सकारात्मक वार्ता के बाद मोर्चा का धरना तीसरे दिन समाप्त

एस. पी. सक्सेना/बोकारो। रैयत विस्थापित मोर्चा द्वारा बोकारो जिला के हद में जारंगडीह आउटसोर्सिंग साइड (Outsourcing side) में दिए जा रहे बीते 27 जून से जारी अनिश्चितकालीन धरना तीसरे दिन 28 जून को कथारा क्षेत्रीय प्रबंधन के साथ सकारात्मक वार्ता के बाद समाप्त हो गया।

रैयत विस्थापित मोर्चा द्वारा अनिश्चितकालीन चक्का जाम धरना कार्यक्रम क्षेत्र के महाप्रबंधक हर्षद दातार की अनुपस्थिति में प्रभारी महाप्रबंधक डीके गुप्ता के साथ सकारात्मक वार्ता के बाद समाप्त किया गया।

वार्ता में 20 सूत्री मांगों के आलोक में विचार-विमर्श कर आगामी 14 जुलाई को जमीन के मुद्दे के निपटारा को लेकर सीसीएल मुख्यालय रांची से उच्च अधिकारियों के साथ कथारा में बैठक आहूत की जाएगी। वार्ता में रैयतों को रोड सेल में भागीदारी देने, बीकेबी आउटसोर्सिंग कंपनी में प्राथमिकता के आधार पर बहाली करने, सीएसआर योजना को सही ढंग से धरातल पर लागू किए जाने पर सहमति बनी।

मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष इकबाल हुसैन ने कहा कि तीन दिन से चला आ रहा अनिश्चितकालीन चक्का जाम आंदोलन को प्रबंधन के द्वारा सकारात्मक पहल के बाद समाप्त करने की घोषणा की गयी है। इससे पूर्व उन्होंने धरना प्रदर्शन कर रहे आसपास के लगभग 15 गांव के विस्थापित रहिवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि रैयत विस्थापितों को एकजुट होकर लड़ाई लड़ने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि हम एकजुट रहेंगे तभी इस 969 एकड़ जमीन के बदले प्रबंधन को नौकरी और मुआवजा देना होगा। इसे प्रबंधन को हर हाल में स्वीकार करना होगा। उन्होंने कहा कि आज पुरे झारखंड में विस्थापितों पर लगातार शोषण और जुल्म हो रहा है।

हमारी जमीन है लेकिन हमें अपने जमीन के बदले में सड़क पर उतरकर अपने हक एवं अधिकार के लिए आंदोलन करना पड़ रहा है। चाहे वह सीसीएल का एनके से बीएंडके अथवा सेल या डिवीसी ही क्यों न रहा हो।जबकि जिसका यहां कुछ भी नहीं है वह आज बाबू बन बैठा है।

राष्ट्रीय सचिव सैनाथ गंजू ने कहा कि वर्ष 2016 में विस्थापितों का एक संगठन बनाया गया था। विस्थापितों ने वर्ष 2011 से 2016 तक इस मुद्दे पर लड़ाई लड़े। उन्होंने कहा कि सीसीएल के पूर्व सीएमडी गोपाल सिंह के समक्ष आंदोलन किया गया। उस समय आर आर कमिटी का गठन किया गया जिसमें पांच विस्थापित और पांच प्रबंधन की कमेटी बनाई गयी थी।

जिसे आर आर कमिटी नाम दिया गया था। यह विस्थापितों की पहली जीत थी। जेपी महाराज ने कहा कि हक और अधिकार के लिए हमें एकजुट होकर जुल्म और शोषण के लिए घर से बाहर होकर लड़ाई लड़नी होगी। तभी हम जीत हासिल कर पाएंगे।

मोर्चा के कोषाध्यक्ष एवं जिप सदस्य अशोक मुर्मू ने कहा कि झारखंड का इतिहास रहा है कि बिना आंदोलन किए हमें कुछ भी नहीं मिला है। इसलिए आपको आंदोलन से घबराने की जरूरत नहीं है।

इस अवसर पर संपन्न वार्ता में प्रबंधन की ओर से प्रभारी महाप्रबंधक डीके गुप्ता, क्षेत्रीय प्रबंधक योजना एवं परियोजना सतानंद शर्मा, क्षेत्रीय प्रबंधक कार्मिक एवं प्रशासन जयंत कुमार, जारंगडीह के परियोजना पदाधिकारी नवल किशोर दुबे, महाप्रबंधक कार्यालय के उप कार्मिक प्रबंधक गुरु प्रसाद मंडल, उप प्रबंधक सीएसआर चंदन कुमार, तकनीकी सचिव जयंत साहा,आदि।

महाप्रबंधक के वरीय निजी सहायक निरंजन विश्वकर्मा, जबकि रैयत विस्थापित मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष इकबाल हुसैन, राष्ट्रीय सचिव सैनाथ गंजू, जेपी महाराज, जिला पार्षद अशोक मुर्मू, मोर्चा के जारंगडीह शाखा अध्यक्ष मोहम्मद इस्लाम अंसारी, सचिव फिनी राम सोरेन, रुस्तम अंसारी, अजीबुल्ला, मोहम्मद रज्जाक, मोहम्मद जलील, मोहम्मद नौशाद, सुखदेव मुर्मू, बद्री मुंडा, आदि।

अर्जुन हेंब्रम, मोहम्मद शकील, राजू परवेज, शमशुल हक, आलम रजा, शाने रजा, बेलाल अहमद, अर्जुन हेंब्रम, हीरालाल मुर्मू, सुखदेव राम, कथारा पंचायत के पूर्व मुखिया मोहम्मद मुस्ताक अंसारी, मोहम्मद नौशाद, मोहम्मद यूनुस, मोहम्मद परवेज आदि शामिल थे।

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