आदिवासी मूलवासी के जमीनों की लूट अब बर्दाश्त नहीं-विजय शंकर नायक

एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। झारखंड में आदिवासी मूलवासी समाज के जमीनों की हो रही लूट को अब बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। झारखंड की हेमंत सरकार धृतराष्ट्र न बन गया है। सीएम इस मामले में संज्ञान ले, नही तो जमीन दलालो का सेंद्रा किया जायेगा।

उपरोक्त बातें 12 जुलाई को आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष विजय शंकर नायक ने आदिवासी मूलवासी समाज की एवं सरकारी जमीनों की खासकर झारखंड की राजधानी रांची में हो रही व्यापक लूट पर प्रतिक्रिया में उक्त बातें कही।

उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा दु:खद पहलू यह है कि सरकार इन भू-माफियाओं एवं जमीन को लूटने वाले असामाजिक तत्वों पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं कर रही है, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि जमीन की लूट सरकार के संरक्षण में की जा रही है।

नायक ने राज्य के सभी सीओ, राजस्व कर्मचारी तथा जमीन दलालो के निजी चल अचल संपत्ति की जांच सेवानिवृत्त न्यायाधीश एवं भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की एक टीम बनाकर एसआईटी का गठन कर जांच की मांग की है।

नायक ने कहा कि भूमि माफियाओं एवं सीओ पर विशेष निगाहें रखी जाए। जमीन के पंजी वन एंव पंजी टु में हेर फेर कर रहे वैसे पदाधिकारीयों तथा अंचल कर्मचारियों को सेवा से तुरंत बर्खास्त किया जाय, ताकि हो रहे जमीन की लूट को रोका जा सके।

नायक ने कहा कि राज्य के निर्माण के बाद से ही जमीन की व्यापक रूप से लुट की जा रही है। चाहे बीजेपी की सरकार हो चाहे कांग्रेस अथवा जेएमएम गठबंधन की सरकार हो। सभी ने जमीन माफियाओ पर कभी भी लगाम लगाने का ठोस पहल नहीं किया। जिसका परिणाम है कि आज जमीन दलाल, भू माफिया झारखंड में नंगा नाच करने का काम कर रहे हैं।

इस नंगा नाच में पुलिस और अंचल के कर्मचारी तीनों गठबंधन कर इस लूट में शामिल है। जिसे अब रोका जाना चाहिए अन्यथा झारखंड के दलित आदिवासी मूलवासी समाज अपने जमीन की रक्षा हेतु एवं जमीन की हो रही लूट के खिलाफ व्यापक रुप से उलगुलान करने का काम करेगी।

जिसे सरकार को संभालना मुश्किल हो जाएगा। व्यापक रूप से फिर हिंसा की घटना भी हो सकती है, जिसके जिम्मेवार सरकार, शासन एवं प्रशासन पर होगी ना कि झारखंड के दलित आदिवासी मूलवासी समाज पर।

 72 total views,  1 views today

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *