बिहार में दारू बंदी, बालू बंदी के बाद जमाबंदी का खेला

गंगोत्री प्रसाद सिंह/हाजीपुर (वैशाली)। बिहार सरकार द्वारा बीते 22 फरवरी से जमीन रजिस्ट्री के नियमों में किए गये बदलाव से वैशाली जिला के रहिवासियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्थिति यह बनी हुई है कि जिलावासी अपने नाम की जमाबंदी तथा करेंट रसीद वाले जमीन की रजिस्ट्री करने आते हैं तथा कातिब चालान की राशि भी जमा कर देता है, परंतु रजिस्ट्रार के पास जाने के बाद पता चलता है कि यह जमीन नए नियम के तहत रजिस्ट्री नहीं की जा सकती है।

राज्य सरकार द्वारा जारी इस अधिसूचना के बाद विक्रेता के नाम से जमाबंदी होना अनिवार्य तो है ही, साथ ही ऑनलाइन में उसका खाता-खेसरा भी उल्लेखित होना जरूरी है।

जानकारी के अनुसार वैशाली जिला के हद में सदर रजिस्ट्री हाजीपुर के अलावे लालगंज, महुआ, पातेपुर और महनार में अवर निबंधन कार्यालय है, जहां पर जमीन खरीद बिक्री का निबंधन होता है। उक्त अधिसूचना जारी होने से वैशाली जिले में पहले चार सौ के करीब निबंधन होता था। गत 22 फरवरी से महज दस से 15 रजिस्ट्री जिले में हो रहा है।

वहीं, निबन्धन कार्यालय हाजीपुर के बाहर बेकार बैठे कातिब बताते हैं कि वर्ष 1916 से पूर्व जिन व्यक्ति के नाम से जमाबंदी दर्ज है। उनका भी निबंधन फिलवक्त असंभव हो गया है, क्योंकि उनका जमाबंदी ऑनलाइन चेक करने पर खाता-खेसरा की जगह पर शून्य लिखा दर्शाता है।

उनका कहना था कि सरकार द्वारा पहले सभी जमीन का पूर्ण ब्योरा ऑनलाइन करवा दिया जाता, फिर इस अधिसूचना को जारी किया जाता तो रहिवासी जमीन के स्वामी आज परेशान नही होते। साथ हीं अभी जो राजस्व की क्षति हो रही है, वह नहीं होती।

कातिब के अनुसार जिनको लड़की की शादी करनी है या इलाज संबंधित खर्च का इंतजाम करना है अथवा अपने बाप दादा का श्राद्ध करना है वैसे जरूरतमंद रहिवासियों को अपनी पुस्तक जमीन तब तक नहीं भेज सकते, जब तक जमाबंदी उनके नाम ना हो। इस वजह से बहुत से जरूरतमंदो की परेशानी बढ़ गई है। जमाबंदी के लिए जिले के रहिवासी राजस्व कर्मचारी और अंचल कार्यालय में मारे मारे फिर रहे हैं।

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