प्रहरी संवाददाता/धनबाद (झारखंड)। झारखंड के पितामह सह झारखंड आंदोलन के अग्रणी नेता बिनोद बिहारी महतो की 100वीं जयंती पर बड़ादाह में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर नमन किया गया।
टोटेमिक कुड़मी विकास मोर्चा के जिलाध्यक्ष दिनेश कुमार महतो ने बताया कि 23 सितंबर 1923 को धनबाद जिला के हद में बलियापुर प्रखंड के गांव बड़ादाह में माता मंदाकिनी देवी के गर्भ से जन्मे बिनोद बिहारी बिहारी महतो की जीवनी हर युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। कहा कि उनके पिता महेन्द्री महतो एक गरीब किसान थे।
बिनोद बिहारी महतो एक वकील और राजनीतिज्ञ थे। वे 1972 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक अध्यक्ष थे। वे वर्ष 1980, 1985 तथा 1990 में बिहार विधानसभा के तीन बार सदस्य और 1991 में गिरिडीह से लोकसभा सांसद थे।
उन्होंने बताया कि पढ़ो और लड़ो का नारा देने वाले बिनोद बिहारी महतो को कभी भी किसी ने मंदिर जाते या पूजा पाठ करते नहीं देखा।उनका मानना था कि धर्म आपको मानसिक गुलाम बनाता है और शिक्षा आपको अन्याय के विरुद्ध लड़ने की ताकत देता है।
कहा कि 18 दिसंबर 1991 में देश की राजधानी नई दिल्ली में संसद भवन के निकट दिल का दौरा पड़ने से बिनोद बाबू का निधन हो गया। हर वर्ष 18 दिंसबर को उनकी याद में बिनोद मेला का आयोजन किया जाता है और बिनोद बाबु के चाहने वाले बिनोद धाम में माल्यार्पण कर उन्हें याद करते है।
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