मंजूरा के भुनेश्वर महतो ने केला के खंभे पर निशाना साध जीता खेत

वर्षों से चली आ रही अनूठी परंपरा बेझा बिंधा निशाना लगाओ, खेत जीतो

रंजन वर्मा/कसमार (बोकारो)। कसमार प्रखंड के हद में मंजूरा पंचायत में बेझा बिंधा (तीरंदाजी प्रतियोगिता) मकर सक्रांति के अवसर पर 15 जनवरी को ग्रामीण रहिवासियों के बीच आयोजित किया गया। प्रतियोगिता के दूसरा राउंड में ही मंजूरा गांव के टोला खपराकनारी रहिवासी भुनेश्वर महतो सांखुआर ने केले के खंभे पर निशाना लगाकर विजेता बनने का गौरव हासिल किया।

बताया जाता है कि मंजूरा के महतो स्व. रीतवरण महतो द्वारा शुरू किया गया यह प्रतियोगिता विगत सौ सालों से भी ज्यादा समय से यह परंपरा चलता आ रहा है। प्रतिभागियों को निशाना साधने के लिए केला का खंभा गाड़ दिया जाता है एवं 101 डेग (कदम) की दूरी से तीर- धनुष से लैस होकर ग्रामीण प्रतिभागी निशाना साधते हैं।

जो प्रतिभागी सबसे पहले लक्ष्य को साधने में कामयाब हो जाते हैं उसे 1 वर्ष के लिए 20 डिसमिल की जमीन उपहार स्वरूप दे दी जाती है।
इस अवसर पर प्रतियोगिता से पहले परम्परानुसार स्व. रीतवरण महतो के वंशज एवं ग्रामीण गेन्दखेला नामक स्थान से पूर्वजों की बनाई सूती धागा का गेंद खेल कर आते हैं।

गांव के नया के द्वारा पहला तीर मार कर प्रतियोगिता की शुरुआत की जाती है। तत्पश्चात गांव के महतो के वंशज तीर चलाते हैं। तत्पश्चात प्रतियोगिता आयोजित की जाती है। केला के खंभा लाने एवं गाड़ने की जिम्मेवारी गांव के गौड़ायत की होती है।

इस अवसर पर पूर्व विजेता कृष्ण किशोर महतो, बैजनाथ महतो, परमेश्वर घांसी, दिनेश महतो, सोमर महतो, पिंटू करमाली, गुप्तेश्वर महतो, जीतनारायण ठाकुर, भीषम महतो, गोबिंद तुरी, नरेंद्र प्रजापति, परमेश्वर घाँसी, लिटम तुरी सहित मौके पर महतो वंशज के सुमित्रानंदन महतो, विजय किशोर गौतम, गिरिवर कुमार महतो, आदि।

सतीश चंद्र महतो, ओमप्रकाश महतो, नाया जानकी महतो, गोड़ाइत तेजू महली, समाजसेवी मिथिलेश कुमार महतो, नरेश घाँसी, गुप्तेश्वर महतो, मंटु तूरी, लिटम तूरी, पिंटु करमाली, प्रेमचंद करमाली, जीतु ठाकुर, मनोज तूरी आदि कई गणमान्य मौजूद थे।

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