चुनाव बाद भाजपा व् झामुमो अपनी-अपनी जीत के कर रहे दावे

पश्चिम सिंहभूम संसदीय सीट में चुनाव बाद की स्थिति

सिद्धार्थ पांडेय/चाईबासा (पश्चिम सिंहभूम)। पश्चिम सिंहभूम संसदीय सीट पर बीते 13 मई को मतदान शांतिपूर्ण संपन्न हो गया। यहां कुल 68.98 प्रतिशत वोट पड़े।

झारखंड का सिंहभूम लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र देश की चुनावी राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। वर्ष 2019 के आम चुनावों के मुकाबले इस वर्ष यहाँ मजेदार चुनावी मुकाबला देखने को मिलेगा।

भाजपा की ओर से जहाँ पूर्व मुख्यमंत्री सह भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबू लाल मरांडी एवं पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की प्रतिष्ठा दाव पर लगी है, वहीं दूसरी ओर झामुमो की ओर से मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन एवं पूर्व मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन हर हाल में झामुमों का पताका पश्चिम सिंहभूम में हर बार की तरह इस बार भी लहराने में कोई कसर छोड़ने वाले नहीं हैं।

उक्त संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में कुल 6 विधानसभा क्षेत्र आता है, जिसमें चाईबासा, सरायकेला, मझगांव, जगन्नाथपुर, मनोहरपुर व चक्रधरपुर विधानसभा क्षेत्र शामिल है।

लोकसभा चुनाव वर्ष 1957 से वर्ष 2019 तक में सिंहभूम संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी 7 बार लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की है। वर्ष 1957 से 1971 तक लगातार 4 लोकसभा चुनाव में झारखण्ड पार्टी के प्रत्याशी लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज किया था।

भारतीय जनता पार्टी ने यहां से वर्ष 1996, 1999 तथा 2014 के लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज किया था। इस लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से मधु कोड़ा ही एक मात्र ऐसे प्रत्याशी रहे हैं, जिन्होंने स्वतंत्र रूप से 2009 के लोकसभा चुनाव में सबको पछाड़ते हुए अपनी जीत दर्ज की थी।

सिंहभूम संसदीय सीट पर 13 मई को हुये मतदान में शामिल सारंडा, कोल्हान एवं पोड़ाहाट जंगल एवं ग्रामीण क्षेत्रों के अशिक्षित वोटरों ने प्रत्याशियों की परेशानी बढ़ा दी है।ऐसे वोटर सबसे ज्यादा झामुमो प्रत्याशी जोबा माझी एवं भाजपा प्रत्याशी गीता कोड़ा की परेशानी बढ़ा दी है।

उक्त क्षेत्रों में स्थित बूथों पर चुनाव सम्पन्न कराने गये कई मतदानकर्मियों ने बताया कि पूर्व के चुनावों की तुलना में इस बार वोटरों में उत्साह काफी था। प्रायः सभी स्थानों पर भाजपा व झामुमो के वोटर एवं उनके एजेंट बूथों पर नजर आये। हर बूथ पर दर्जनों ऐसे अशिक्षित वोटरों को देखा गया जो ईवीएम मशीन में क्रम संख्या एक और दो जो क्रमशः गीता कोड़ा और जोबा माझी का था, उस बटन को दबाने के बजाय सबसे नीचे से दो क्रम संख्या वाले बटन को दबा दिये।

बताया जाता है कि मतदान के दौरान कुछ ऐसे वोटर भी थे जो विशेष प्रत्याशी को वोट देने तो गये थे, लेकिन वोट देने का तरीका व नासमझी की वजह से अन्य प्रत्याशियों का बटन दबा दिये। ऐसी स्थिति लगभग हर बूथ पर कहीं अधिक तो कहीं कम देखने को मिली।

लोकसभा क्षेत्र के रहिवासियों का कहना है कि ऐसी स्थिति में कहीं तीसरे स्थान पर नोटा न हो गया हो।सभी प्रत्याशी अपने-अपने पोलिंग एजेंट व बूथ अध्यक्षों के माध्यम से वोटिंग की स्थिति व रूझानों का पता लगाने में जुटे हैं। झामुमो व भाजपा अपने-अपने प्रत्याशियों की जीत का दावा शान से कर रहे हैं, लेकिन दोनों खेमा में परेशानी व तनाव काफी दिख रहा है।

चुनाव के दौरान सिंहभूम सीट के ग्रामीण क्षेत्रों में झामुमो तथा शहरी क्षेत्रों में भाजपा का पलड़ा भारी दिखा। भाजपा समर्थकों द्वारा सोशल मीडिया पर सिंहभूम सीट अन्तर्गत छह विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा व झामुमो को मिले संभावित मतों का आंकलन कर जीत का दावा कर रहे हैं।

झामुमो के अनुसार यदि ईवीएम में गड़बड़ी नहीं हुई तो जीत शत फीसदी होने की बात की जा रही है।भाजपा द्वारा सोशल मीडिया में शेयर किये जा रहे पोस्ट में बताया जा रहा है कि मझगांव से लगभग 70 हजार वोट, मनोहरपुर से लगभग 25 हजार वोट से झामुमो आगे रहेगी, जबकि भाजपा चाईबासा से 35 हजार वोट, चक्रधरपुर से 12 हजार वोट, जगन्नाथपुर से 5 हजार वोट एवं सराईकेला से लगभग 60 हजार वोट से आगे रहेगी।

बहरहाल आदिवासी बहुल क्षेत्र होने एवं झारखण्ड में चम्पाई सोरेन की सरकार होने के कारण इस बात से इंकार नहीं की जा सकती है कि झामुमों पार्टी भाजपा को बहुत कम मतों से ही कही पीछे न छोड़ दे।

चुनाव में दो बाहुबली महिलाओं के अतिरिक्त अन्य आधा दर्जन से ज्यादा 11 प्रत्याशी भी पश्चिम सिंहभूम से अपना भाग्य अजमा रहे थे। अगर इन्हे वोट कटवा प्रत्याशी माना जाए तो यह पासा पलटने में कहीं से भी नहीं चूकेंगे। जीतने वाले प्रत्याशी को हार एवं हारने वाले प्रत्याशी को जीत में बदल सकते हैं।

देखा जाए तो पश्चिम सिंहभूम में आदिवासियों की संख्या अत्यधिक है। परिणाम स्वरूप क्षेत्र के आदिवासी सिर्फ झारखंड मुक्ति मोर्चा पार्टी के निशान को पहचानते हैं। उन्हें कोई कितना भी वरगला दे वे इसके अतिरिक्त किसी भी अन्य निशान के विरुद्ध मतदान नहीं करेंगे। दूसरी ओर अदिवासियों के अतिरिक्त कुछ ऐसे भी मतदाता हैं जिनमे देश भक्ति की भावना जागृत है। वे देश के प्रधानमंत्री के पक्ष व नाम को ले भाजपा को वोट किए होंगे।

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