विरासत में मिली रियासत का होगा विकास- महाराज

सबका मंगल मय हो – महाराज मृगेन्द्र प्रताप साही

धनंजय प्रताप सिंह/ मुश्ताक खान (बिहार) हथुआ। ऊर्जा और शक्ति की देवी की पूजा अर्चना में लगे श्रद्धालुओं ने नम आखों से विजय दशमी (Vijayadashami) के दिन मां दुर्गा (Maa Durga) की प्रतिमा को अंतिम विदाई दी। कुल दस दिनों तक चले दशहरा के दौरान महाराज बहादुर मृगेन्द्र प्रताप साही (Maharaj Bahadur Mrigendra Pratap Sahi), महारानी पूनम साही (Maharani Punam Sahi) व राज परिवार के वंशजों ने माता रानी के दर्शन किये और आशीर्वाद लिया। इस दौरान हथुआ राज के विभिन्न इलाकों में स्थापित पंडालों में होने वाली आरती व पूजा के कारण पूरा इलाका भक्तिमय रहा। विजय दशमी के पावन अवसर पर हथुआ पैलेस से एतिहासिक दशहरा चक्र का जुलुस अपने पारंपरिक अंदाज में निकाला, जुलुस में हाथी, घोड़ा, ऊंट और बग्गी तैल चित्र राजसी परंपरा की यादों को फिर से ताजा कर गया।

दशहरा चक्र में आम व खास लोग

हथुआ राज (Hathwa Raj) और यहां के राजाओं का इतिहास निराला रहा है। इस राज के इतिहास की कुछ दिलचस्प यादें, पाठकों से शेयर करता हुं। हथुआ राज महाराज बहादुर मृगेन्द्र प्रताप साही हमेशा अपनी विरासत के संयोजन में सदैव उत्सुक रहते हैं। जिसका ज्वलंत उदाहरण विजयादशमी के चक्र पूजा के अवसर पर देखने को मिला। उत्सव की तैयारी में राज के कर्मचारी मनोयोग में लगे थे। आगत अतिथियों की सत्कार राजकीय परंपरा के अनुरूप की गई।

वहीं महाराज बहादुर ने सभी अतिथियों से मिल कर उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त कर रहे थे। महाराज के सगे संबंधियों के साथ वीर योद्धा बाबू धज्जु सिंह के वंशज इस आयोजन की शोभा बढ़ा रहे थे। राज के दीवान एस एन शाही व अतुल शाही तथा संजय ठाकुर आयोजन की कमान संभाले थे, सभी अतिथियों व राज्य कर्मचारियों ने राजकीय पगड़ी बांधी थी। महराज बहादुर पत्रकारों से मुखातिब थे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा की यह परंपरा हमारे पूर्वजों की पहचान है, जब राजतंत्र था तो खुद नगर का भ्रमण कर आमजन का आशीष लेते व आशीर्वाद देते थे।

राज परिवार से मिले रिश्तेदार

विजयादशमी के अवसर पर महारानी पूनम साही ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ दशहरा चक्र में सम्मलित हाथी की पूजा अर्चना कर नगर भ्रमण के लिये रथ को रवाना किया। महराज बहादुर, युवराज, युवरानी, राज रिश्तेदार अवध किशोर राय व मृत्युंजय राय तथा धज्जु बाबू के वंशज मौके पर मौजूद थे। राज परिवार के करीबी, मझौली राज से ताल्लुक रखने वाले अध्यापक, इतिहासकार व वरिष्ट पत्रकार कृष्ण कुमार सिंह पर पत्रकारों ने एक साथ सैकड़ों सवालों के साथ हमला किया। लेकिन सिंह ने एक -एक कर सभी के सवालों का जवाब दिया।

उन्होंने बताया कि हथुआ राज की स्थापना तो 1791 ई. में हुआ पर इसके पूर्व हुस्से पुर में राज था। इतिहासकार ने बताया की इस राज के पूर्वज मझौली राज से ही आते है तथा पूर्व में यह मल्ल जातियां थी, जो भगवान बुद्ध के परम अनुयायी व भगवान के दाह संस्कार भी संपन्न कराये थे। एक अन्य सवाल के जबाब में सिंह ने बताया कि हथुआ को पर्यटन बनाने की योजना राज परिवार की है। इसके विरासत व बुद्ध से जुड़े तथ्यों को क्रमबद्ध कर दिया जाये तो यह नगर विदेशी पर्यटकों को भी लुभाने लगेगा।


उन्होंने बताया कि आज भी महारानी पूनम साही अपनी राजमाता की परंपरा को जीवंत रखने हेतु अनेक महिला कल्याण योजनाओं को संचालित करा कर जनकल्याण का कार्य करती रहती है। जिनका अनुसरण करने में युवरानी व युवराज भी उत्सुक दिखे। नगर के परिक्रमा के बाद चक्र कार्यक्रम राजमहल परिसर में संपन्न हुआ। जहां अतिथियों को अल्पाहार के बाद विदा किया गया। इस मौके पर धज्जु बाबू के वंशज संजय सिंह, प्रो गिरीश सिंह, जय सिंह सहित हजारों नगरवासी उपस्थित थे।

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