श्रीकृष्ण-सुदामा की मित्रता में मिलती सनातन संस्कृति की झलक

महारास व मोर नृत्य बना रहा आकर्षण का केंद्र

अवध किशोर शर्मा/सोनपुर (सारण)। हरिहर क्षेत्र की पावन धरती गंगा-गंडक संगम तीर्थ सबलपुर में पिछले दस दिनों से चल रहे श्रीवृन्दावनधाम की रास लीला का पटाक्षेप हो गया। आखिरी दिन “श्रीकृष्ण-सुदामा” प्रसंग का मंचन हुआ, जिसने दर्शकों पर गहरा छाप छोड़ा।

जिन मित्रों की भारतीय सनातन वैदिक समाज में सर्वश्रेष्ठ जोड़ी में कल्पना की जाती है वह श्रीकृष्ण-सुदामा की ही है। ऐसी दोस्ती जिसमें परस्पर एक दूसरे के प्रति निश्छल समर्पण का भाव है। कोई छल-कपट नही, राजा-रंक का कोई भेद-भाव नही। गुरु संदीपनी आश्रम में दोनों की मित्रता परवान चढ़ी और द्वारिकाधीश बनने के बाद तो मित्रता मिल का पत्थर साबित हुआ।

रासलीला में श्रीकृष्ण-सुदामा की शिक्षा-दीक्षा, गुरु के आदेश से जंगल में लकड़ियों को इकट्ठा करने जाना, गुरुमाता की आज्ञा, गुरु माता द्वारा दिए गए चना को बांटकर खाने के स्थान पर सुदामा द्वारा स्वयं खा लेना और जीवन भर दरिद्रता का दंश झेलना और बाद में द्वारिकाधीश बनने पर सुदामा का द्वारिका जाना और उनकी दरिद्रता का हरण भगवदभक्ति का ऐसा उदाहरण है जो अन्यत्र कहीं दिखाई नही पड़ता।

प्रसंग काफी शिक्षा प्रद रहा। ब्राह्मणी द्वारा बार-बार कहने पर कुछ मुट्ठी भर चरु पड़ोसन से मांग कर सुदामा जी को देना और धोती के खूंट में चरु को बांधकर द्वारिका नगरी पहुंचना। द्वारिका की शोभा देखकर चकित होना। द्वारपाल द्वारा श्रीकृष्ण को खबर करना और उनका भरी सभा से दौड़कर सुदामा के पास द्वार पर आकर गले मिलना कठोर हृदय को भी भावुक कर गया।

श्रीवृन्दावनधाम स्थित रंग रंगनाथ पीठ के रामानुज सम्प्रदायाचार्य जगद्गुरु श्रीकृष्ण प्रपन्नाचार्य जी महाराज के मंगलानुशासन में संचालित रासलीला शांति पूर्वक पूर्णतः आध्यात्मिक माहौल में दस दिनों तक चला। रासलीला का आरंभ आरती के साथ किया गया।

“श्यामा तेरी आरती, कन्हैया तेरी आरती।सारा संसार करेगा कर जोड़के’ श्रीराधा-कृष्ण की आरती से शुरु होती रही रासलीला। श्याम- सगाई’ में राधा जी का “गोद- भराई” दृश्य एवं ‘मोर नृत्य को दर्शकों ने खूब पसंद किया।

स्त्रियों ने राधा-कृष्ण की पूजा-अर्चना की और उन्हें उपहार भी दिए। अजब आध्यात्मिक सौंदर्य से भरा दृश्य रहा। राधा-कृष्ण की आकर्षक जोड़ी और उनके दमदार अभिनय ने दर्शकों पर जादू सा कर दिया। उनके हाव-भाव और हास-परिहास का दर्शकों पर असर स्पष्ट झलक रहा था।

मोर नृत्य हो या बालक कृष्ण की “बरसाने की गोरी छोड़ी” से विवाह करने की जिद्द या राधारानी की गोद भराई का दृश्य या माखन चोरी करते पकड़ा जाना। सभी दृश्य प्रभावी रहे। गोद भराई रश्म के मुख्य यजमान सबलपुर मध्यवर्ती पंचायत के सरपंच दिलीप सिंह और उनकी धर्मपत्नी थीं।

सच कहिए तो श्रीवृन्दावन धाम की रासलीला ने अब तक के सभी रिकार्ड को तोड़ दिया। मौके पर बालक, वृद्ध, नर-नारी का सैलाब उमड़ आया । बड़े बूढ़े तो यहाँ तक कह रहे हैं कि ऐसी भीड़ तो उन्होंने कभी किसी रासलीला में देखी ही नही जिसमें अंत तक दर्शक ‘राधे-राधे’ का जाप करते रहे।

धाम में तब्दील हो गया है।श्रीआदर्श ब्रजधाम श्रीरामकृष्ण संस्थान वृन्दावन के संचालक स्वामी हीरालाल शर्मा बताते हैं कि सचमुच सबलपुर की धरती श्रीवृन्दावनधाम में परिवर्तित हो गया है। राधारानी के अभिनय उमाकांत शर्मा जबकि श्रीकृष्ण के अभिनय में घनश्याम शर्मा है। व्यासपीठ उमाशंकर शर्मा ‘व्यास’ एवं तबला पर संगत निरंजन शर्मा कर रहे थे।

 212 total views,  1 views today

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *