गंगोत्री प्रसाद सिंह/हाजीपुर (वैशाली)। देश के तीन तीन प्रधानमंत्री और दो रेल मंत्री के दिखाए गए सपने के बाद भी आज हाजीपुर से समस्तीपुर नई रेल लाइन के निर्माण का मामला करीब 25 वर्षो से अधर में लटका है।
जानकारी के अनुसार पहली बार प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की सरकार में हाजीपुर के सांसद रामविलास पासवान के रेल मंत्री रहते सन 1997 में हाजीपुर से समस्तीपुर वाया महुआ एवं पातेपुर होते नई रेल लाइन के निर्माण के लिए रेल बजट में सर्वे का प्रावधान किया गया। तब के रेल मंत्री रामविलास पासवान ने हाजीपुर में सर्वे कार्यक्रम का उद्घाटन किया था। इसका सर्वेक्षण कर रिपोर्ट रेलवे बोर्ड को भेजी गई, पर मामला ठंढे बस्ते में चला गया।
बताया जाता है कि दूसरी बार प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की सरकार में रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने थोड़ा संशोधन करते हुए हाजीपुर से समस्तीपुर वाया भगवानपुर एवं महुआ होते नई रेल लाइन का प्रस्ताव बजट में कर दिया। बजट में किए गए प्रावधान के आलोक में सर्वेक्षण कर सप्लीमेंट्री बजट में रिपोर्ट रेलवे बोर्ड को भेजी गई।
इस बार भी मामला ठंडे बस्ते में चला गया। पुनः तीसरी बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में बीते वर्ष 2023 में पेश रेल बजट में भगवानपुर-समस्तीपुर वाया महुआ-ताजपुर नई रेल लाइन सर्वे कराने की बजट में मंजूरी दी गई थी।लेकिन काम अभी भी सर्वेक्षण पर ही अटका है।
खास बात यह कि इस रेल परियोजना से वैशाली जिला के हद में महुआ, पातेपुर, जंदाहा क्षेत्र के रहिवासियों का जहां राजधानी पटना और जिला मुख्यालय हाजीपुर से सीधा जुड़ाव हो जायेगा, वही हाजीपुर से समस्तीपुर के बीच 50 किलोमीटर दुरी घट जाएगी।
इस लोकसभा चुनाव में हाजीपुर समस्तीपुर नई रेल लाइन जिले में एक मुद्दा बन गया है, लेकिन संभव है इस बार भी पूर्व की भांति जनता नेताओ के झूठे वायदों पर पुनः ठगी जाएगी।
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