मत्स्य पालन ने बदली कुड़ा पंचायत की तस्वीर

जोहार योजना के तहत कुड़ा पंचायत में बड़े पैमाने पर हो रहा मछली पालन

एस.पी.सक्सेना/बोकारो। बात कुछ ज्यादा पुरानी नहीं है। कुछ वर्ष पूर्व बोकारो जिला (Bokaro district) के हद में चास प्रखंड के कुड़ा पंचायत के किसानों की एक बैठक हुई, जिसमें किसानों ने रोजगार के वैकल्पिक संसाधनों पर चर्चा की। इस दौरान कुछ किसानों को राज्य सरकार (State government) द्वारा शुरू किए गए जोहार योजना की जानकारी दी गयी।

इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण परिवारों को कृषि एवं गैर कृषि आजीविका संबंधी गतिविधियों की उत्पादों में विविधता एवं उत्पादकता को बढ़ाना था। गांव में कई तालाब व दलदली जमीन थे। ऐसे में ग्रामीणों ने मत्स्य पालन करने का निर्णय लिया।

इसके लिए बाजार जिले में ही उपलब्ध था। आसानी से मछली की खपत बोकारो व आसपास के जिलों यथा धनबाद, हजारीबाग, गीरिडीह, देवघर आदि जिलों में हो सकती थी।

सर्व सम्मति से ग्रामीणों ने इस व्यवसाय से जुड़ने का मन बनाया। किसानों का एक प्रतिनिधि दल झारखंड लाइवलीहूड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) के स्थानीय प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी से मुलाकात की और ग्रामीणों के निर्णय से अवगत कराया।

जेएसएलपीएस की टीम ने ग्रामीणों को पूरा सहयोग किया। मत्स्य विभाग से समन्वय बनाकर किसानों को मत्स्य पालन से जुड़ी सभी बारीकियों का प्रशिक्षण दिलाया। साथ ही अनुदानित दर पर उन्हें मत्स्य बीज व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई। इसके कुछ माह बाद इस पंचायत की तस्वीर बदलनी शुरू हो गई।

बताया जाता है कि कुड़ा उत्पादक समूह से 27 सदस्यों ने मिलकर पंचायत क्षेत्र में मछली पालन का कार्य शुरू किया। धीरे-धीरे संख्या में भी बढ़ोतरी होती गई। आज पंचायत क्षेत्र में बड़े पैमाने पर मछली का पालन हो रहा है। गांव में प्रतिदिन 400 से 500 किलो मछली का उत्पादन हो रहा है।

इससे किसानों को प्रति खेप एक से डेढ़ लाख की आमदनी हो रही है। इससे ग्रामीणों में समृद्धि आ रही है। धीरे-धीरे गाँव का कायाकल्प हो रहा है। जो मछली पालक कच्चे मकानों में रहते थे, उनके मकान पक्के बनने शुरू हो गये है। रहन-सहन में व्यापक बदलाव देखा जा रहा है।

मछली पालन से कुड़ा गांव में आई समृद्धि को देखकर आसपास के अन्य गांव के ग्रामीण भी प्रेरित हो रहे हैं। वह भी मछली पालन से जुड़ने का मन बना रहे है।

पंचायत क्षेत्र में तेजी से शुरू हुए मछली पालन के कार्य को देखकर आसपास के जिलों के मछली खरीददार सीधे इन गाँवों में पहुँचने लगे हैं, जिससे मछली पालकों को मछली विक्रय के लिए बाहर नहीं जाना पड़ता है। इससे इन्हें काफी सहुलियत हो रही है।

बताया जाता है कि कुड़ा पंचायत के ग्रामीणों (मछली पालको) को समय-समय पर जेएसएलपीएस, मत्स्य विभाग के अधिकारियों द्वारा मार्गदर्शन किया जा रहा है। मछलियों में फैलने वाली प्रमुख बीमारियों की रोकथाम, उत्पादन बढ़ाने की तकनीकों, मछलियों को दिये जाने वाले अतिरिक्त भोजन आदि की जानकारी उन्हें दी जाती है।

साथ ही, मछलियों को निकालने, विक्रय के लिए बाजार ले जाते समय उनकी पैकेजिंग करने तथा मछली बीज डालने का समय, तालाबों की सफाई आदि का प्रशिक्षण भी देते हैं।

झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास विभाग द्वारा संचालित यह योजना विश्व बैंक द्वारा वाह्य वित्त पोषित है। इस परियोजना का उद्देश्य चयनित ग्रामीण परिवारों की कृषि एवं गैर कृषि आजीविका संबंधी गतिविधियों की उत्पादों में विविधता एवं उत्पादकता बढ़ाना है।

साथ ही इन उत्पादों हेतु बेहतर बाजार व्यवस्था उपलब्ध कराकर उनके जीवन स्तर में सकारात्मक परिवर्तन लाना है। परियोजनांतर्गत उन्नत कृषि, पशुपालन, मत्स्य पालन एवं लघु वनोपज आधारित उत्पादों में गुणात्मक वृद्धि किया जाना सरकार का लक्ष्य है।

यह परियोजना झारखंड स्टेट लाईवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) द्वारा गठित की गई है। इस संबंध में बोकारो जिला उपायुक्त कुलदीप चौधरी ने कहा कि जोहार योजना के तहत चास प्रखंड के कुड़ा पंचायत में बड़े पैमाने पर मछली पालन का कार्य किया जा रहा है। इस व्यवसाय से जुड़कर स्थानीय ग्रामीण रहिवासी आर्थिक रूप से समृद्ध हो रहे है। इसे देख अन्य भी प्रेरित हो रहे हैं।

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