झारखंड में डॉक्टरों का वेतन भी खा गए भ्रष्टाचारी

मामला झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स से जुड़ा प्रबंध का
एस.पी.सक्सेना/रांची(झारखंड)। झारखंड सरकार (Jharkhand government) कोरोना काल में भी डटकर कार्य कर रहे डॉक्टरों को कोरोना यौद्धा के रूप में सम्मानित करती रही है और उन्हें एक माह का अतरिक्त वेतन देने की घोषणा भी की। आज तक ना तो उन कोरोना योद्धा रुपी चिकित्सकों को मूल वेतन मिला और न ही अतरिक्त वेतन की कोई पहल हुई है।
झारखंड राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स(राजेन्द्र मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पीटल) में नॉन एकेडमिक जूनियर रेजिडेंट (HS) का काम कर रहे कुछ डॉक्टर ऐसे भी है जिन्हें उनका दिसंबर 2020 का वेतन अब तक नही मिला है। न ही सरकार के द्वारा घोषणा किया हुआ कोरोना काल का एक माह का अतिरिक्त वेतन ही दिया गया है।
जानकारी के अनुसार लगभग 8-10 डॉक्टर वर्ष 2020 में HS(HOUSE surgeon Ship ) के रूप में काम कर रहे थे। बाद में इनका चयन राज्य सरकार के ही चिकित्सा पदाधिकारी के रूप में 30 दिसंबर 2020 को हो गया। चयनित चिकित्सक अपना त्याग पत्र रिम्स प्रबंधन को जनवरी 2021 में देकर राज्य सरकार के चिकित्सा पदाधिकारी के पद पर प्रभार ले लिए। बताया जाता है कि इनलोगो के रिम्स छोड़ने के बाद ना ही इनलोगो का काम किया हुआ पूरे एक माह(दिसंबर 2020)का तनख्वाह इन्हें दिया गया और ना ही झारखंड सरकार द्वारा घोषित कोरोना काल मे ड्यूटी करने का एक माह का अतिरिक्त वेतन ही दिया गया। इनमें से कुछ डॉक्टर दबी जुबान में सामने आए जिनका नाम मुख्य रूप से डॉ सुनील जॉर्ज, डॉ मुजफ्फर आजाद, डॉ आकाश कुमार , डॉ सुनील कुमार भगत, डॉ रूपम कुमारी और डॉ गजाला प्रवीण इत्यादि है।
मूल बात यह है कि ये डॉक्टर करे तो क्या करें? अपने कार्य को ही धर्म मान कर अपना कार्य करते रहे या फिर अपने मेहनत के पैसे के लिए इधर से उधर भटकते रहे? राज्य सरकार क्या इनकी सुनेगी या फिर यहाँ भी मामला और मामलो की तरह लटका ही रहेगा। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ शब्दों में डॉक्टरों का वेतन नही रोकने का स्पष्ट निर्देश दिया था।

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