दलित, आदिवासी व् अल्पसंख्यक समाज की कसौटी में हेमंत सरकार विफल-विजय

एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। दलित, आदिवासी, मूलवासी एवं अल्पसंख्यक समाज के विश्वास की कसौटी पर इन चार वर्षो में खरा नहीं उतर सकी है झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार। उपरोक्त बातें 29 दिसंबर को संपूर्ण भारत क्रांति पार्टी के

राष्ट्रीय महासचिव-सह- झारखंड, छत्तीसगढ़ प्रभारी विजय शंकर नायक ने हेमंत सोरेन सरकार के 4 वर्ष के कार्यकाल समाप्त होने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कही। उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार के कार्यकाल में दलित, महिला, अल्पसंख्यक एवं मूलवासी समाज की जो सपने थे, उनको पूरा नहीं किया जा सका।

राज्य के विभिन्न महत्वपूर्ण प्रत्यक्ष रूप से जनता से जुड़े बोर्ड तथा निगमों का गठन नहीं हो सका, जिसमें मुख्य रूप से इन चार वर्षो में अनुसूचित जाति आयोग का गठन नहीं करके, विदेशो मे शिक्षा ग्रहण करने वाली योजना में एक भी अनुसूचित जाति के छात्रों को भागीदारी नहीं दिलाना।

कहा कि हेमंत सरकार द्वारा अनुसूचित जाति समाज से कैबिनेट में मंत्री नहीं बनाना दलित समाज के साथ अन्याय भरा कदम रहा। दूसरी ओर महिला आयोग का गठन नहीं करना महिलाओं को न्याय से वंचित करने के समान था। उसी तरह सूचना अधिकार कानून से डरी सरकार चार वर्ष तक सूचना आयोग को मृतप्राय बनाए रखी, जिससे सरकार की कमियों का सूचना अधिकार कानून से उजागर नहीं किया जा सके। उन्होंने कहा कि लोकायुक्त, मानवाधिकार आयोग को डेड बना कर छोड़ दिया गया है।

नायक ने कहा कि सरकार घोषणा वीरों की तरह काम करती रही और सिर्फ विज्ञापनों में खर्च करते रही। मगर जनता को लाभ दिलाने में असफल रही। कहा कि राज्य में 80 प्रतिशत महिलाओं को एनीमिया (शरीर में खुन की कमी) जैसे रोग होते गए। बच्चों में कुपोषण (कम वजन के बच्चों) की संख्या बढ़ती गई। पलायन का दर भी बढ़कर 93 प्रतिशत हो गया है।

उन्होंने कहा कि आदिवासी मुख्यमंत्री होने के बाद भी आदिवासी समाज पलायन होने को मजबूर है। सरकार पलायन को रोकने में विफल रही है। उन्होंने कहा कि यह सरकार चिंटू, पिंटू, पांडेय की सरकार बनकर रह गयी है। दलित आदिवासी मूलवासी समाज इस सरकार से दूर रहे। किसी भी वर्गों के साथ न्याय नहीं किया गया।

उन्होंने कहा कि इस सरकार में अल्पसंख्यकों के डायरेक्ट छाती पर गोली मारी गई। जांच कमेटी बनी, मगर जांच रिपोर्ट अभी तक नहीं दिया गया। सिर्फ भारतीय जनता पार्टी सरकार की तरह जुमलेबाजी करती रही और इन चार वर्षो में सत्ता को बचाने में ही इनका समय व्यतीत होता रहा।

नायक ने कहा कि जिन वादों एवं सपनों को दिखाकर सरकार बनाई गई थी उन। वादों को कचरा पेटी में डाल दिया गया। कहा कि कोई भी वादा अगर सरकार पूरा की है तो वह जनता को बताने का काम करें कि हमने इन-इन वादों को पूरा करने का काम किया है।

नायक ने कहा कि यह सरकार जातीय आधारित जनगणना करने में विफल रही। एसटी/एससी, ओबीसी के आरक्षण को नहीं बढ़ा सकी। खतियान आधारित स्थानीय नीति, नियोजन नीति को जमीनी स्तर पर बना कर लागू नही कर सकी। पेसा कानून का सिर्फ नियमावली ही बनाया गया, मगर पेसा कानून बनाकर लागू नहीं कर सकी। सीएनटी-एसपीटी एक्ट को सख्ती से लागू नहीं कराया गया।

झारखंड के हासा-भाषा पर ध्यान नहीं दिया गया। कहा कि सिर्फ सरकार नियमावली बनाने में व्यस्त रही, मगर कोई भी जनहित के कानून को नहीं लागू कर सरकार सिर्फ इन 4 वर्षों में सत्ता कैसे बची रहे, इसी पर विशेष ध्यान देने का काम किया। कुर्सी से चिपकने का काम किया। ऐसी जन विरोधी सरकार को अब सत्ता में बैठने का कोई अधिकार नहीं है ।

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