शाहाबाद महोत्सव की तैयारी के लिए केंद्रीय संयोजक की उपस्थिति में बैठक

भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल ना होना दुर्यभाग्यपूर्ण-अखिलेश कुमार

एन. के. सिंह/फुसरो (बोकारो)। बिहार के जगदीशपुर में आगामी 12 और 13 नवंबर को शाहाबाद भोजपुरी महोत्सव आयोजित किया जा रहा है। यह महोत्सव बाबू वीर कुंवर सिंह की 245वीं जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाएगा।

इसी की तैयारी और विचार विमर्श को लेकर आयोजन समिति के केंद्रीय संयोजक अखिलेश कुमार अपने सहयोगी संजय पासवान के साथ 26 अक्टूबर को बोकारो जिला के हद में फुसरो नगर परिषद के मकोली स्थित ऑफिसर क्लब पहुंचे।

शाहाबाद महोत्सव को सफल बनाने के लिए अखिलेश कुमार पूरे झारखंड का दौड़ा करने के निमित्त हजारीबाग से फुसरो पहुंचे। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व मुखिया सह समाजसेवी ललन सिंह तथा संचालन भोजपुरी साहित्य सम्मेलन के महासचिव अभय सिंह ने किया।

इस अवसर पर संयोजक कुमार ने कहा कि यह कार्यक्रम भोजपुरी समाज के उत्थान के लिए बाबू कुंवर सिंह के जन्म स्थल भोजपुर जिला के हद में जगदीशपुर में आयोजित किया जाएगा। सभी को आमंत्रित करने के उद्देश्य से उनके द्वारा झारखंड के विभिन्न शहरों में जाकर निमंत्रण दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि भोजपुरी समाज के लोग अपना मिट्टी, अपने इतिहास, कला, संस्कृति को याद करने तथा पूर्वजों को याद करने हेतु इस कार्यक्रम में अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर भाग ले।

उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में देश के नामी-गिरामी शख्सियत शामिल होने जा रहे हैं। जिसमें कई मंत्री, सांसद, विधायक सम्मिलित होंगे। कुमार ने कहा कि भोजपुरी भाषा दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाती है। पूरे देश स्तर पर भोजपुरी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की जा रही है।

इसके बावजूद अभी तक नही हुई है। उसके लिए लगातार भोजपुरी समाज के लोग संघर्ष कर रहे है। उन्होंने कहा कि शाहाबाद भोजपुर के लोग देश के विभिन्न स्थानों पर जाकर राजनीतिक स्तर पर अपनी पहचान बनाते हुए प्रतिनिधित्व कर रहे है। इसके बावजूद दुर्भाग्यपूर्ण है कि भोजपुरी भाषा को आठवीं अनुसूची में अभी तक शामिल नहीं किया गया है।

बताया कि पूर्व में शाहाबाद जिला हुआ करता था। उसी से भोजपुर, रोहतास, बक्सर और कैमूर जिला बना है। उन्होंने कहा कि ग्रंथ पुराणों के अनुसार हमारे यहां तीन युग चला है, अभी चौथा कलियुग चल रहा है। जिसमें सबसे महत्वपूर्ण युग सतयुग है। इस युग में राजा हरिश्चंद्र का पुत्र का जन्म वहीं हुआ था।

उन्होंने बताया कि हमारे यहां महोत्सव में सभी पूर्वजों का तैलीय चित्र लगाया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य लोग अपने पूर्वजों को जाने। हमारे यहां का नृत्य, संगीत तथा खाद सामग्री का प्रस्तुति की जाती है।

झारखंड में भोजपुरी भाषा के विरोध के संदर्भ में उन्होंने कहा कि जैसे भाजपा पर यहां की सरकार इल्जाम लगाते है कि यह हिंदू, मुस्लिम कर रहे हैं। वही काम यहां की वर्तमान सरकार कर रही है। कुमार ने कहा कि झारखंड को सींचने में बिहार वासियों का अमूल्य योगदान रहा है।

उसी तरह बिहार को सींचने   में झारखंड वासियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इस कारण प्रत्येक राजनीतिक दल को तोड़ने की नहीं जोड़ने की राजनीति करनी चाहिए।

मौके पर अनिल कुमार सिंह, जितेंद्र त्रिपाठी, गुप्तेश्वर प्रसाद सिंह, प्रमोद सिंह, राजू सिंह, बैजनाथ प्रसाद, एके सिंह, विकास सिंह आदि उपस्थित थे।

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