नवयुवक समिति के सभागार में मासिक कवि सम्मेलन सह मुशायरा

एस. पी. सक्सेना/मुजफ्फरपुर। मुजफ्फरपुर शहर के सरैयागंज स्थित श्री नवयुवक समिति सभागार में 26 नवंबर को नटवर साहित्य परिषद द्वारा मासिक कवि सम्मेलन सह मुशायरा का आयोजन किया गया। कवि सम्मेलन व् मुशायरा की अध्यक्षता सत्येंद्र कुमार सत्येन, मंच संचालन विजय शंकर मिश्र तथा धन्यवाद ज्ञापन संयोजक सुमन कुमार मिश्र ने किया। उक्त जानकारी मुजफ्फरपुर की युवा कवियित्री सविता राज ने दी।

बताया कि कवि सम्मेलन की शुरुआत आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री के गीत से किया गया। इसके बाद सृजन गवाक्ष पत्रिका के संपादक डॉ विजय शंकर मिश्र ने आदमी वह घोड़ा है जिसका लगाम वक्त के हाथों में है प्रस्तुत कर तालियां बटोरी।फिरोज अख्तर ने मैं जो भी मांगता ऐसी मां हमारी थी सुनाकर भरपूर तालियां बटोरी। डॉ जगदीश शर्मा ने धड़कनें दिल की सुनने को डाला आला है प्रस्तुत की। रामवृक्ष राम चाकपुरी ने अलाब की रौशनी में जी रहा सुनाकर तालियां बटोरी।

इस अवसर पर कवि लोकनाथ मिश्र ने सूचनाओं का जाल, फंसता जा रहा मछली की भांति सुनाकर व्यंग के फब्बारे छोड़े। अरुण कुमार तुलसी ने आजादी मिली है हमें फरियादी जमात में कविता प्रस्तुत की। सत्येंद्र कुमार सत्येन ने भोजपुरी रचना केता दिन से मन करेला तनि रेलवा संगे संगे घूमती सुनाकर वाहवाही बटोरी।

उमेश राज की रचना मानूं तो मैं संविधान मानूं न मानूं तो रहता अज्ञानी जमकर वाहवाही मिली। सुमन कुमार मिश्र ने उस शख्स से अक्सर बचकर रहना चाहिए दोस्तों, जो कुछ कहने से पहले मुस्कुराता बहुत है प्रस्तुत कर वर्तमान स्थिति का आकलन प्रस्तुत किया।

कवि सम्मेलन में मुजफ्फरपुर की युवा कवियित्री सविता राज ने गजल सोचती हूं मुझे क्या से क्या दे गया, एक उलझा हुआ वास्ता दे गया सुनाकर महफ़िल में शमां बांध दी। ओम प्रकाश गुप्ता ने चलो कहीं और बनाएं आशियां सुनाकर तालियां बटोरी। विजय शंकर प्रसाद ने प्रतिमाओं हेतु माटी कर दर्द सुनाई।शशि रंजन वर्मा ने भोजपुरी रचना समय के साथे जे चले ई, ओकरे साथ देला सुनाई।

सोहनलाल आजाद ने मैं सदाबहार मतदाता हूँ सुनाई। यशपाल कुमार तू हम सबसे मुंह मोड़ते, अपनी सांसों को छोड़ते सुनाई। कवि विवेकानन्द शाही ने हम उस भू-भाग के वासी हैं जिस भाग में गंगा बहती है सुनाई। सौरभ प्रभात ने योग को, ध्यान को नव दिशा दे सकूं सुनाई। मुन्नी चौधरी ने काश नगमा पिघल जाता, बैठी हूं कब से गजल सुनाई।

जबकि, अंजनी कुमार पाठक ने इंडिया में रहो या भारत में रहो कविता सुनाई। ऊषा किरण श्रीवास्तव ने संविधान दिवस पर बाबा भीमराव की प्रस्तुति की। डॉ मोहम्मद शिवतुल्लाह हमीदी ने नफरतों को मिटा कर देखिए सुनाई। मौके पर यश राज, रवि कुमार, सुरेंद्र कुमार आदि उपस्थित थे।

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