फिर लौट सकता है दोना-पत्तल का दौर-मंजूनाथ भजंत्री

नष्ट होने में हजार वर्ष और कैंसर जैसे कई गंभीर बीमारियों का मुख्य कारण है थर्मोकोल-उपायुक्त

एस.पी.सक्सेना/देवघर (झारखंड)। देवघर जिला उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री (Deoghar district deputy commissioner Manjunath bhajantri) ने पर्यावरण संरक्षण और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से जिला, प्रखंड, पंचयात स्तर के अधिकारियों,आदि।

कर्मचारियों से अपील करते हुए कहा कि सप्ताह के एक दिन रविवार को अपने खान-पान के दौरान दोना-पत्तल से बने प्लेट-कटोरी आदि का इस्तेमाल अवश्य करें। ताकि एक सकारात्मक सोच के साथ सभी की जनभागीदारी सुनिश्चित की जा सके।

उपायुक्त भजंत्री ने कहा कि कोई समय था जब शादी या किसी समारोह में विभिन्न प्रकार के पेड़ों के पत्तों से बनने वाले दोना-पत्तल का प्रयोग खाना परोसने के लिए किया जाता था। पिछले कुछ दशकों से इनका प्रचलन लगभग समाप्त हो गया है।

कारण कुछ भी रहा हो, लेकिन इनका स्थान थर्माकोल और प्लास्टिक से बनने वाले दोना-पत्तलों ने ले लिया था। आज के समय में थर्मोकोल से बने सामान होने वाली अनेक बीमारियों का मुख्य कारण है। ऐसे में आवश्यक है कि ईको फ्रेंडली कॉन्सेेप्ट की दिशा में प्रत्येक रविवार को पत्तों से बने दोना-पत्तलों का उपयोग कर लोगों को इस दिशा में सोचने के लिए जागरूक करें।

उन्होंने कहा कि देवघर जिला के हद में कई स्थानों पर थर्माकोल से बने सामानों के प्रतिबंध लगाने से बाजार में फिर पेड़ के पत्तों से बने दोने-पत्तलों की मांग बढ़ी रही है, जिनसे कई क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं।

साथ ही इस दिशा में पुराने जमाने के कॉन्सेप्ट को अपडेट वर्जन के साथ *#DeogharMart* से भी जोड़ा गया है। जो बिजनेस भी बढ़ाएगा और लोगों को रोजगार भी देगा। वही दूसरी ओर विभिन्न प्रखंडो में महिला समूहों द्वारा पत्ते से दोना-पत्तल बनाने के कार्य को गति देने में सहयोग कर सकते हैं।

सबसे महत्वपूर्ण पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि पत्ते से बने दोना-पत्तल में भोजन करना स्वास्थ्य के लिए तो फायदेमंद है ही साथ ही ये पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचाते हैं, जबकि प्लास्टिक और थर्माकोल के प्लेट, कटोरी हमारे शरीर और पर्यावरण के लिए अत्यंत हानिकारक है।

वही दूसरी ओर थर्माकोल को नष्ट करना नामुमकिन है। इनमें आग लगाने से कई गंभीर बीमारियों के अलावा कैंसर कारक हानिकारक गैस निकलती हैं। जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है। ऐसे में स्वच्छ सुंदर व स्वस्थ्य देवघर बनाने में जिले के सभी लोगों का सहयोग जिला प्रशासन को अपेक्षित है।

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