बसंत पंचमी के रंगों में रंगा सामयिक परिवेश काव्य मंच

एस.पी.सक्सेना/पटना (बिहार)। सामयिक परिवेश पत्रिका तमिलनाडु अध्याय की मासिक काव्य-गोष्ठी वसंतोत्सव के रूप में ऑडियो के माध्यम से बीते 5 फरवरी की शाम बजे से प्रारंभ हुई।

काव्य गोष्ठी की मुख्य अतिथि संस्था की संस्थापिका एवं प्रधान संपादक ममता महरोत्रा के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया था। विशिष्ट अतिथि सामयिक परिवेश के राष्ट्रीय सूचना संचार एवं आईटी प्रमुख अशोक गोयल थे।

इस अवसर पर अध्यक्षता संस्था के संपादक श्याम कुवंर भारती जी ने की। उन्होंने अपने उद्बोधन में संस्था की साहित्यिक गतिविधियां एवं नई योजनाओं के बारे में अवगत कराया। सरस्वती वंदना एवं मंच संचालन सरला विजय सिंह ‘सरल’ ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ मंजू रुस्तोगी ने किया। सौहार्दपूर्ण वातावरण में गोष्ठी संपन्न हुई।

गोष्ठी में भाग लेने वाले प्रतिभागी एवं उनकी रचना में श्याम कुवंर भारती ने “दसो दिशा दियना जरईबो, काली मईया मंदिर सजईबो हो।” महकता चहकता लिए मधुर मादकता बसंत आ गया, निखरता थिरकता लिए संग नजाकता बसंत आ गया, डॉ मंजु रुस्तगी ने “अक्षर ज्ञान संगीत की देवी हंस वाहिनी शारदे, तव चरणों में शीश नवाते, तम अज्ञान से तार दे।

” सीमा प्रताप ने “ए देश मेरे तू शिक्षक है, तुझसे मिले संस्कार कई, मैं क्या बोलूं तू गुरु मेरा, तूने दिए विचार कई” अन्नपूर्णा मालवीय ‘सुभाषिनी’ ने “मन को भाने लगे और लुभाने लगे, मधुमास बसंती बयार चली” डॉ श्रीलता सुरेश ने “वसंत ऋतु आई रे पंचमी के दिवस में त्योहार है श्रेष्ठ ज्ञान दायिनी माँ है” संतोष श्रीवास्तव ‘विद्यार्थी’ ने “दीप जगमग चलो जलाएंगे आज हम, आदि।

नया सूरज विहान लाएंगे आज हम “, अशोक गोयल ने “हम बहुमुखी बसंत को आओ नमन करें, सर्वार्थ सुखी संत को आओ नमन करें, अंजनी कुमार ‘सुधाकर’ ने “वर दे वीणा वादिनी वर दे, अरुण, तरुण, करुण मन मेरे अनुराग प्रफुल्लित कर दे”, डॉ सत्येंद्र शर्मा ने “लो बसंत ऋतु फिर से आई, मधुर मिलन है अति सुखदाई”, आदि।

उषा टिबड़ेवाल ‘विद्या’ ने “जब बसंत ऋतु आता है, भंवरा बन मन गुनगुनाता है “, प्रो.शरद नारायण खरे ने “अक्षर जन्मा है तुझसे ही, तुझसे ही सुर बिखरे हैं”, सरला ‘सरल’ ने “जब आता है मधुमास, कोयल की मधुर आवाज, अंतर्मन में पहुंचकर मेरे हृदय पट झकझोर देती है “, नम्रता श्रीवास्तव ने ” बसंत के आगमन ने, मन को मेरे छेड़ा कहीं”, आदि।

माया बदेका ‘नारायणी’ ने “भारत माता साक्ष्य है, तुम्हारा बलिदान व्यर्थ ना जाएगा”, स्नेह लता गुरुंग ने “आ गया बसंत, देखो छा गया बसंत “, रमा कुवंर ने “आओ बसंत ऋतु स्वागत है, फूल खिले हैं प्यारे -प्यारे”, विजय मोहन सिंह ने “तेरी यादों की खुशबू, बसी है फिजाओं में”, डॉ राजलक्ष्मी कृष्णन ने “मेरा दिल आज छटपटा रहा है, लगता है मैं टूट सी गई हूँ”, संजय जैन ने “वह ज्ञान की माता है, आदि।

सरस्वती नाम है उसका”, रामा श्रीनिवास ने “विनय हमारी छोटी सी, मैं नमन करूं चरणों में, नहीं विद्या नहीं बुद्धि निर्मल चेतन भर दे”, अनिल कुमार अवस्थी ‘जख्मी’ ने “बात करूँ बेटियों की अब मैं कहाँ तलक, आदि।

धरती से गगन तक इनका विस्तार है”, नंदिनी लहेजा ने “शीत की ठिठुरन सिमट रही है, मधुर सुवासिनी मुख पर छा रही है”, अपनी रचनाओं द्वारा समा बाँध दिया। मौके पर कुल 23 प्रतिभागियों ने काव्य पाठ में भाग लिया।

 230 total views,  1 views today

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *