लोक पंच द्वारा गांधी प्रतिमा के समक्ष नाट्य शिक्षक की बहाली का मंचन

एस. पी. सक्सेना/पटना (बिहार)। बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान के गांधी प्रतिमा के समीप 24 फरवरी की संध्या 5 बजे लोक पंच की प्रस्तुति नाटक नाट्य शिक्षक की बहाली का मंचन किया गया।

उक्त जानकारी नाट्य शिक्षक की बहाली नाटक के लेखक व् निर्देशक मनीष महिवाल ने दी। महीवाल के अनुसार उक्त नाटक का कथासार इस प्रकार है कि इस नाटक की शुरुआत एक हास्य दृश्य से होता है। इसमें कुछ अभिनेता नाटक के एक दृश्य का पूर्वाभ्यास कर रहे हैं।

बार-बार कोशिश करने पर भी दृश्य तैयार नहीं हो पाता है। इस दृश्य के माध्यम से दर्शकों को सहज ही पता चल जाता है कि एक निर्देशक को नाटक तैयार करने में कलाकारों के साथ कितनी मेहनत करनी पड़ती है।

उक्त नाट्‍य प्रस्तुति में दिखाया गया है कि कैसे रंगकर्मी समाज का आईना होते हैं। नाटक में रंगकर्मियों के व्यक्तिगत जीवन के संघर्ष की अलग अलग कहानियों को दिखाया गया है। जिसमें एक रंगकर्मी के जीवन के उस पहलू को उकेरा गया है, जहाँ वह पढ़ाई के बाद भी अपने परिवार और समाज में उपेक्षित है।

उसे स्कूल तथा कॉलेज में एक अदद नाट्य शिक्षक की नौकरी भी नहीं मिल सकती है। क्योंकि हमारे यहां नाटक के शिक्षकों की बहाली का कोई नियम नहीं है। इस मुखर सवाल पर आकर नाटक दर्शकों के लिए रंगकर्मियों के जीवन संघर्ष से जुड़ा निम्‍न सवाल भी छोड़ जाता है, कि रंगकर्मी क्या करें?

बताया गया है कि नाटक खत्म होने के बाद दर्शक तालियां बजाते हैं। स्मृति चिन्ह देकर व ताली बजाकर दर्शक उन्हें सम्मानित करते हैंl
यही रंगकर्मी जब अपने घर पहुंचते हैं तो घर में इन से बेहूदा किस्म के प्रश्न पूछे जाते हैं। क्या कर रहे हो?

नाटक करने से क्या होगा? लोग तुम्हें लौंडा कहते हैं। नाचने वाला कहते हैं। यह सब करने से रोजी-रोटी नहीं चलेगा आदि शब्द वाणों की बौछार की जाती है। कहा जाता है कि कोई अच्छी घर की लड़की का हाथ तक नहीं मिलेगा। इस तरह के अनगिनत ताने सुनने पड़ते हैं। फिर भी रंगकर्मी यह सब सहने के बावजूद रंगकर्म करते रहते हैं।

नाटक के माध्यम से रंगकर्मी सरकार से मांग करते हैं कि स्कूल और कालेजों में नाट्‍य शिक्षक की बहाली हो। सरकार रंगकर्मियों को नौकरी दे। उन्हें रोजगार दे, तभी वे भी खुलकर समाज का साथ दे सकते हैं। नाटक के सूत्रधार रजनीश पांडेय के अलावा कलाकारों में मनीष महिवाल, प्रिया कुमारी, कृष्णा देव, अरबिंद कुमार, राम प्रवेश, रजनीश पांडेय, अभिषेक राज ने अपने किरदार को खास बना दिया है।

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