राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ वैशाली जिला कमिटी ने मनाया कर्तव्य-बोध दिवस

राष्ट्र हित में शिक्षा, शिक्षा हित में शिक्षक व् शिक्षक हित में समाज विषय गोष्ठी का आयोजन

अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। सारण जिला के निकटवर्ती वैशाली जिला मुख्यालय हाजीपुर के उदासीन संस्कृत महाविद्यालय में 2 फरवरी को अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की वैशाली जिला इकाई के बैनर तले कर्तव्य-बोध दिवस मनाया गया।

इस अवसर पर राष्ट्र के हित में शिक्षा, शिक्षा के हित में शिक्षक और शिक्षक के हित में समाज विषय पर वृहद गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ग्रामीण विकास अभिकरण एवं स्वनियोजन के निदेशक डॉ ओम राजपूत ने शिक्षा के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शिक्षा का सबसे बड़ा उद्देश्य चरित्र निर्माण और राष्ट्र का नव निर्माण है। उन्होंने कहा कि भारत की सांस्कृतिक और शैक्षणिक विरासत अति प्राचीन है। इसको सहेज कर रखना आने वाली पीढी के लिए आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि समाज में शिक्षकों की भूमिका अति महत्वपूर्ण है। यह बात सरकार और संपूर्ण समाज को समझना होगा। वर्तमान में शिक्षकों की वास्तविक स्थिति पर पुनः मंथन करने की आवश्यकता है। उन्होंने अपने संबोधन में शिक्षा व्यवस्था की प्राचीन पद्धति और मैकाले की पद्धतियों के बीच अंतर स्पष्ट किया और भारतीय शिक्षा प्रणाली को बेहतर बताया।

गोष्ठी में विचार व्यक्त करते हुए वरिष्ठ पत्रकार व् साहित्यकार सुरेन्द्र मानपुरी ने कहा कि वही शिक्षा कल्याणकारी है, जो बच्चों को वेल क्वालीफाइड बनाए। उन्होंने कहा कि समाज में अभी दो तरह की शिक्षा है। एक शिक्षा बच्चों को हाइली क्वालीफाइड बना देती है, लेकिन उसे सही शिक्षा या वेल क्वालिफिकेशन नहीं कहा जा सकता है। सही शिक्षा तो वह है जो भारतीय संस्कृति के मूल्यों की रक्षा कर सके। ऐसी शिक्षा ही सत्य सनातन मानी जाएगी। कहा कि वेल क्वालीफाइड व्यक्तियों की पहली पहचान यह है कि उसके केंद्र में राष्ट्र होता है और जो समाज को तोड़ती नहीं, बल्कि जोड़ती है।

अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षणिक महासंघ के उत्तर क्षेत्र प्रमुख डॉ पंकज सिंह ने कहा कि हम केवल शिक्षकों की ही बात ही नहीं करते, बल्कि शैक्षिक मूल्यों के विकास पर जोर देते हैं। हम केवल अधिकार की बात नहीं करते, बल्कि अपने कर्तव्य बोध पर ज्यादा बल देते हैं। कहा कि कर्तव्य के बिना अधिकार का कोई महत्व नहीं है। राष्ट्रपति पुरस्कार से पुरस्कृत शिक्षक राजमंगल सिंह ने कहा कि आज शिक्षक हाजिरी बनाने के लिए जल्दी स्कूल पहुंचने के लिए बेचैन हैं।

यह कैसी शिक्षा व्यवस्था है। केके पाठक और एस सिद्धार्थ के समय में बिहार में शिक्षा व्यवस्था चौपट हो गई है। आरएसएस के जिला सह संघ चालक प्रहलाद चौरसिया, विभाग सह संघचालक शंभुनाथ सिंह, अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के क्षेत्र प्रमुख डॉ पंकज सिंह, प्रदेश महामंत्री ज्ञानेंद्र नाथ सिंह, हाई स्कूल मकदुमपुर पोखरैरा के प्रधानाध्यापक राजेश कुमार, आदर्श मध्य विद्यालय सराय के पूर्व प्रधानाध्यापक एवं राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित राजमंगल प्रसाद सिंह आदि ने भी अपने-अपने विचार रखें।

विचार गोष्ठी में मंच का संचालन महासंघ के जिला महामंत्री पप्पू कुमार सिंह कर रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता संघ के जिलाध्यक्ष राजेश कुमार ने की। इस अवसर पर कार्यालय प्रभारी धनंजय मिश्रा, कोषाध्यक्ष मृत्युंजय सिंह मुन्ना, जिला संघ चालक दिलीप कुमार, आलोक रंजन, अरुण कुमार सिंह, रामजी सिंह शिक्षक आदि ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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