अपनों ने ठुकराया, सड़क पर नींद पूरी कर रहा है फेकना

एस.पी.सक्सेना/ धनबाद (झारखंड)। केंद्र व राज्य के रघुवर सरकार के गरीबी मिटाओ अभियान के लाख दावो के बावजूद आज भी झारखंड के गरीबो को न तो सही ढंग से दो जून की रोटी ही नसीब हो पा रहा है और न ही तन ढकने के लिये कपड़ा। ऐसे में राज्य के नौकरशाह सरकारी दावों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।

धनबाद जिला के हद में नेताजी सुभाष चंद्र बोस जंक्शन गोमो रेलवे स्टेशन से पुरानी बाजार मार्ग के बीच सड़क पर सो रहे इस गरीब के दर्द को देखकर कुछ ऐसा ही आभास हो रहा है। स्थानीय रहिवासियों की माने तो इस गरीब का नाम फेकना है। रहिवासियों के अनुसार फेकना का पिता धनबाद डिवीजन के गोमो जंक्शन में कार्यरत था। इसका एक भाई गोमो में ही रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) मेस में रसोइया का काम करता है। परिजनों ने इसके निकम्मेपन से तंग आकर ठुकरा दिया है। जिसके कारण यह गोमो में ही रहकर लोगो से मांगकर अपनी क्षुधा पूर्ति करता है।

रेलवे पुलिस का कोपभाजन बनने के कारण यह स्टेशन से बाहर सड़क पर ही रात बिताता है। रहिवासियों की माने तो फेकना के पास न तो समुचित भोजन की व्यवस्था है और न ही एक छत। इसे अबतक किसी प्रकार का कोई सरकारी सहायता भी नही मिल पाया है। ऐसे में देश के प्रख्यात साहित्यकार एवं उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद की कहानी “पूस की रात” की याद ताजा कर रहा है। जिसकी रक्षा ठंड की ठिठुरन भरे रात में इंसान नही बल्कि उसका प्यारा कुत्ता करता है। फेकना की दिनचर्या मुंशी प्रेमचंद की कहानी गोदान और पूस की रात की तरह ही नजर आ रहा है।

 237 total views,  1 views today

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *