नीलगाय (घोड़ परास) के कहर से कृषि व्यवस्था चौपट

जन प्रतिनिधियों की पहल भी बेकार साबित हो रहा है

गंगोत्री प्रसाद सिंह/हाजीपुर (वैशाली)। वैशाली जिले (Vaishali district) में इन दिनों नीलगाय (घोड़ परास) के कहर से कृषि व्यवस्था पुरी तरह चौपट होने के कगार पर है।

क्षेत्र के जन प्रतिनिधियों का इस मामले में अबतक किया जाने वाला पहल पुरी तरह बेकार साबित हो रहा है। अब यहां के कृषक पलायन कर दूसरा व्यवसाय करने की जुगत में हैं। ऐसे में बिहार के कृषक क्षेत्र होने पर बट्टा लगने की गुंजाईश प्रबल होता दिख रहा है।

जानकारी के अनुसार वैशाली जिले के हद में लालगंज प्रखंड के शितल भकुरहर ग्राम पंचायत के मुखिया अल्का देवी द्वारा पंचायत में जंगली जानवर घोड़ परास की वजह से पंचायत के किसानों की समस्या पर विचार के लिये 12 जून को स्थानीय नर्मदेश्वर महादेव मंदिर परिसर में आम सभा बुलाई गई।

जिसमें घोड़ परास की वजह से खेती छोड़ने पर मजबूर किसान और मजदूर शामिल हुए। आमसभा में पंचायत के पूर्व मुखिया सत्यनारायण सिंह ने बताया कि लगभग 20 वर्ष पूर्व सरकार (Government) द्वारा पंचायत में एक नर और दो मादा घोड़ परास पर्यावरण संतुलन के लिये छोड़ा गया था।

जिसकी संख्या आज केवल इस पंचायत में 1000 के करीब पहुँच चुकी है, जिसकी वजह से अब पंचायत में खेती करना करना मुश्किल हो गया है। उन्होंने बताया कि पंचायत में मक्का की खेती इन घोड़ परास की वजह से 10 वर्ष से बन्द है। इस वर्ष किसानों ने गेंहू की खेती भी छोड़ दिया है। कोई भी फसल बोया जाय ये झुंड के झुंड आकर खड़ी फसल को चट कर जाते हैं। अब तो केला और सब्जी को भी नही छोड़ रहे हैं।

उक्त पंचायत के मनी भकुरहर के किसान नन्दलाल शर्मा, संजय ठाकुर इत्यादि ने भी घोड़ परास के कारण खेती छोड़ने और जमीन बंजर पड़ने की बात बताई। साथ हीं कहा कि अब उनके पास कोई दूसरा व्यवसाय के अलावा अन्य कोई मार्ग शेष नहीं रह गया है।

आमसभा में मुखिया ने बताया कि पंचायत की इस समस्या को लेकर लालगंज के प्रखंड विकास पदाधिकारी से कई बार बात की, लेकिन सरकार की ओर से कोई कदम नही उठाया गया। यदि आम जनता की राय हो तो वन विभाग के सूटर द्वारा इनके सफाये का ही निदान है।

जिस पर इन घोड़ परास को वन विभाग (Forest department) के सूटर से मरवाने के लिये सभा में उपस्थित किसान अंजनी सिंह, भोला सिंह, सोनू तिवारी, चन्दर पासवान, फौजदारी पसवान, उपस्थित वार्ड सदस्य और उप मुखिया सहित सभी जनता ने मुखिया को अधिकृत किया।

सभा मे यह भी निर्णय लिया गया कि सभी मृत घोड़ परास को समाज के सहयोग से मिट्टी में दफनाया जाएगा, जिसके लिये नीरज कुमार द्वारा 10 हजार रुपये अपने निजी मद से सहयोग राशि देने का वायदा किया गया। समाज के सभी लोगो द्वारा इस क्स्ड के लिए सहयोग का वायदा किया गया।

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