देश के सबसे बड़े बैंक SBI के 2568 ब्रांच में लगा ताला

कहीं आपका बैंक भी बंद होने की लिस्ट में तो नहीं

एस.पी.सक्सेना/ नई दिल्ली। सूचना के अधिकार से खुलासा हुआ है की बीते पांच वित्तीय वर्षों के दौरान विलय या शाखाबंदी की प्रक्रिया से सार्वजनिक क्षेत्र के 26 सरकारी बैंकों की कुल 3,427 बैंक शाखाओं का मूल अस्तित्व प्रभावित हुआ है। इनमें से 75 प्रतिशत शाखाएं देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India) की प्रभावित हुई हैं। आलोच्य अवधि के दौरान एसबीआई में इसके पांच सहयोगी बैंकों और भारतीय महिला बैंक का विलय किया गया है।

उक्त जानकारी आरटीआई के जरिए ऐसे वक्त सामने आई है,जब देश के 10 सरकारी बैंकों को मिलाकर इन्हें चार बड़े बैंकों में तब्दील करने की सरकार की नई योजना पर काम शुरू हो चुका है।मध्यप्रदेश के नीमच निवासी आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने भारतीय रिजर्व बैंक से सूचना के अधिकार के तहत इस संबंध में जानकारी मांगी थी।

जानकारी के मुताबिक देश के 26 सरकारी बैंकों की वित्तीय वर्ष 2014-15 में 90 शाखाएं,2015-16 में 126 शाखाएं,2016-17 में 253 शाखाएं,2017-18 में 2,083 बैंक शाखाएं और 2018-19 में 875 शाखाएं या तो बंद कर दी गईं या इन्हें दूसरी बैंक शाखाओं में मर्ज कर दिया गया। सूचना अधिकार अर्जी पर मिले जवाब के अनुसार बीते पांच वित्तीय वर्षों में विलय या बंद होने से एसबीआई की सर्वाधिक 2,568 बैंक शाखाएं प्रभावित हुईं।

आरटीआई कार्यकर्ता ने रिजर्व बैंक से सरकारी बैंकों की शाखाओं को बंद किए जाने की जानकारी भी जानना चाहा,लेकिन उन्हें जवाब नहीं मिला।इस प्रश्न पर केंद्रीय बैंक ने सूचना अधिकार अधिनियम 2005 कानून के सम्बद्ध प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि मांगी गई जानकारी एक सूचना नहीं, बल्कि एक राय है।

रिजर्व बैंक ने बताया कि एसबीआई के साथ भारतीय महिला बैंक,स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला तथा स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर का विलय एक अप्रैल 2017 से प्रभावी हुआ था। इसके अलावा बैंक ऑफ बड़ौदा में विजया बैंक और देना बैंक का विलय एक अप्रैल 2019 से अमल में आया है।

इस बीच सार्वजनिक बैंकों के कर्मचारी संगठनों ने इनके विलय को लेकर सरकार की नई योजना का विरोध तेज कर दिया है। अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने कहा कि यदि सरकार देश के 10 सरकारी बैंकों को मिलाकर चार बड़े बैंक बनाती है, तो इन बैंकों की कम से कम 7,000 शाखाएं प्रभावित हो सकती हैं। इनमें से अधिकांश शाखाएं महानगरों और शहरो की होगी। वेंकटचलम ने आशंका जताई कि प्रस्तावित विलय के बाद संबंधित सरकारी बैंकों का कारोबार घटेगा।

आमतौर पर देखा गया है कि किसी बैंक शाखा के बंद होने या इसके किसी अन्य शाखा में विलीन होने के बाद ग्राहकों का उससे आत्मीय जुड़ाव समाप्त हो जाता है। इस बारे में अर्थशास्त्री जयंतीलाल भंडारी के अनुसार सार्वजनिक बैंकों का विलय समय की आवश्यकता है। उन्होंने छोटे सरकारी बैंकों को मिलाकर बड़े बैंक बनाने से सरकारी खजाने को फायदा बताया। इसके अलावा बड़े सरकारी बैंक अपनी सुदृढ़ वित्तीय स्थिति के कारण आम लोगों को अपेक्षाकृत ज्यादा कर्ज बांट सकेंगे, जिससे देश में आर्थिक गतिवधियां तेज होगी।

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