अश्लील गीतो के खिलाफ ऐपवा,इंसाफ मंच,जसम का अभियान पहुंचा विधानसभा

माले विधायक ने विधानसभा में मामले को उठाकर कार्रवाई की मांग की
एस.पी.सक्सेना/समस्तीपुर(बिहार)। जाति,सांप्रदाय सूचक महिलाओं को अपमानित करने वाला भड़काऊ एवं अश्लील गीत को बैन एवं गायक पर एफआईआर (FIR) करने को लेकर समस्तीपुर (Samastipur) व ताजपुर में जारी ऐपवा, इंसाफ मंच,जसम एवं माले के आंदोलन की आवाज बीते 4 मार्च को विधानसभा में गुंजा। विधानसभा सत्र के दौरान शून्य काल में यह सवाल माले विधायक अजीत कुशवाहा (Male MLA Ajeet Kushwaha) ने जोरदार तरीके से उठाकर सांप्रदायिक, भड़काऊ एवं अश्लील गीतों को बैन करने एवं गायक पर कार्रवाई करने की मांग सरकार से किया।
माले विधायक कुशवाहा ने सदन में सरकार से मांग किया कि जाति और धर्म के नाम पर भोजपुरी समेत अन्य भाषाओं के गीतों के माध्यम से समाज में अश्लीलता परोसी जा रही है। इससे सामाजिक सद्भाव खराब हो रहा है। अतः सरकार ऐसे गीतों पर अविलंब प्रतिबंध लगाकर ऐसे गीतों को बनाने और गाने वालो पर कठोर कार्रवाई करे।
इस संबंध में भाकपा माले ताजपुर प्रखंड सचिव सुरेन्द्र प्रसाद सिंह ने कहा कि मुस्लिम, चमार, नुनिया, मल्लाह, माली, ग्वाला, तुरहा आदि समुदाय के बहन-बेटियों को सुपरहिट एवं झकास माल बताकर भोजपुरी गायक अजीत बिहारी ने दो-तीन गीतों में अश्लीलता परोसने का काम किया है। इससे सामाजिक सद्भाव बिगड़ रहा था। इसे लेकर बीते 3 मार्च को दर्जन भर युवक ने माले नेता सुरेन्द्र प्रसाद सिंह के नेतृत्व में थाने पर लिखित आवेदन देकर एफआईआर दर्ज कराने की कोशिश किया था। मामले में थानेदार एफआईआर करने से इनकार कर गये। इसके बाद भाकपा माले मिथिलांचल प्रभारी धीरेन्द्र झा को वस्तुस्थिति की जानकारी देकर मामले को विधानसभा में उठाने का आग्रह किया। मामले की गंभीरता को देखते हुए माले विधायक अजीत कुशवाहा ने मामले को सदन में उठाकर कार्रवाई की मांग की है।
ऐपवा जिलाध्यक्ष बंदना सिंह ने कहा कि महिला संगठन ऐपवा महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान के प्रति गंभीर है। महिला- बहन- बेटियों के खिलाफ अश्लीलता किसी भी भाषा में परोसा जाए, बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा है कि विधानसभा में मुद्दा उठने के बाद मसले का समाधान होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि राज्य की नीतीश एवं केंद्र की मोदी सरकार उपभोक्तावादी संस्कृति को बढ़ावा दे रही है। पितृसत्तात्कमक समाज महिलाओं हमला करते रहते है और सरकार चुप बैठी रहती है। इसे लेकर ऐपवा का अभियान जारी रहेगा।

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