नटवर साहित्य परिषद द्वारा कवि गोष्ठी में बहती रही गीत, ग़ज़लों की रसधार

एस. पी. सक्सेना/मुजफ्फरपुर (बिहार)। मुजफ्फरपुर शहर के नवयुवक समिति सभागार में 25 जून को नटवर साहित्य परिषद की ओर से मासिक कवि गोष्ठी सह मुशायरा का आयोजन किया गया। कवि गोष्ठी की अध्यक्षता डॉ पुष्पा गुप्ता, मंच संचालन डॉ विजय शंकर मिश्र व् धन्यवाद ज्ञापन नटवर साहित्य परिषद के संयोजक डॉ नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी ने किया।

उक्त जानकारी देते हुए मुजफ्फरपुर के युवा कवियित्री सविता राज ने बताया कि उक्त कवि गोष्ठी की शुरुआत आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री के गीत से किया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ कवि व गीतकार डॉ विजय शंकर मिश्र ने गीत आग गगन से बरस रही है, प्यासी धरती बादल – बादल करे पुकार प्रस्तुत कर उपस्थित जनों की भरपूर तालियां बटोरी।

शायर डॉ नर्मदेश्वर मुज़फ़्फ़रपुरी ने ग़ज़ल हालात हमारे भी संवर क्यूं नहीं जाते, ये ख्वाब हकीकत में उतर क्यूं नहीं जाते सुनाकर वाहवाही लूटी। वरिष्ठ कवयित्री डॉ पुष्पा गुप्ता ने सागर सा व्यक्तित्व है जिनका मधुर बोल, जिनका अंदाज महसूसा है स्नेह सूत्र की डोर पिता सुनाकर जमकर तालियां बटोरी। वरिष्ठ कवि डॉ लोकनाथ मिश्र ने अट्टहास करता सन्नाटा वह शांति के देवदूत बने साहित्यकार जो ठहरे सुनाकर श्रोताओं में गुदगुदी ला दी।

उन्होंने बताया कि इस अवसर पर वरिष्ठ भोजपुरी के कवि सत्येन्द्र कुमार सत्येन ने बाबा बैद्यनाथ पूरा करिहें मनवा के आस, तोहरा गोदिया में खेलिहें बबुआ कईली विश्वास सुनाकर कार्यक्रम में चार चांद लगा दी। कवि अशोक भारती ने राह जो अपनी बना ले छोड़कर निशानियां, याद रखेगी ये दुनिया उसकी ही कहानियां सुनाकर तालियां बटोरी।

युवा कवि सुमन कुमार मिश्र ने बरसों मेरे गांव में जलधर, अमन चैन का बादल बनकर सुनाकर तालियां बटोरी। वरिष्ठ शायर रामउचित पासवान ने दिलरुबा मुझ पर कभी ऐसा था इल्जाम नहीं, लव ए उल्फ़त पर मेरे गैर का था नाम नहीं प्रस्तुत किया।

कवि विजय शंकर प्रसाद ने अकेले बुद्ध और यशोधरा संग राहुल पर स्पष्ट चिंतन, एक ओर चाह मंजिल तो दूसरी ओर त्याग स्मरण प्रस्तुत की। कवि ओम प्रकाश गुप्ता ने तमस मिटे जीवन पथ का, दीप जलाने आया हूँ सुनाया। कवि शशिरंजन वर्मा ने कभी जिन्दगी से मुहब्बत थी यारों, मगर दुश्मनी आज कर ली है मैंने सुनाकर समाज में फैले नफरती दिवार को ध्वस्त किया।

कवियित्री सविता राज ने बताया कि कार्यक्रम में कवियित्री उषा श्रीवास्तव ने सिया राम मय सब जग जानी, करऊं प्रणाम जोड़ी जुग पानी प्रस्तुत की। कवि दीनबंधु आजाद ने हर दिन अपनी जिंदगी को एक नया ख्वाब तो दो सुनाया। कवि मोहन कुमार सिंह ने जिन्दगी का दस्तूर है, हंसना रोना जरूर है सुनाकर तालियां बटोरी। युवा कवि उमेश राज ने सांवर – सांवर सुरतिया भुलात नईखे सुनाया जिसे काफी सराहा गया।

वरिष्ठ कवि अंजनी कुमार पाठक ने दीन हीन दलितों को मैंने बहुत सताया है सुनाकर जमकर तालियां बटोरी। वरिष्ठ कवि डॉ जगदीश शर्मा ने पले फले बीते दिन सुनहरे, नाजुक होते थे सुनाया। युवा कवि ब्रज भूषण प्रसाद ने दहेज का सर्वश्व बोलबाला है, बालाओं का आजकल यहीं पैमाना है पेश कर समाज में फैले दहेज प्रथा पर कटाक्ष किया। यहां सहज कुमार ने शीष अपना कटा कर सुनाया।

युवा कवि गौतम कुमार वात्स्यायन ने जब से घर का दाना पानी जोड़ रहा, मेहनत की हर एक पाई से वाकिफ हूँ सुनाकर तालियां बटोरी। युवा कवि राहुल चौधरी ने मैंने लिखना छोड़ दिया है कुछ ऐसी लाचारी है सुनाकर तालियां बटोरी।

युवा कवि स्वतंत्र शांडिल्य ने कोई गतिमान कितना है ये राहें ही समझती है, गले किसको लगाना है ये बाहें ही समझती है सुनाकर जवानी की याद ताज़ा करायी। इसके अलावा कार्यक्रम में अनिरूद्ध सिंह, चांदनी कुमारी, रणवीर अभिमन्यु , सुरेन्द्र कुमार की भी रचनाएं सराही गई।

 

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