के नाम पर खूब दिखावा हुआ। लेकिन परिणाम सामने है।

सरकारी उद्यम सेंट्रल कोलफिल्ड्स लिमिटेड (Central Coalfields Limited) के विभिन्न क्षेत्रों के श्रमिक कॉलोनियों (Labor colonies) में यही स्थिति पूर्व में भी थी और आज भी बरकरार है। सफाई के नाम पर बड़े पैमाने पर ठेकेदारों को कार्यादेश तो दिया जाता है जबकि उस ठेका का लाभ संबंधित ठेकेदारों और विभागीय पदाधिकारियों को ही मिलता है। जबकि उक्त श्रमिक कॉलोनियों में रहने वाले कोयला श्रमिक व् उनके परिजन उक्त कचरे के कारण होने वाली गंभीर बीमारियों से ग्रसित होकर असमय काल के गाल में समाते रहते हैं।

बानगी के तौर पर सीसीएल के बी एंड के क्षेत्र (CCL B and K) के संडे बाजार (Sunday Bazar) स्थित श्रमिक कॉलोनी में यह कचरे का ढेर कहीं और नही बल्कि श्रमिक आवास से सटे दरवाजे की संपर्क सड़क पर देखा जा रहा है। इस कचरे को उठाने की जहमत न तो ठेकेदार ले रहे है और न ही विभागीय (असैनिक विभाग) के अधिकारी अपनी जिम्मेवारी ही समझ रहे हैं।

यह हाल केवल बी एंड के क्षेत्र का ही नही है बल्कि बेरमो कोयलांचल (Bermo Koylanchal) के कथारा व् धोरी (Kathara & Dhori) क्षेत्र के विभिन्न श्रमिक कॉलोनी का है। ज्ञात हो कि भारत सरकार द्वारा 16 से 31 अगस्त 2017 तक स्वच्छता पखवाड़ा घोषित किया गया था। इस कारण सीसीएल द्वारा भी स्वच्छता पखवाड़ा के रूप में सीसीएल के तमाम कॉलोनियों में स्वच्छता अभियान चलाया गया तथा नालियों व् कचरे की सफाई मद में करोड़ो का ठेका दिया गया। इन सबके बावजूद स्थिति आज भी जस की तस है।

 359 total views,  1 views today

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *