राम भरोसे हथुआ का अनुमंडलीय अस्पताल

सरकारी अपेक्षाओं का शिकार, दवा नदारद

मुश्ताक खान/ धनंजय पी.सिंह/ गोपालगंज (बिहार)। हथुआ का अनुमंडलीय अस्पताल इन दिनों सरकारी अपेक्षाओं का शिकार है। 108 बेड वाला यह अस्पताल करीब 15 एकड़ में फैला है। जो किसी तरह राम भरोसे चल रहा है। इस अस्पताल में डॉक्टरों के साथ-साथ दवा और अस्पताल कर्मचारियों की भी भारी कमी है। घनी आबादी वाले इस अस्पताल में प्रति दिन दो से ढाई सौ मरीज दस्तक देते हैं। इनमे महिलाएं और बच्चों की संख्या अधिक होती है।

बताया जाता है की प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत बिहार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयुष्मान भारत को धरातल पर उतारा है। जो पुरी तरह फ्लॉप है। वहीं जुमलों वाली बिहार की नीतीश सरकार की पोल परत दर परत खुलती जा रही है।

108 बेड वाले इस अस्पताल में कुल चार डॉक्टर हैं। इनमें दो डॉक्टर्स डेपुटेशन पर हैं। वहीं महिलाओं व बच्चों के लिए यहां कोई विशेष सुविधा नहीं है। घनी आबादी वाले हथुआ अनुमंडल की आबादी करीब सात से दस लाख बताई जाती है। इतनी बड़ी जनसंख्या वाले इस क्षेत्र में 108 बेडों का अस्पताल काफी मायने रखता है। इसमें प्रति दिन दो से ढाई मरीजों की जांच के लिए महज दो डॉक्टर हास्यास्पद है। इसके बाद भी बिहार के मुखिया नीतीश कुमार और स्वास्थ्य मंत्री अपनी पीठ थपथपा रहे हैं। करीब 15 एकड़ में फैले अनुमंडलीय अस्पताल की इमारते अब जर्जर हो चुकी है। इसके अलावा रख रखाव के अभाव में कई जगह से अस्पताल की प्लास्टर भी झड़ने लगे है।

कभी महारानी रामदुलारी कुंवर अनुमंडलीय अस्पताल इन दिनों सरकारी गौरवमयी हुआ करता था लेकिन अब आंसू बहा रहा है। हथुआ राज के जमाने में बनाया गया यह अस्पताल सबिया हवाई अड्डा के निर्माण का समकालीन है। इस अस्पताल में इटली फ्रांस तथा इंग्लैंड से मंगाए गए शल्य चिकित्सा का उपकरण इस्की विशिष्ट पहचान थी। चिकित्सा विभाग के सूत्रों की माने तो पटना मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर तथा दरभंगा मेडिकल कॉलेज के बाद इसकी अलाव पहचान रही है।

मरीजों का 108 बेड वाला संभवतः पहला हॉस्पिटल

इसी अस्पताल परिसर में नर्स ट्रेनिंग स्कूल भी स्थापित है। हालांकि हथुआ (Hathwa) राज परिवार इस अस्पताल के जीर्णोद्धार के प्रति कई बार आर्थिक मदद कर चुका है। इस अस्पताल की विशेषता यह है की अस्पताल के भवन को अगर काफी ऊंचाई से देखा जाए तो पूरे बिल्डिंग की आकृति अंग्रेजी का एच अक्षर में दिखाई देगा। इस संदर्भ में कहा जाता है की अगर युद्ध के समय, दुश्मन देश की सेना हॉस्पिटल पर हमला नहीं करेगा।

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