प्रकृति का पर्व कर्मा धूमधाम के साथ संपन्न

परवइतियों ने जलधारा में करम डाली को प्रवाहित कर भाइयों के लिए मांगे आशीर्वाद

एस. पी. सक्सेना/बोकारो। झारखंड की संस्कृति और प्रकृति का पर्व करमा जगह जगह धूमधाम के साथ मनाया गया। इस अवसर पर परवइतियों ने जलधारा में करम डाली को प्रवाहित कर अपने भाइयों की लंबी उम्र तथा सुखी जीवन के लिए करम देवता से आशीर्वाद मांगे।

जानकारी के अनुसार बोकारो जिला के हद में गोमियां के सुदूर चटरोचट्टी से लेकर चन्दनकियारी के भोजुडीह तथा नावाडीह के सुरही से लेकर कसमार के पिरगुल तक 15 सितंबर को कर्मा पर्व की धूम रही।

बताया जाता है कि चटरोचट्टी नदी तट पर जहां परवइतियों ने जलधारा में करम डाली को प्रवाहित कर अपने भाइयों की लंबी उम्र तथा सुखी जीवन के लिए करम देवता से आशीर्वाद मांगे। इससे पूर्व परवइति महिला तथा युवतियां नदी तट पर करम गीत गाकर लोकनृत्य की।

वहीं बेरमो प्रखंड के बोड़िया वस्ती की सैकड़ो परवइतियों ने लोकगीत गाना गाते हुए सर पर करम डाली के साथ बोकारो थर्मल मार्ग पर कोनार नदी तट पर पहुंचकर फल आदि से करम देवता की पूजा अर्चना की। इसके बाद करम डाली को श्रद्धापूर्वक जलधारा में प्रवाहित की। इससे पूर्व बीते कई दिनों से परवइतियों द्वारा करम देवता की प्रतिमा स्थापित कर रात्रि में पूजा पाठ की जा रही थी।

इस दौरान महिलाएं तथा बच्चियां एक दूसरे के कमर में हांथ डालकर झूमते हुए पारंपरिक लोक नृत्य व् गीत प्रस्तुत की। कई जगहों पर ढोल झाल के साथ कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। ज्ञात हो कि करम पर्व झारखंड की संस्कृति और प्रकृति को दर्शाता है, जिसमें रहिवासी अपने पारंपरिक गीतों, नृत्यों और पूजा-अर्चना के माध्यम से करम बाबा की पूजा करते हैं।

इस पर्व में महिलाएं और युवतियां अपने भाइयों की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए करम बाबा से प्रार्थना करती हैं। इस वर्ष लगातार बारिश के बावजूद परवइतियों के उत्साह में कोई कमी नहीं दिखाई दी। सभी ने मिलकर करम पर्व को धूमधाम से मनाया। जिसमें लगभग सभी जगहों में स्थानीय रहिवासियों ने भी इस पर्व में भाग लिया और झारखंडी संस्कृति को बढ़ावा देने में सहयोग किया।

बताया जाता है कि बोकारो जिला के हद में भोजुडीह, पुपुनकी, पिंडराजोरा, तारानगर, चास, कुर्मीडीह, जैनामोड़, मानगो, तुपकाडीह, तांतरी, पिछरी, फुसरो, दुग्दा, तेलो, अलारगो, बिरनी, मुंगो, उपरबँधा, गुंजरडीह, तारमी, फुलवरिया, चिरुडीह, तरंगा, असुरबांध, सुरही, नावाडीह, ताराटांड़, चपरी, पलामू, नारायणपुर, हरलाडीह, गोनियाटो, कंजकिरो, बोकारो थर्मल, आदि।

बोड़िया वस्ती, कथारा, जारंगडीह, कुरपनिया, जारीडीह बाजार, बांध वस्ती, झिरकी, नैनाटांड़, साड़म, तुलबुल, ललपनिया, होसिर, देवीपुर, कर्माटांड़, वनचतरा, कतवारी, चटरोचट्टी, चुट्टे, बिरसा, तिस्कोपी, उलगड्डा, पेटरवार, खेतको, चांपी, छपरगढ़ा, अंबाटोला, कसमार, खैराचातर, पिरगुल, मधुकरपुर आदि ग्रामीण इलाकों में भी करमा पर्व धूमधाम से मनाया गया।

यहां की युवतियों तथा महिलाओं ने निर्जला उपवास कर अपने भाइयों के लिए करम देव की उपासना की। यह पर्व प्राकृतिक संरक्षण के प्रति रहिवासियों को जागरूक करता है। साथ हीं सामाजिक सद्भावना को बढ़ावा देता है।

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