एस. पी. सक्सेना/पटना (बिहार)। बिहार की राजधानी पटना के कदमकुआ स्थित बिहार साहित्य सम्मेलन में वैश्य पोद्दार महासभा द्वारा आयोजित लोक पंच की प्रस्तुति नाटक क़ातिल खेत का मंचन 25 जून को किया गया।
चर्चित टीवी कलाकार मनीष महिवाल के निर्देशन में लेखक इश्तियाक अहमद द्वारा रचित नाटक कातिल खेत में क्षणिक लाभ के चक्कर में जैविक खेती को छोड़कर दलाल प्रवृत्ति के बिचौलिया के चक्कर में किसान की स्थिति को दर्शाया गया है।
उक्त नाटक क़ातिल खेत जैविक खेती पर आधारित है। नाटक के माध्यम से दिखाया गया है कि एक किसान जो अपनी किसानी से खुश है। वह अपने खेती लायक जमीन से थोड़ा-थोड़ा अपनी जरूरत की सभी खाद्य सामग्री उगाता है।
एक दिन किसान को हल जोतते समय खेत में एक चिराग मिलता है। वह चिराग को साफ करता है, तभी उसके अंदर से जिन्न निकलता है और सलाह देता है कि तुम अपने खेत में रसायनिक खाद का उपयोग करो। उपज 5 गुना होगा। एक बार में एक फसल लगाओ तो और ज्यादा फायदा होगा। इसके लिए खर्च थोड़ा ज्यादा लगेगा।
जबकि किसान की पत्नी किसान को यह सलाह मानने से बार-बार मना करती है। किसान अपनी अर्धगनी की बात नहीं मानता। वह कर्जा, पईचा लेकर खेती शुरू करता है। बार-बार कर्ज लेता है, पर समय पर चुका नहीं पाता है। कर्ज के बोझ तले दबे होने के कारण किसान को कर्ज उतारने के लिए मजबूरन अपने सारे फसल और अपनी जमीन से हाथ धोना पड़ता है। अंत में वह आत्महत्या कर लेता है।
प्रस्तुत नाटक कातिल खेत में किसान की भूमिका नाटक के निर्देशक मनीष महिवाल निभाई है। उस किसान की पत्नी की भूमिका प्रियांका सिंह, जिन्न की भूमिका गुलशन कुमार, पहला बैल की भूमिका अरबिंद कुमार, दूसरा बैल की भूमिका कृष्ण देव, ग्रामीण की भूमिका राम प्रवेश, मुखिया की भूमिका अभिषेक तथा मुंशी जी की भूमिका में कलाकार राम प्रवेश हैं।
प्रस्तुत नाटक में मंच से परे संगीत रोहित चंद्र एवं अभिषेक राज ने दिया हैं। जबकि मंच व्यवस्था राम प्रवेश, प्रॉपर्टी कृष्ण देव, मेकअप रोज सिंह, परिवहन अरबिंद कुमार, फोल्डर अभिजीत चक्रवर्ती, वस्त्र विन्यास रितिका, प्रस्तुती नियंत्रक आर के पोद्दार के हैं।
139 total views, 1 views today