आर्थिक तंगी व् कर्ज के बोझ तले आत्महत्या को विवश आंगनबाड़ी सहायिका

विजय कुमार साव/गोमियां (बोकारो)। मीडिया का उद्देश्य केवल समाचार प्रकाशित करना हीं नहीं बल्कि समाज की स्थितियों से शासन व् प्रशासन को अवगत तथा सचेत करना भी है। इसी परिप्रेक्ष्य में होसिर लरैयाटांड़ से एक सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। जहां आर्थिक तंगहाली और कर्ज के बोझ तले आंगनबाड़ी सहायिका अब आत्महत्या करने की सोंच रही है। उक्त आंगनबाड़ी सहायिका के पति की मौत पहले ही हो चुका है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार बोकारो जिला के गोमियां प्रखंड के हद में होसिर लरैयाटांड़ स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में सहायिका के पद पर कार्यरत पूर्णिमा देवी इन दिनों आर्थिक तंगहाली में जी रही है। कर्ज के बोझ तले दबी उक्त आंगनबाड़ी केंद्र में सहायिका के पद पर कार्यरत महिला आत्महत्या करना चाहती है।

होसिर पंचायत के लरैयाटांड़ स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में सहायिका के पद पर कार्यरत पूर्णिमा देवी ने 10 जुलाई को बताया कि उसने अपनी बीमारी के इलाज के लिए महिला समूह से एक लाख रुपए का कर्जा ली थी। अभाव में पैसे नहीं रहने की वजह से वह इसे चुकाने में असमर्थ है। लाचारी और तंगहाली में जिंदगी गुजार रही पूर्णिमा देवी ने बताया कि पिछले 5 महीनों से मानदेय नहीं मिला है।

पति की भी मौत हो चुकी है। कर्ज चुकता करने के लिए पिता से भी मदद की गुहार लगाई। उन्होंने भी कर्ज देने से इंकार कर दिया। अब कर्जदार पैसे वापस मांग रहे हैं। लिहाजा पैसे नहीं होने की वजह से उसके पास आत्महत्या के आलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। वर्तमान में दबाव के कारण पूर्णिमा मानसिक रूप से काफी परेशान है। उसकी नजर में अपनी जिंदगी ही बोझ लगने लगी और शायद खुद को खत्म कर लेने से ही समस्या का समाधान निकल जाएगा।

पीड़िता पूर्णिमा देवी के मानदेय के संबंध में गोमियां के बाल विकास पदाधिकारी अल्का रानी से पूछने पर उन्होंने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्रों पर केन्द्रांश और राज्यांश दो जगहों से राशि आबंटन होती है। राज्यांश से मिलने वाली राशि दो-चार दिनों में आबंटन हो जाएगी। केन्द्रांश से मिलने वाली राशि का आवंटन नहीं हुआ है। इसलिए इसके लिए वरीय अधिकारियों से बात की जा रही है।

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