थर्मोकोल मुक्त क्षेत्र बनाने को लेकर उपायुक्त ने किया रात्रि निरीक्षण

कुल्हर में चाय पीना हमारी संस्कृति-उपायुक्त

एस.पी.सक्सेना/देवघर (झारखंड)। देवघर जिला उपायुक्त (Deoghar district Deputy Commissioner) मंजूनाथ भजंत्री ने 20 सितंबर की संध्या जलसार पार्क, शिवगंगा, मंदिर व आसपास के क्षेत्रों का निरीक्षण करते हुए विभिन्न फूड स्टॉल, दूकानों, चाय स्टॉलो का निरिक्षण किया।

इस दौरान उन्होंने थर्मोकाॅल व प्लास्टिक का उपयोग कर रहे दुकानदारों और लोगों को जागरूक करते हुए इससे होने वाले दुष्परिणामों से अवगत कराया। साथ हीं थर्मोकाॅल के जगह पत्तल से बने दोना, प्लेट, कटोरी के अलावा चाय पीने में मिट्टी के कुल्हड़ का उपयोग करने की बात कही।

उपायुक्त ने कोविड नियमों के शत प्रतिशत अनुपालन के साथ मास्क का उपयोग और वैक्सीनेशन के प्रति दुकानदारों को जागरूक किया।

इस अवसर पर उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री ने मंदिर के आसपास के क्षेत्रों में स्थित दुकानों, अस्थाई फूड स्टाल, भोजनालय का निरिक्षण के क्रम में मंदिर प्रांगण में थर्मोकाॅल के उपयोग को पूर्णतः प्रतिबंधित करने में दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करने का आग्रह सभी से किया, ताकि सही मायने में बाबा मंदिर और आसपास के क्षेत्रों को स्वच्छ और सुंदर बनाया जा सके।

निरीक्षण के क्रम में उपायुक्त ने चाय स्टॉलों पर पेपर व प्लास्टिक के कप की जगह सेहत के लिहाज से कुल्हड़ के उपयोग की बात कही। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक के गिलास या डिस्पोजल में चाय पीने से स्वास्थ्य समस्याएं होने का डर रहता है। कुल्हड़ इस मामले में बिल्कुल सुरक्षित है।

उन्होंने कहा कि ज्यादातर दुकानों में देखा जाता है कि चाय के लिए कांच के गिलासों का उपयोग किया जाता है। इन्हें कई बार ठीक से धोया नहीं जाता। इस कारण इसमें बैक्टीरिया पनपने की संभावना होती है।

जहां तक प्लास्टिक के डिस्पोजल गिलास की बात है तो गर्म चाय डालने से इसके कुछ तत्व चाय में मिल जाते हैं जो कैंसर के कारक भी हो सकते हैं। चूंकि कुल्हड़ में चाय पीने के बाद उसको दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जाता, इसलिए इसमें बैक्टीरिया पनपने की संभावना बेहद कम होती है। दूसरी ओर मिट्टी के बर्तन से जुड़े कामगारों को आत्मनिर्भर बनाने में हमारा सहयोग भी होगा।

उपायुक्त ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि मिट्टी के बर्तन में कुछ खाने या पीने से कैल्शियम भी मिलता है। कुल्हड़ इको फ्रेंडली भी होते हैं। इसलिए जब इनमें चाय पी जाती है तो ये पर्यावरण के लिए हानिकारक नहीं होते। ये फिर से मिट्टी में परिवर्तित हो जाते हैं।

ऐसे में वर्तमान में आवश्यक है कि हम पर्यावरण के संरक्षण की ओर कदम बढ़ाते हुए पत्तल से बने दोना, प्लेट, कटोरी और मिट्टी के कुल्हर का उपयोग करते हुए दूसरों को भी इसके प्रति जागरूक करने में जिला प्रशासन का सहयोग करें।

इस दौरान निरिक्षण के क्रम में उपायुक्त के साथ जिला जनसंपर्क पदाधिकारी, जिला आपदा प्रबंधन पदाधिकारी, डीपीएम जेएसएलपीएस, डीसी सेल के अधिकारी, सहायक जनसंपर्क पदाधिकारी, नगर निगम एवं संबंधित विभाग के अधिकारीगण उपस्थित थे।

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