फाइलेरिया रोधी दवा खाकर राज्य क फ़ाइलेरिया मुक्त करें-स्वास्थ्य मंत्री

एस.पी.सक्सेना/रांची (झारखंड)। झारखंड सरकार राज्य (Jharkhand state government) से फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर प्रतिबद्ध है।

इसी के दृष्टिगत सरकार द्वारा 23 अगस्त से राज्य के फाइलेरिया प्रभावित 12 जिलों यथा- गिरिडीह, चतरा, दुमका, पुर्वी एवं पश्चिमी सिंहभूम, गढ़वा, गोड्डा, हजारीबाग, खुंटी, लोहारदगा, रांची एवं सिमडेगा में मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) कार्यक्रम का प्रारंभ किया गया।

उपरोक्त जिलों में एमडीए कार्यक्रम दिनाकं 27 अगस्त तक चलेगा। एमडीए कार्यक्रम प्रारंभ होने पर झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने स्वयं फ़ाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन किया।

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि राज्य सरकार महत्वपूर्ण स्वास्थ्य और विकास लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु निरंतर प्रयत्नशील है। मंत्री ने कहा कि सरकार इस कठिन कोरोना काल के समय में भी दूसरी स्वास्थ्य योजनाओं के प्रति अति संवेदनशील है। इसके उन्मूलन हेतु निरंतर कार्यक्रम चला रही है।

उन्होंने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कुशल नेतृत्व में झारखंड सरकार फाइलेरिया उन्मूलन के लिए अथक प्रयास कर रही है । सरकार प्रतिबद्ध हैं। साथ हीं इस बात के लिए पूरी तरह आश्वस्त हैं, कि झारखंड से फ़ाइलेरिया का उन्मूलन बहुत शीघ्र होगा।

उन्होंने कहा कि फ़ाइलेरिया रोधी दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं। फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन प्रशिक्षित दवा प्रशासकों के सामने ही करें एवं समृद्ध झारखंड, स्वस्थ झारखंड एवं उन्नत झारखंड की परिकल्पना को साकार बनायें।

उन्होंने कहा कि 23 अगस्त से प्रारंभ किये गए मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम में राज्य के 11 जिलों में दो दवा यानी डीईसी और अल्बेंडाजोल और सिमडेगा में तीन दवा यानि  डीईसी, अल्बेंडाजोल और आइवरमेक्टिन दवाएं लाभुकों को प्रशिक्षित दवा प्रशासकों द्वारा कोविड-19 के आदर्श मानकों का अनुपालन करते हुए अपने सामने ही खिलाई जा रहीं हैं। इस बात पर विशेष ध्यान रखा जा रहा है कि कोई भी लाभुक खाली पेट दवा बिलकुल न खाएं।

झारखंड के अभियान निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उमाशंकर सिंह ने कहा कि फाइलेरिया एक सार्वजानिक स्वास्थ्य की जटिल समस्या है। इसके सफ़ल किर्यन्वयन हेतु स्वास्थ्य विभाग निरंतर प्रयासरत तथा दृढ़ संकल्पित है।

उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत 23 अगस्त से 27 अगस्त के बीच फाइलेरिया प्रभावित 12 जिलों में इस कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है।

11 जिलों में दो दवायें यानि डीईसी और अल्बेंडाजोल और सिमडेगा में तीन दवायें यानी डीईसी, अल्बेंडाजोल और आइवरमेक्टिन के साथ मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम कोविड-19 के मानकों का अनुपालन करते हुए किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम की सफलता तभी संभव है जब इसमें जन सहभागिता हो।

उन्होंने सभी लाभुकों से अपील किया कि वे दवा प्रशासकों के सामने ही खायें। उन्होंने कहा कि एक साल से कम उम्र के बच्चे, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रूप से बीमार लोगों को छोड़कर सभी को दवा का सेवन करना है।

इस अवसर पर डॉ एस. एन. झा, राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, वीबीडी, झारखंड ने बताया कि इस एमडीए कार्यक्रम को पूर्णतया सफल बनाने के लिए जिला स्तर पर सभी ज़रूरी तैय्यारियाँ की जा चुकी हैं।

उपरोक्त 12 जिलों की लगभग 2 करोड़ 2 लाख की आबादी के कुल 1 करोड़ 78 लाख लक्षित लाभुकों को फ़ाइलेरिया रोधी दवाओं के सेवन करवाने हेतु 12 जिलों में कुल 71,234 कर्मियों और कार्यक्रम की निगरानी हेतु कुल 7,123 पर्यवेक्षक लगाये गये है।

उन्होंने कहा कि किसी भी विषम परिस्थितियों से निपटने हेतु सभी जिलों में रेपिड रेस्पॉन्स टीम का गठन किया गया हैं। कार्यक्रम के दौरान गुणवत्ता बनायें हेतु हर दिन ब्लाक स्तर पर बैठक की जायेगी।

उन्होंने कहा कि कार्यक्रम की सफलता के लिए संबंधित विभागों एवं सहयोगी संस्थाओं का संयुक्त सहयोग भी लिया जा रहा है। कार्यक्रम के दौरान कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए सभी सुरक्षा सावधानियों (स्वच्छता, मास्क और दो गज की दूरी) को अपनाने के महत्व को ध्यान में रखा जायेगा।

साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जायेगा कि सभी पात्र लाभुक दवाओं का सेवन दवा प्रशासकों के सामने ही करें। आशा है कि स्वास्थ्य  विभाग के समस्त अधिकारियों, कर्मचारियों, फ्रंट लाइन वर्कर्स, सहयोगी संस्थाओं और समुदाय के सहयोग से शत-प्रतिशत लाभुकों को फाइलेरिया रोधी दवायें खिलाई जाने के उद्देश्य में राज्य अवश्य सफल होगा।

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