भाजपा, आरएसएस के खिलाफ साझी लड़ाई का वक्त है-दीपांकर भट्टाचार्य

देश का राजनैतिक परिदृश्य और अल्पसंख्यक समुदाय की स्थिति विषयक विमर्श का आयोजन

एस. पी. सक्सेना/समस्तीपुर (बिहार)। देश का राजनैतिक परिदृश्य और अल्पसंख्यक समुदाय की स्थिति विषय पर एक विमर्श का आयोजन 30 जून को समस्तीपुर शहर (Samastipur City) के मथुरापुर स्थित मौलाना मजहरूल हक टीचर्स ट्रेनिंग कालेज में इंसाफ मंच एवं भाकपा माले के संयुक्त बैनर तले आयोजित किया गया।

विमर्श को बतौर मुख्य अतिथि भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव कॉमरेड दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा (BJP) विरोध की आवाज को ईडी, सीबीआई (CBI) का इस्तेमाल कर दबा रही है। सच बोलने, लिखने वाले को परेशान किया जा रहा है। इंसाफ मांगने वाले को जेल में डाल दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार कानून को ताक पर रखकर बुलडोजर चलाकर नफरत, दमन, दहशत और झूठ फैला रही है।

चाहे कोई भी मजहब हो, हमें पीड़ित के साथ होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान केंद्र की मोदी सरकार देश में नागरिकता कानून लाकर मुस्लिम समाज को दोयम दर्जे का नागरिक बनाना चाह रही है।
कॉ भट्टाचार्य ने कहा कि सवाल अगर रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, चिकित्सा का हो तो इसमें सुधार किया जाना चाहिए।

सवाल करने वाले पर कार्रवाई नहीं। मानवाधिकार, सच, बराबरी के लिए लड़ने वाले को जेल में डाल दिया जा रहा है। ऐसे में हमें एकता बनाकर साझी लड़ाई लड़ने की जरुरत है। इसे हमें किसानों की लड़ाई से सीखना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत की आजादी की लड़ाई साझी लड़ाई थी, आज भी साझी लड़ाई लड़ने का समय है।

11आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है, लेकिन अमृत के नाम पर देश में जहर परोसा जा रहा है। देश के नौजवान रोजगार के लिए संघर्षशील है। हमें उनके संघर्ष के साथ होना चाहिए। देश बचाने को लेकर भाजपा, आरएसएस से टकराने की ताकत चाहिए। इसके लिए विपक्षी एकता जरूरी है।

उन्होंने कहा कि देश में महिलाओं पर दमन के खिलाफ पूरी लड़ाई की जरूरत है। एनआईए की धर- पकड़, जुल्म के खिलाफ इंसाफ मंच बना था। इसे मजबूत बनाएं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2024 में सरकार से छुटकारा पाने के लिए हमें चौतरफा कमर कस कर उतरने की जरूरत है।

समस्तीपुर कालेज अंग्रेजी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ प्रभात कुमार ने विमर्श को संबोधित करते हुए कहा कि जब आप मानव जीवन के महत्व को नहीं समझेंगे, तो मानव जीवन की रक्षा नहीं कर सकते। देश की आजादी में हिंदू- मुस्लिम- सिख- ईसाई ने एकता बनाकर लड़ा था। यह देश किसी एक धर्म की नहीं है।

धर्म के नाम पर कत्लेआम बर्दाश्त से बाहर है। वर्तमान सरकार की करतूत अंग्रेजी शासन की याद दिला देती है। धर्म के नाम पर रोटी नहीं मिल सकता। इसके लिए रोजगार जरुरी है और रोजगार का वादा कर रोजगार से भाग रही भाजपा सरकार के खिलाफ देश के युवा लड़ रहे हैं इस लड़ाई में हर तबके को जोड़ने की जरूरत है।

माले पोलित ब्यूरो सदस्य कॉ धीरेन्द्र झा ने वक्ताओं द्वारा समस्तीपुर को आरएसएस का प्रयोग भूमि बनाये जाने के प्रश्नों का उत्तर देते हुए कहा कि इसके खिलाफ एकता बद्ध संघर्ष वक्त की मांग है। हमें अपने बच्चों को दंगाई नहीं शिक्षा और रोजगार देकर बेहतर नागरिक बनाना चाहिए।

विमर्श को मो. फरमान, खालिद अनवर, राश्दा तबस्सुम समेत नागरिक समाज के कई अन्य वक्ताओं ने संबोधित करते हुए मोदी- शाह सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया। उन्होंने भाषा, खाना, पहनावा के आधार पर हमला किये जाने की बात कही। विमर्श के मंच पर माले जिला कमिटी सदस्य फूल बाबू सिंह, राज्य कमिटी सदस्य बंदना सिंह, जिला सचिव प्रोफेसर उमेश कुमार आदि उपस्थित थे।

विमर्श की अध्यक्षता इंसाफ मंच के समस्तीपुर जिलाध्यक्ष आफताब आलम एवं भाकपा माले जिला सचिव प्रो. उमेश कुमार ने किया। संचालन इंसाफ मंच के जिला सचिव डॉ खुर्शीद खैर ने किया। मौके पर नागरिक समाज, छात्र- युवा, मजदूर- किसान, महिला संगठन के बड़ी संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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