गया केंद्रीय कारागार का नाम शहीद बैकुंठ शुक्ल के नाम करने की मांग

गंगोत्री प्रसाद सिंह/हाजीपुर (वैशाली)। बिहार के शान और वैशाली के लाल पंडित बैकुंठ शुक्ल एक शिक्षक से क्रांतिकारी बने और देश की आजादी में मात्र 27 वर्ष की उम्र में 14 मई 1934 को केंद्रीय कारागार गया में हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए।

अजब इत्तेफाक है कि अमर शहीद बैकुंठ शुक्ल की जयंती के ठीक एक दिन पहले उनका शहादत दिवस मनाया जाता है।
अमर शहीद बैकुंठ शुक्ल का जन्म 15 मई 1907 को वैशाली जिला के हद में लालगंज प्रखंड के जलालपुर ग्राम में हुआ था।

आज उनके जन्मस्थली जलालपुर, उनकी कर्मस्थली मुजफ्फरपुर और शहीद स्थल केंद्रीय कारागार गया में जयंती मनाई गई। आज अमर शहीद बैकुंठ शुक्ल की जयंती पर बैरिया गोलंबर स्थित अमर शहीद वैकुंठ शुक्ल की प्रतिमा स्थल पर जयंती समारोह का आयोजन किया गया।

इसका आयोजन अमर शहीद बैकुंठ शुक्ल स्मृति समारोह समिति, जिला प्रशासन व सहारा इंडिया परिवार के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। अध्यक्षता कमेटी के अध्यक्ष डॉ रमेश केजरीवाल व समिति के मीडिया प्रभारी आचार्य चंद्र किशोर पराशर ने की।

जिला प्रशासन की ओर से शहीद बैकुंठ शुक्ल की आदमकद प्रतिमा को पुलिस टीम द्वारा सलामी दी गयी। आदर्श चुनाव आचार संहिता के कारण कार्यक्रम को संक्षिप्त रूप में संपन्न किया गया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के गणमान्य जनों, शिक्षक संजीव कुमार त्यागी द्वारा बैकुंठ शुक्ल की जीवनी पर लिखी गई काव्य का पाठ किया गया।जिसे उपस्थित समूह ने काफी पसंद किया।

इस अवसर पर डॉ देवेंद्र प्रसाद सिंह, सहारा इंडिया से विनायक प्रसाद व राजीव, सतीश, सुरेंद्र सिंह, प्रेरित, रोशन शुक्ला, चंदन राय, गोपाल भारती, शंभू भारती, शंभू चौधरी, निखिल शुक्ला, सपना राज, ममता रमन सहित अन्य मौजूद थे। स्मृति के सचिव अरुण शुक्ला ने मुजफ्फरपुर के बैरिया बस स्टैंड का नामकरण बैकुंठ शुक्ल के नाम पर किए जाने के लिए गजट प्रकाशन की मांग की।

साथ ही गया केंद्रीय कारागार का नाम शाहिद बैकुंठ शुक्ल केंद्रीय कारागार रखने की मांग की। आज शाहिद बैकुंठ शुक्ल की जन्मस्थली जलालपुर में भी बैकुंठ शुक्ल स्मृति मंच के अध्यक्ष कौशिक अमरेश कुमार, अभिजीत पांडेय, रजनीश कुमार सिंह इत्यादि ने उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित किया। वहीं बीते 14 मई को भी यहां शहादत दिवस समारोह मनाया गया था।

गया केंद्रीय कारागार से सूचना प्राप्त हुई है कि शहीद बैकुंठ शुक्ल को जिस फांसी घर में फांसी की सजा हुई थी, उसको शहीद स्थल के रूप में सजा कर रखा गया है और उनकी जयंती के अवसर पर प्रत्येक वर्ष की भांति आज भी फांसी घर को फूलों से सजाया गया।

यहां भव्यता के साथ अमर शहीद बैकुंठ शुक्ल की जयंती मनाई गई। कारागार के कैदियों के बीच केक का वितरण गया। गया के समाजसेवीयों द्वारा शाहिद बैकुंठ शुक्ल की शहादत दिवस और उनकी जयंती मनाया जाने की सूचना है।

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