स्वयं को जानना और पहचानना ही राजयोग-बीके अक्रीति

ममता सिन्हा/तेनुघाट (बोकारो)। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी द्वारा गिरीडीह के श्रीकृष्णा नगर में प्रारंभ किए गए राजयोग के दूसरे दिन 13 फरवरी को राजयोग के बारे में बताया गया।

इस अवसर पर बीके अक्रीति ने बताया कि मानव जीवन अमूल्य है। हम अपने भविष्य को अपने फैसलों और कर्मों द्वारा आकार देते हैं। हमारे पास सही और गलत मे अंतर करने के लिए बुद्धि है। उन्होंने कहा कि स्वयं को आत्मा पहचानो। इसके बिना, सबकुछ बेकार है। आत्म-प्राप्ति के साथ सब कुछ प्राप्त हो गया है।

संस्कार के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि मानव में संस्कार पांच प्रकार के होते हैं। जिसमें बचपन का मूल संस्कार सर्वोत्तम है। संस्कार को बदलना और परिवर्तन करना मानव की अपनी शक्ति है। उन्होंने कहा कि आत्मा शाश्वत, चेतना, आध्यात्मिक प्रकाश, मैं व मौलिक वास्तविकता है।  इसलिए ‘मैं’ शब्द आत्मा के लिए है, शरीर के लिए नहीं।

प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ने बताया कि शारीरिक उपस्थिति से परे, आत्मा प्रकाश का एक छोटा सा बिंदु है। यह प्रकाश आत्मा के गुण व्  शक्तियों का एक प्रतीक है। आत्मा मन और बुद्धि के संकाय के माध्यम से सोच सकती है और निर्णय ले सकती है। हम इस भौतिक शरीर के माध्यम से जीवन जीते हैं। हमारे साथ होने वाली हर चीज हमारे कर्मों का परिणाम है।

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